टिड्डी दल के आक्रमण से बचाव के उपाय

global36garh न्यूज से ललित गोपाल की खबर

बिलासपुर -टिड्डी दल (स्वबनेज ेूंतउ) देश के विभिन्न राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र में भ्रमण कर रहा है। छ.ग. राज्य की सीमा मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्य से लगी होने के कारण निकट भविष्य में टिड्डी दल के छ.ग. राज्य में भी प्रवेश करने की आशंका है। टिड्डी दल का आक्रमण का प्रारंम्भ ईरान से पाकिस्तान से होते हुए भारत में राजस्थान से हुआ और कीट दल मध्य प्रदेश, की सीमा में प्रवेश कर सीधी, सिंगरोली होते हुए टिड्डीयों के एक दल का छ.ग. के सीमावर्ती जिलों कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर की ओर से तथा दूसरे दल के महाराष्ट्र के अमरावती जिले के मोरशी विकास खण्ड से छ.ग. के बाघनदी, जिला राजनांदगांव की तरफ से प्रवेश करने की आशंका व्यक्त की जा रही है। बाकी अन्य विकास खंडो में ये दल पहुंचेगी या नहीं ये हवा की दिशा तय करेंगी।

बिलासपुर कृषि विज्ञान केन्द्र के डाॅ. दुष्यंत कुमार कौशिक ने बताया कि वनस्पŸिा टिड्डी दल लाखों की संख्या में झुण्ड बनाकर विचरण कर रहे है और इनका जहां आक्रमण होता है उस स्थान की सम्पूर्ण वनस्पŸिा एवं ये सभी प्रकार के फसल, जैसे वृक्ष की पŸिायां, छाल, खड़ी फसल सब्जी फसल फल, वृक्षों के फुल पŸो, बीज, पेड़ की छाल, और अंकुर सब कुछ खा जाती है। यहां तक 1 किलो मीटर दायरे में फैला टिड्डीयों का झुण्ड एक दिन में लगभग 35 हजार लोगों के बराबर भोजन खा सकता है और एक दिन में 100 से 150 किलो मीटर तक उड सकती है। बिलासपुर जिले में वर्तमान में लगे फसलों जैसे टमाटर, करेला, भिण्डी, ककडी, कद्दु, लौकी, पत्तागोभी, आम, कटहल, नीबू, पपीता, केला, अमरूद, धान, आदि को टिड्डे आक्रमण होने पूरी तरह से बरबाद कर सकते है।
ये टिड्डी दल दो रंगों के होते है – गुलाबी और पिला। पिले रंग की टिड्डी ही अंडे देने में सक्षम होती है, और ये पड़ाव डालने के बाद किसी भी समय अण्डे देने शुरू कर देती है। अण्डे देते समय दल का पड़ाव उसी स्थान पर 3 से 4 दिन तक रहता है और दल उड़ता नही है और इसी समय टिड्डीयों का नियंत्रण का कार्य किया जाना चाहिए। गुलाबी रंग की टिड्डीयों के दल का पड़ाव अधिक समय तक नहीं होता है और इसके लिए नियंत्रण हेतु अधिक तत्परता बहुत जरूरी है।

नियंत्रण के उपाय:-
टिड्डी दल के आक्रमण होने पर सभी किसान यदि टोली बनाकर ढोल, डीजे थाली, टीन के डब्बे को बजाकर, टेªक्टर से सायलेंसर निकालकर चलाकर, ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर टिड्डीयों को खेतों से भगाया जाना चाहिए एवं उन्हें एक ही स्थान पर बैठने नहीं देना चाहिए।

यदि शाम मे समय टिड्डी दल का प्रकोप हो गया हो या आराम कर रहें हो तो सुबह 3 बजे से सुबह 5 बजे के बीच में तुरन्त निम्नलिखित कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए।
क्लोरपायरीफास 20ः ई.सी. 2.4 मि.ली. या क्लोरपायरीफास 50ः ई.सी. या डेतटामेथ्रीन 2.8ः ई.सी. या लेम्बडासायहैलोथ्रीन 5ः ई.सी. दवा का 1 मि.ली. को 1 लीटर पानी की दर से अच्छि तरह छोलकर, टिड्डी दल एवं फसलों पर पावर स्प्रेयर या टेªक्टर चलीत स्प्रेयर से छिडकाव करें अथवा क्वीनालफास 1.5ः डी.पी. को 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते है।

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