शिक्षक कभी साधारण नहीं होता है…विषम परिस्थितियों के बावजूद कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ने वाले शिक्षक की प्रेरणादायक कहानी…

Global36 गढ़ के संवाददाता नीलकांत खटकर।।

बलौदा बाजार – अच्छे व्यक्तित्व के लिये जीवन में शिक्षा बहुत आवश्यक है। देश के भविष्य युवाओं के जीवन को गढ़ने और उसे सँवारने के लिये यह महत्वपूर्ण दायित्व और कार्य शिक्षकों को दिया जाता है। शिक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को शिक्षक निभाता है और बच्चों के वर्तमान और भविष्य को बनाता है।आज हम बात करेंगे ऐसे ही शिक्षक के बारे में जिनका जीवन चरित्र प्रेरणादायी है। कहते हैं प्रतिभा कभी भी सुविधाओ की मोहताज नहीं होती। प्रत्येक विश्वविभूति विपरीत परिस्तिथियों से निखरकर सामने आए हैं, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में रहने वाले शिक्षक पूनाराम यादव सादा जीवन उच्च विचार के मूलमंत्र को मानने वाले हैं।आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों की मदद हो या उनके परिवार की समस्या, सहयोग के लिए वे हमेशा आगे रहते हैं। खामोशी से सहयोग करते हुए नाम की महत्वाकांक्षा नही रखते हैं। पूनाराम यादव जी कहते है, मैं तो केवल माध्यम हूँ, करने वाला परमात्मा ऊपर बैठा हुआ है।बचपन की यादें आज भी आंखों के सामने तरोताजा है। पिताजी स्वर्गीय श्री विष्णु प्रसाद यादव नगर निगम राजनांदगांव में भृत्य थे। पाँच भाई बहनों से भरे पूरे परिवार को पढ़ाना लिखाना, पालन पोषण करना आर्थिक रूप से बेहद कठिन था। सो आर्थिक उतार चढ़ाव के दौर से गुजरना पड़ा। माता मालती यादव के संस्कार ने ही संघर्ष के काबिल बनाया। बाबूजी नगर निगम की ड्यूटी के अलावा गोलबाजार के एक फूल दुकान में माला गुथने जाते थे ताकि थोड़ी अतिरिक्त आमदनी हो सके। हम लोग भी दिवाली की छुट्टियों में माला गूंथते थे। माँ सिलाई मशीन में कपड़े सीती थी और गोबर के कंडे, मिट्टी के चूल्हे सिगड़ी आदि बनाती थी।आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की मदद:-
ऐसे बच्चे जो पढ़ाई तो करना चाहते हैं लेकिन आर्थिक समस्या की वजह से नहीं पढ़ पाते उनके सहयोग के लिए हमेशा वे तत्पर रहते हैं। साथ ही सभी बच्चों के उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें रचनात्मक कार्यों से जोड़ते हैं। सीधे सरल छवि वाले शिक्षक पूनाराम यादव मीडिया की सुर्खियों से कोसों दूर हैं। हमारे संवाददाता के अनुरोध पर अपने किये हुए कार्यो के बारे में बताया, ताकि सभी लोगों को प्रेरणा मिल सके। स्कूल परिसर में वृहद वृक्षारोपण कर पिछले साल 50 पौधे रोपे थे, वर्ष भर भलीभाँति किये गये देख रेख के कारण सभी पौधे जीवित हैं। इस वर्ष फिर 50 पौधों के रोपण की तैयारी है।
भावनाओ को शब्दों में पिराने की कोशिश हमेशा रहती है परिणाम स्वरूप कविता, लेख, कहानियों से उनकी पूरी डायरी भरी पड़ी है। पूनाराम यादव जी का मानना है कि साहित्य में समय की धारा को मोड़ने की शक्ति है। शब्द से ही पूरी दुनिया का अस्तित्व है। मीठे बोल से किसी का भी दिल जीता जा सकता है। बच्चों के साथ समय बिताकर वास्तव में मैं भी बहुत कुछ सीखता हूँ।खेल और शिक्षा का गहरा सम्बन्ध:-
पूनाराम यादव जी ने हमेशा से ही खेल को बहुत महत्व दिया है, खासकर क्रिकेट। राजनांदगांव में क्रिकेट का जिक्र हो और यादव जी को याद न किया जाये यह सम्भव नहीं है। विद्यार्थियों को भी खेल के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहते हैं कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मन निवास करता है और स्वस्थ मन मे अच्छी शिक्षा। सभी एक दूसरे के पूरक हैं।राजनांदगांव में आयोजित रणजी ट्रॉफी क्रिकेट और रानी सूर्यमुखी देवी आल इंडिया क्रिकेट टूर्नामेंट में स्कोरिंग और प्रेस रिपोर्टिंग कर चुके है।युवाओं को सन्देश:-युवाओं के लिए संदेश है कि वे सकारात्मक सोच के साथ लक्ष्य की ओर बढ़ें तो सफलता अवश्य मिलेगी। अक्सर युवा देश और समाज में हो रहे भ्रष्टाचार, अपराध, शोषण, अन्याय आदि को लेकर चिंतित हो जाते हैं और सुधार की अपील के अनेक संदेशो को सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। वे स्वयं को बदलना छोड़ ये सोचते हैं कि काश! दुनिया के सारे लोग ईमानदार, जिम्मेदार, नेकदिल हो जाते तो कितना अच्छा होता। इसलिए युवाओं से अपील करना चाहूंगा कि वे पहले स्वयं को बदलें, दुनिया अपने आप बदल जायेगी।
मनुष्य चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, उसे कभी न कभी एक मार्गदर्शक की आवश्यकता जरूर पड़ती है और आपका मार्गदर्शक ही आपका शिक्षक व गुरु है। गुरु की सीमा केवल स्कूली पुस्तकों मात्र तक सीमित नहीं होती, जरूरत पड़ने पर वे सच्चे दोस्त भी बन जाते हैं और आपकी हर प्रकार से सहायता करते हैं। शिक्षक पुनाराम यादव बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा व्यवहारिक शिक्षा देकर उन्हें समाज और देश के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनाने की मुहिम में लगे हुए है।सत्यदर्शनलाइव चैनल की पूरी टीम इनके प्रयासों की सराहना करता है तथा इसी प्रकार शिक्षा को बढ़ावा देते रहने के साथ साथ उज्जवल भविष्य की कामना करता है।

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