03 जुलाई को मोदी राज के विरुद्ध ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर रायपुर मे भी प्रतिरोध दिवस मनाया गया:- सौरा यादव ।।

Global36 गढ़ के संवाददाता नीलकांत खटकर।।

 

 

 

 

 

 

 

रायपुर 03/07/2020:– सी.पी.आई. (एम-एल) रेड स्टार,वर्ग जन संगठन अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान संगठन (AIKKS) आदिवासी भारत महासभा (ABM) और ट्रेड यूनियन सेंटर ऑफ इण्डिया(TUCI)के साथ मिलकर 03 जुलाई को फिंगेश्वर,छुरा,गरियाबंद,मैनपुर,देवभोग,भिलाई,एंव रायपुर मे कार्पोरेट फासीवादी मोदी सरकार के जन विरोधी नितियों के खिलाफ प्रतिरोध दिवस मनाते हुए राष्ट्रपति,और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया , राज्य सचिव सौरा यादव ने कहा कि कार्पोरेट फासीवादी मोदी सरकार के छः वर्षों के तानाशाही राज के बाद हमारा देश और जनता एक अत्यंत गंभीर परिस्थिति में है। विशेषकर तीव्र होते कोविड-19 महामारी को रोकने के प्रयासों, नवउदारवादी निर्भरता को और गहरा करती नोटबंदी से आर्थिक नीतियों की शुरुआत, पडोसियों के साथ लंबे समय तक अच्छे रिश्ते होने के बावजूद उन्हें न संभाल पाना और चीन के साथ बढता सीमा विवाद जिसके चलते लद्दाख में खिंचता जा रहा आमना-सामना और अलर्ट पर रखे गये सैन्य बल इस संकट को और तीव्र कर रहे हैं।

 

अत्यंत गरीब होते जा रही जनता की चिंता किये बगैर, वे अब भी अपनी नव-उदारवादी कार्पोरेट नीतियों को आगे ले जा रहे हैं। उनका विश्व स्वास्थ्य संगठन और देश के विशेषज्ञों की स्वास्थ्य आपातकाल लगाने की सलाह को नकार देना और कोविड 19 का महामारी का तोड लाॅकडाउन में देखने की सोच के चलते महामारी अब संकट जनक स्थिति में पहुंच चुकी है और कोविड संक्रमित मरीजों की संख्या 6 लाख से ज्यादा और मृतकों की संख्या पंद्रह हजार से ज्यादा हो चुकी है।

 

