बिलासपुर 9 जून 2020। ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन, तिलहन एवं मक्का फसल के क्षेत्र में वृद्धि कर उत्पादन बढ़ाने की योजना से तखतपुर विकासखंड के ग्राम मोढ़े के किसानों को प्रति एकड़ लगभग 70 हजार रूपये का मुनाफा होने जा रहा है।
इस सफलता से खुष किसान अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं कि वे अपने खेतों में गर्मी में धान के बदले मक्का उगायें। इससे आमदनी तो बढ़ेगी साथ ही भू-जल स्तर को गिरने से बचाकर पानी की समस्या से भी निजात पाया जा सकता है।
कृषि विभाग द्वारा मक्का फसल को प्रोत्साहन देने के लिये ग्राम मोढ़े के किसानों के 8 हेक्टेयर खेत में मक्का प्रदर्शन कार्यक्रम लिया गया है। जिसमें ललित, विद्या, सेवक, पंचराम, अजय सहित 20 किसानों को निःशुल्क मक्का बीज उपलब्ध कराया गया है। यह फसल 30 दिन में तैयारी हो जाती है। किसानों को कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है। धान की खेती में कास्त लागत अधिक होती है। वहीं मक्का की खेती में प्रति हेक्टेयर केवल 20 हजार 700 रूपये कास्त लागत आती है। इस प्रदर्शन में प्रत्येक किसान को एक एकड़ के लिये मक्का बीज उपलब्ध कराया गया। किसान ने बताया कि एक एकड़ में उन्हें मक्का की खेती, कास्त की लागत और भी कम अर्थात् 8380 रूपये तक आयी। यह धान की अपेक्षा बहुत कम है। प्रत्येक किसान ने एक एकड़ में 14 हजार 995 मक्का के पौधे लगाये, कृषि विभाग द्वारा दी गई उन्नत बीज से प्रति एकड़ 15 हजार भुट्टे प्राप्त होने का अनुमान है। एक भुट्टे की वर्तमान बाजार मूल्य 5 रूपये है। इस दर से 75 हजार रूपये की आय प्राप्त होने का उन्हें अनुमान है, जिससे लगभग 67 हजार रूपये का शुद्ध मुनाफा होगा। किसानों का कहना है कि मक्का की खेती नगदी फसल के रूप में करने से उन्हें और अधिक लाभ मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के मैदानी हिस्सों में किसानों द्वारा खरीफ में धान फसल लेने के बाद गर्मी में भी यही फसल लगाने की परंपरा है। जिससे मृदा क्षय और भू-जल संकट जैसी समस्याएं सामने आ रही है। इस समस्या को दूर करने के लिये कृषि विभाग द्वारा ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन, तिलहन एवं मक्का फसल को प्रोत्साहन देने की योजना चालू की गई है।