बिलासपुर – दिनाक 07/07/2020 को बिल्डर राजेश सेठ (बिल्डर) वल्द स्व कैलाश सेठ, उम्र 50 वर्ष, निवासी, विनायका होम्स, मेन रोड, तारबाहर,बिलासपुर एवम धोखाघड़ी करने वाले राजेश सेठ के अन्य साथियों के विरुद्ध एक ओर FIR थाना तारबाहर ,बिलासपुर में दर्ज हुयी है, जबकि लाखो रु की धोखाघड़ी करने पर पहले ही 2 प्रार्थी बिनेश्वर नायक की रिपोर्ट पर 420,34 एवम ST/SC एक्ट की अन्य धाराओं के तहत अजाक थाना बिलासपुर द्वारा प्रकरण दर्ज किया जा चुका है, तथा राजेश सेठ की दूसरी रिपोर्ट संतोष राय द्वारा भी कराई गई है। धोखाघड़ी से सम्बंधित संतोष राय द्वारा दर्ज FIR में भी IPC 420,34 के तहत FIR दर्ज कर पुलिस ने अपने कर्तव्य की औपचारिकता भर पूरी की है,
आज तीसरी FIR भी राजेश सेठ एवम अन्य के विरुद्ध लाखो रु की धोखाघड़ी के सम्बन्ध में ही कि गयी है, आज की इस FIR में प्रार्थी शीतला प्रसाद त्रिपाठी है,
मामला इस प्रकार है :-
राजेश सेठ /रजनी सेठ,दोनों पति-पत्नी ने मिलकर, तारबाहर स्थित गाव ठान मद की शासकीय भूमि खसरा न 903 पर अवैध निर्माण कर, फर्जी दस्तावेजों के आधार, पर विक्रय कर न केवल ठगी किया है, बल्कि उक्त जमीन एवम निर्माण को बेचने से पूर्व ही बैंक ऑफ बड़ौदा में उक्त भूमि, निर्माण को गिरवी रखकर लगभग 2 करोड़ रु ऋण ले रखा है,
पहला अपराध:- सभी क्रियाकलाप फर्जी,कूट रचित,बनावटी,दिखावटी दस्तावेजों के आधार रचा गया है !
1.शासकीय भूमि पर अवैध निर्माण को अपनी निजी भूमि पर निर्माण बताकर फ्लैट विक्रय किया है,
2. बैंक से ऋण लेने हेतु फर्जी,कूटरचित नक्शा बनाया गया जिसमें नगर निगम कार्यालय,भवन निर्माण अधिकारी, इंजीनियर की फर्जी सील हस्ताक्षर है !
प्रकरण में फर्जी,कूट रचित नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट मणि शंकर सोनी को भी आरोपी बनाना चाहिए ! जबकि प्रार्थी शीतला प्रसाद त्रिपाठी ने असली ओर फर्जी दोनों नक्शे पुलिस को उपलब्ध कराए है।
3. गाव ठान मद की शासकीय भूमि पर फ्लैट्स बनाकर बेचने के पूर्व राजेश सेठ ने बैंक ऑफ बड़ौदा से उक्त भूमि एवम बिल्डिंग पर लगभग 2 करोड़ रु ऋण लिया हुआ है, अर्थात गिरवी सम्पति को बेचकर भी अपराध किया है, प्रार्थी ने पुलिस को बैंक आफ बड़ोदा का पत्र बतौर साक्ष्य उपलब्ध कराया है!
4. राजेश सेठ ने उक्त शासकीय भूमि पर बिना अवैध निर्माण कर करोड़ो रु में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर, बेच तो दिया ।
लेकिन जब जनता को पता चला कि उनके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है तो राजेश सेठ ने अपने उक्त अवैध निर्माण को सही कराने हेतु नियमतिकरण हेतु आवेदन देते हुए स्वत्: स्वीकार किया है कि 18675 वर्गफीट का अवैध निर्माण किया गया है, राजेश सेठ का नियमतिकरण का उक्त आवेदन नगर तथा ग्राम विकास विभाग द्वारा निरस्त कर दिया गया है ! तो अवैध निर्माण को सही बताकर, फर्जी नक्शे के आधार पर अनुमति प्राप्त बताकर बेचने का भी अपराध साबित होता है, प्रार्थी ने पुलिस को उक्त अवैध सम्बन्ध में भी समस्त साक्षी दस्तावेज भी पुलिस को उपलब्ध कराए है,
5. राजेश सेठ का पेट यंहा भी नही भरा, राजेश सेठ ने लोगो से फ्लैट्स के पूरे पैसे लेने के बाद भी निर्माण अधूरा छोड़कर, लोगो द्वारा खरीदे गए फ्लैट्स के कब्जे नही दिए है, ओर लोग 25-30-40 लाख खर्च कर भी बैंको की EMI भरने के साथ साथ किराये के मकानों में रहने को मजबूर है !
पुलिस से जनता असन्तुष्ट क्यो रहती है? पुलिस बदनाम क्यो है? अपराधियो को सजा क्यो नही होती है? इन तीनो प्रकरणों में पुलिस में केवल 420,34 के तहत अपराध दर्ज किया है, दस्तावेजी,पुख्ता साक्ष्य एवम गवाह होने के बाद भी मुख्य आरोपिणी रजनी सेठ को एवम फर्जी,कूट रचित नक्शा,बनाने वाले इंजीनियर मणि शंकर सोनी को,, रजिस्ट्री में अवैध निर्माण को, शासकीय भूमि पर किये गए निर्माण को अपनी निजी भूमि पर किया गया निर्माण बताकर, झूठी गवाही देने वालो को, ओर राजेश सेठ एवम बिल्डर के साथ आपराधिक सांठ गांठ, साजिश से झूठी सर्च रिपोर्ट बनाने वाले वकील ओर राजेश सेठ से घुस लेकर, फर्जी नक्शे, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऋण स्वीकृत करने वाले सेंट बैंक होम फायनेंस के तत्कालीन अधिकारी दुबे, शशि करणा, ASP राव, इन सभी लोगो को IPC की धारा 420,467,468,471,120B,34 के अंतर्गत FIR दर्ज करनी चाहिए, तो पुलिस का रवैया प्रारम्भ से ही स्वम् अभियोजन को कमजोर करने का, अपराधी को लाभ पहुचाने का क्यों रहता है ? पुलिस राजेश सेठ पर इतना मेहरबान क्यों है??ये तमाम सवाल खड़ा हो गया है।
पुलिस को दिक्कत क्या है उचित धाराओ में अपराध दर्ज करने में, जबकि दस्तावेजी साक्ष्य ओर गवाह मौजूद है ! तो पुलिस रिपोर्ट मात्र दर्ज कर,अपना कर्तव्य पूरा हो गया समझना समझ से परे है ही लेकिन तारबाहार पुलिस की इटनी मेहरबानी मिलीभगत की ओर इंगित करती है।