अब भी इसे रोकने के लिये उनके के पास कोई ठोस योजना नहीं है। जैसा कि लाॅकडाउन अचानक ही घोषित कर दिया गया, जिससे ट्रेन सेवायें, हवाई सेवायें और अंतर-राज्यीय बस सेवायें पूरी तरह बाधित हो गईं, जिससे लाखांे-लाख प्रवासी कामगार और शहरी क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोग बिना जानकारी, बिना नौकरी और बिना छत के फंस गये और उन्हें अस्थायी शिविरों में डाल दिया गया, जहां मूलभूत सुविधायें भी नहीं थी और इस तरह उन्हें भूखे-प्यासे, हजारों किलोमीटर के रास्ते को पैदल तय कर घर लौटने पर मजबूर होना पडा, और कोविड 19 से भी ज्यादा लोग इन हालातों में मारे गये। अब भी दसों-हजारों लोग इन अस्थाई केन्द्रों में फंसे हुये हैं। विदेशों में रह रहे प्रवासी कामगार, जिनमें विशेषकर 4.5 लाख रोजगार विहीन, भूखे भटकने पर मजबूर हो गये हैं, खाडी देशों में रह रहे बीमार मजदूर जो देश वापस लौटना चाहते हैं लेकिन उनके पास टिकट खरीदने के पैसे नहीं हैं, आदि लोग अत्यंत परेशानी में जी रहे हैं। बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे छोटे देशों ने अपने कामगारों की वतन वापसी करवा ली है, लेकिन मोदी सरकार इस मामले में भी धीरे चल रही है और पीछे है। इसी समय, सभी फैक्ट्रियां, दुकानें और अन्य कार्यस्थल बंद पडे हैं जिससे करोडों कामगार रोजगार विहीन हो चुके हैं और उनके भूखों मरने की स्थिति आ गई है। हलांकि मोदी सरकार ने कार्पोरेटों और कुलीन तबकों के लिये कई इंसेटिव पैकेजों की घोषणा की लेकिन जनता को राहत देने के लिये अब भी काफी कम प्रयास किये गये हैं। इस बीच मजदूर और किसान वर्ग के सभी लडकर हासिल किये गये अधिकारों को छीन लिया गया है। कोविड की आड में उन्हें बंधुआ मजूदर बनाने की योजनाबद्ध चालें चली जा रहीं है, जिसमें 12 घंटों का कार्यदिवस, नौकरी की गारंटी न होना, वेतन में कटौती इत्यादी शामिल हैं। इस आर्थिक संकट पर पूरा बोझ, उनके कंधों पर डाल दिया गया है। यदि खेतिहर मजदूर, भूमिहीन और गरीब किसान मुश्किलों में जी रहे हैं, तो यही हाल मध्यम वर्गीय किसानों का है। ग्रामीण और शहरी गरीबों को देखा जाये तो, बहुसंख्यक जनता रोजगारविहीन हो गई है, बदहाल है, भूखी है और कोविड 19 की चपेट में आने का खतरा उनके सिर पर मंडरा रहा है।
इसी समय, शुरुआत से ही मोदी सरकार ने हिंदुत्व का आक्रमण तेज किया है और इस्लामोफोबिया को फैलाया है। एक वर्ष पूर्व दूसरी बार सत्ता में आने के बाद, मोदी-शाह के शासन ने जीवन के हर क्षेत्र में हिन्दुत्व आक्रमण को तेज किया है जिसमंे राज्य तंत्र, मीडिया और न्यापालिका भी शामिल है। मुस्लिम जनता के साथ, दलित और आदिवासी भी लगातार हमलों का शिकार हो रहे हैं। आर.एस.एस परिवार उनके आरक्षण के अधिकार को छीन लेना चाहती है। नवउदारवादी परियोजनाओं के नाम पर लाखों आदिवासियों को उनके प्राकृतिक निवास से बेदखल किया जा चुका है, जिससे वे और दलित बडी संख्या में भूमिहीन, आवासहीन हो गये हैं। जिन लोगों में शहरों में प्रवास किया वे शहरों की गंदी बस्तियों में सड रहे हैं।और ऐसे वक्त पर चीन के साथ सीमा विवाद और आमना-सामना होने से, दोनो सीमाओं पर सैन्य बलों की तैनाती बढी है, जिसने चीनी राष्ट्रपति झी के साथ मोदी की व्यक्तिगत कूटनीति करने की बातों का पर्दाफाश किया है और इसके खोखलेपन को सामने लाया है। मोदी के नेतृत्व में भारत अमरीकी साम्राज्यवाद के साथ उसके जूनियर पार्टनर की तरह रणनीतिक साझेदारी विकसित करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन 1962 में जो हुआ उसके विपरीत, चीन एक साम्राज्यवादी शक्ति के रुप में वैश्विक प्रभुत्व हासिल करने के लिये अमरीका के साथ प्रतियोगिता कर रहा है और सीमा क्षेत्रों के मामलों में उसकी अपनी योजनायें हैं। लगभग 4000 किलोमीटर की सीमा पर एक समझौते करने व उसे जमीन पर रेखांकित करने के बाद ही शांति स्थापित हो सकती है। लेकिन मौजूदा नीति तो और भी कई टकराव पैदा करेगी, जिसके चलते सैन्य खर्चों में और ज्यादा बढोत्तरी की जायेगी जिससे जनता और गरीब और तंगहाल होती जायेगी। पूरी तरह देखा जाये तो, मोदी सरकार के पिछले छह वर्षों में, भारत एक अत्यंत आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक संकट से घिर चुका है, जिसमें राजनीति का फासीवादीकरण तेजी से बढ रहा है और पडोसियों से दूरी और ज्यादा बढती जा रही है। इन सभी नीतियों के गलत परिणमों से उपजी समस्याओं का पूरा बोझ जनता की पीठ पर लादा जा रहा है। भारत सबसे गंभीर हालात का सामना कर रहा है।
