महान प्रेरणा स्रोत हैं सद्गुरु अभिलाष साहेब -संत यतींद्र साहेब।।सेमिनरी हिल्स के प्रांगण में मनाई गई सदगुरु अभिलाषा साहेब की 87 वीं जयंती।।

Global36 गढ़ के संवाददाता नीलकांत खटकर।।

 

 

 

 

 

न्यूज डेस्क – नागपुर में कबीर मंदिर आश्रम, सेमिनरी हिल्स के प्रांगण में कबीर पंथ ही नहीं अध्यात्म जगत के महान अनुशास्ता सद्गुरु अभिलाष साहेब की 87 वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रूप में सेंट्रल प्रोवेंसीयल स्कूल के निदेशक डॉ. निशांत नारनवरे, पारख संस्था के संरक्षक खेल महर्षि श्री हेमंतकुमार डोनगांवकर उपस्थित रहेl

 

 

पूज्य सद्गुरुदेव जी की रचना *जीवन आधार नाथ तुम्हीं एक सहारे, भव दुख से छुड़ाईया हमारे प्राण प्यारे…* को अपने मधुर कंठ से गाकर संत श्री गुरुशील साहेब ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आगे अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सद्गुरु अभिलाष साहेब जी अक्सर कहा करते थे कि सेवा, भक्ति और ज्ञान की रीढ़ है। सेवा से चित्त शुद्ध होता है और भक्ति में गहरी पैठ होने लगती है जिससे सद्गुरु के चरणों में बैठकर ज्ञान को अच्छी तरीके से समझा और जिया जा सकता है। अतः घर हो या आश्रम, हम सब को अपने जीवन में सेवा को महती प्राथमिकता देनी चाहिए।

 

 

जिससे अपना भी भला हो और दूसरों की भलाई। इस अवसर पर आश्रम के प्रमुख संत श्री यतीन्द्र साहेब ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सद्गुरु अभिलाष साहेब एक महान प्रेरणा स्रोत हैं, जिन्होंने शून्य से शिखर को छुआ और लाखों लोगों के जीवन के अंधेरे को दूर कर रहे हैं। जब वे बनारस में रहकर अपनी किताब छपा रहे थे तब एक सभा में जहां तमाम विद्वान और मनीषी गण पधारे हुए थे। एक विद्वान मूर्ति ने उनसे पूछा कि आपकी पढ़ाई कहां तक हुई है तो गुरुदेव जी ने मुस्कुराते हुए कहा था कि *पहली में फेल हुआ नहीं और दूसरी में पास हुआ नहीं!दरअसल पिताजी के सन 42 का आंदोलन में चले जाने के बाद गुरुदेव जी पर 9 साल की कच्ची उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी आ गई और वे पढ़ाई से लगभग वंचित रह गए। बमुश्किल 4 महीने पहली क्लास और 6 महीने दूसरी क्लास की पढ़ाई कर पाए थे मगर लगभग 130 से ज्यादा ग्रंथों के यशस्वी लेखक गुरुदेव जी जब बड़ी से बड़ी सभा में, गांव-शहरों में बोलते थे तो सबको लगता था कि ये बाबा किस यूनिवर्सिटी से पढ़कर आए होंगे। अनंत प्रतिभा के धनी सद्गुरुदेव जी ने अपने पुरुषार्थ और लगन से इस मुकाम को हासिल किया था। इसके पूर्व कबीर आश्रम के अध्यक्ष श्री घनश्याम भगत जी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि गुरुदेव जी अपने आप में एक संपूर्ण विश्व हैं, जिनमें सब के लिए अनंत प्रेम समाया हुआ है। हमारा सौभाग्य है कि हमारा पूरा घर-परिवार बचपन से ही उनके चरणों पुष्पित पल्लवित हुआ है और आज उनके आशीर्वाद तले स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी रहे हैं। रिमझिम फुहारों के बीच शहर के विभिन्न इलाकों से आए सद्गुरु के प्रेमियों की संतोषजनक उपस्थिति रही। कार्यक्रम का सफल संचालन आश्रम के सचिव डॉ नंदकिशोर भगत जी ने किया और आख़िर में मुख्य अतिथि एवं भक्तों द्वारा संत गुरुजनों की पूजा और भेंट बंदगी तथा आरती के पश्चात श्री सुंदर लाल साहू और धनराज साहू द्वारा आयोजित महाप्रसाद का वितरण हुआ।

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