इसलिये, कामगार वर्ग, किसान वर्ग और सभी संघर्षरत, मेहनतकश जनता, दलितों, मुस्लिमों, महिलाओं और शोषित जनता के सामने एकमात्र विकल्प है कि वे सडकों पर उतरें और इस जनविरोधी, नव-फासीवादी सत्ता को चुनौती दें। हम सभी क्रांतिकारी कम्युनिस्ट ताकतों से अपील करते हैं कि अपने बीच की दूरी समाप्त करें और कामगार वर्ग को एकजुट करके, तैयारी करें और अपने एतिहासिक कर्तव्य को पूरा करें और किसानों और सभी शोषित वर्गों और तबकों के साथ मिलकर पूरे भारत में कार्पोरेट फासीवादी मोदी सरकार के खिलाफ, कार्पोरेट फासीवादी आक्रमण को रोकने और हराने और अपने अधिकारों को वापस हासिल कर उनका विस्तार करने की प्रतिबद्धता के साथ एक विशाल जुझारु सघंर्ष को तेज करें।
हमारी मांगें –
1. युद्ध छेडना और युद्धोन्माद फैलाना बंद करो ; सीमा विवादों को शांतिपूर्वक ढंग से द्वि-पक्षीय चर्चाओं के माध्यम से हल करो । हमें और युद्ध नहीं चाहिये।
2. जब तक कोविड 19 नियंत्रण में न आये, तब तक सभी निजि अस्पतालों को राज्य सरकारों और केन्द्र शासित सरकारों के नियंत्रण मे लाओ।
3. आवश्यक चिकित्सकीय खर्चों और मेडिकल/पैरा मेडिकल स्टाफ को बढे हुये वेतन/भत्ता देने हेतु जी.डी.पी के कम से कम पांच प्रतिशत का आर्थिक पैकेज जारी करो।
4. कोविड 19 तेजी से फैल रहा है, मुफ्त कोविड जांच और इलाज की व्यवस्था और क्वारंटाइन सुविधायें उपलब्ध करो।
5. सभी परिवारों को 45 किलो अनाज का मुफ्त मासिक राशन दो।
6. 1 जून से सभी रोजगारी विहीन लोगों, बेरोजगारों और जरुरतमंद लोगों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता दो।
7. कामगार वर्ग के सभी मूलभूत अधिकारों को वापस लागू करो। 12 घंटे का कार्य दिवस, वेतन कटौती आदि के सारे आदेश रद्द करो। सभी को रोजगार दो या सभी बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दो।
8. सभी फंसे हुये प्रवासी मजदूरों को अपने घर वापस लौटने के लिये ट्रेनों की व्यवस्था करो ; विदेशों में फंसे सभी रोजगार विहीन कामगारों को वापस लाओ ; विशेषकर खाडी देशों में फंसे 4.6 लाख कामगारों को सरकारी खर्चे पर वापस लाओ।
9. मनरेगा के तहत सभी जरुरतमंदो को प्रतिवर्ष कम से कम 200 दिन का रोजगार प्रतिन 500 रुपये के हिसाब से दो। शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरु करो।
10. कोविड-19 की आड में जारी अध्यादेशों को वापस लो। कृषि का और ज्यादा कार्पोरेटीकरण करने, राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने और कोर क्षेत्रों का निजिकरण करने के अध्यादेशों को वापस लो।
11. सी.ए.ए वापस लो और सी.ए.ए पर आधारित एन.पी.आर/एन.आर.सी रद्ध करो।
12. यू.ए.पी.ए वापस लो ; सी.ए.ए. विरोधी कायकर्ताओं सहित सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करो ; लोकतंत्र के लिये लडने वाले पत्रकारों, जनवादी कार्यकताओं पर एफ.आई.आर दर्ज करना बंद करो।
13.रेल्वे का निजीकरण करना बंद करो,कोल ब्लॉक को ,सार्वजनिक क्षेत्रो को निजि हाथो मे बेचनाऔर पेट्रोल डीजल का कीमतों में वृद्धि करना बंद करो,
कार्यक्रम में साथी तुहिन,हितेंद्र पालित,मदन लाल,संजय,रवि,गणपत,भारत भूषण ,तेज राम विद्रोही, रविद्रं मरकाम,बजरगं दास हरिशकंर यादव ,मनोज , भोजलाल नेताम,नदूं,उत्तम,ललित ,पद्मलाल,राजू,हेमलाल,नोहर,परमेश्वर,गोखरण,एंव अन्य साथियों ने भाग लिया ।

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