Exclusive संभागीय कोविड -19 हॉस्पिटल बिलासपुर के नोडल अधिकारी डॉ.अनिल गुप्ता से खास बातचीत….
संभागीय कोविड -19 के नोडल अधिकारी डॉ. अनिल गुप्ता से हमने कोरोना मरीजो के भर्ती से लेकर उनके ठीक होकर घर जाने तक के ट्रीटमेंट व उनके रहने के इंतजाम ।
इन सभी तमाम पहलुओं पर हमने उनसे विस्तार से बातें की.
आप भी पढ़िये डॉ अनिल गुप्ता ने इस पर क्या कहा……
रिपोर्टर- मरीज की एडमिशन से डिस्चार्ज होने तक कि प्रोसेस को थोड़ा स्टेप बाई स्टेप हमे बताइये।
डॉक्टर.- मरीज की जैसे ही हॉस्पिटल में एंट्री होती है हमारा एक स्टॉफ उन्हें लेने गेट पर आता है और साथ मे आये सभी को वहीं से बाहर भेज दिया जाता है। फिर उन्हें कोरोना वार्ड में ले जाया जाता है अगर सिंगल है तो कमरे में रखने की व्यवस्था है बहुत सारे पेसेंट एक साथ आये है तो हॉल में रखा जाता है । इसके बाद उसका आंकलन किया जाता है कि वायरस उनके शरीर मे किस स्टेज पर है माइल्ड है ,मोडरेड है या सीवियर । फिर उनकी हिस्ट्री ली जाती है और उस हिसाब से उन्हें वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। जो बहुत गंभीर है उन्हें आईसीयू में रखा जाता है और जो सामान्य लक्षणो वाले है उन्हें सामान्य वार्डो में रखा जाता है। वार्डो मे बेड सोशल डिस्टेंसिनग का पालन करते हुए लगाया गया है।कोविड हॉस्पिटल में जो भी मरीज आता है उन मरीजो का इलाज आम मरीजो के इलाज की पद्धति से अलग होता है। इन्हें एक आइसोलेशन में रखा जाता है ताकि इनका स्वाग हवा के द्वारा बाहर न फैल सके इसके बाद इनके कैटेगरी के अनुसार एक स्टैंडर्ड उपचार पद्धति तय की गई है उसी अनुसार उपचार शुरू किया जाता है।
रिपोर्टर- इन्हे इलाज में कोन कौन सी दवा दी जाती है।
डॉक्टर.- इसके इलाज को डिस्क्लोज नही कर सकते । पर पूरे विश्व मे समन्वय व अध्यन के आधार पर कुछ दवाएं निर्धारित की गई है जो इन्हें दी जाती है।
फिर डेली बेसेस पर इनकी जांच होती है कुछ हमारे पैरामीटर्स है जिनसे हमको पता चलता है कि मरीज अब ठीक हो रहा है इस दौरान मरीज को विधिवत दो टाइम का भोजन,सुबह का नास्ता, पीने का साफ पानी शासन प्रोवाइड करता है। वार्ड को बार बार शेनेटाइज़ किया जाता है। सभी डॉक्टर्स,नर्सेस व,सफाई कर्मी को मरीजो को बचाते हुये खुद को भी बचाना है । इस पद्धति को अपनाते हुए इस इलाज को किया जाता है।
रिपोर्टर- मरीजो को रखने की कोई समय सीमा रखा गया है।
डॉक्टर-मरीज के भर्ती होने के 5 वे दिन इनकी एक ब्लड सेम्पल जांच के लिए ली जाती है अगर वो निगेटिव आई तो दूसरा फिर 24 घंटे के अंतर में एक और सेम्पल ली जाती है अगर वो भी निगेटिव आ गई तो उसी दिन या उसके अगले दिन मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
रिपोर्टर- जाँच के लिए सेम्पल कहा भेजा जाता हैं।
डॉक्टर-अभी फिर हाल रायपुर एम्स भेजा जा रहा है
रिपोर्टर- रिपोर्ट कब तक आ जाती है।
डॉक्टर- 24 से 48 घंटो अमूमन रिपोर्ट आ जाती है।
रिपोर्टर-मरीज की पहले से कोई दवाई चल रही है जैसे कि शुगर,हाई बीपी,हार्ट या अन्य कोई बीमारी की तो इलाज में कोई फर्क पड़ता है या उसे बन्द करा दिया जाता है।
डॉक्टर- मरीज जब भर्ती होता है तब इन सारी बातों की जानकारी ले ली जाती है और इन सभी दवाओं के साथ कोविड कि भी दवा चालू रही जाती है।
रिपोर्टर-क्या ऐसी कोई बीमारी है जिसके मरीज को जोन से कोविड के इलाज में दिकत आती हो।
डॉक्टर- नही, अभी तक तो नहीँ ।
रिपोर्टर-कोई ऐसा मरीज भर्ती है जो नहाना धोना खुद से नही कर पा रहा हो शारिरिक असक्षम हो तब उसकी मद्दत कौन करता है।
डॉक्टर-उस अवस्था मे हमारे पास वार्ड बॉय,आया बाई है उसकी मद्दत के लिए।
रिपोर्टर-मरीज 24 घंटे अंदर एक कमरे में है तो क्या उनके पास मोबाइल फोन रहता हैं।
डॉक्टर-इसे रखने की अनुमति नही दी गई है क्योंकि इसमें वाइरस चिपक कर रह जाने का खतरा बना रहता है छुपा कर कोई रखा हो तो अलग बात है।
रिपोर्टर-कोविड के स्टाफ की शेड्यूल क्या निर्धारित की गई है व इनके सेफ़्टी के लिए क्या क्या व्यवस्थाये किये है।
डॉक्टर-ये प्रबंधन व प्रशासन का विषय हैं । वैसे 6 घंटे से ज्यादा की डयूटी नही ली जाती।
रिपोर्टर-ऐसा सुना है हमने की हमारे प्रदेश में वाइरस की तीब्रता अन्य जगहों से कुछ कम है क्या सही है।
डॉक्टर- हाँ, हमे भी कुछ ऐसा ही लगता है।
रिपोर्टर-कोई ऐसा मरीज है जो ज्यादा दिनों तक एक ही कमरे में बंद से परेशान होकर हल्ला मचाया हो। यदि ऐसा होता है तब क्या करते है।
डॉक्टर- एक कमरे में बंद रहकर मानसिक तनाव आने की संभावना रहती है हमने यहां ऑडियो विजुअल सिस्टम लगाया हुआ है जिससे लगातार माइक से एलाउंस कर सांत्वना व समझाईस देते रहते है फिर भी कोई परेशान होता है तब उनके फैमिली वाले से उनकी बात करा दी जाती है। अभी 37 मरीज एडमिट है और किसी भी मरीजो में मानसिक तनाव जैसी कोई बात सामने नही आई है।
रिपोर्टर-अंदर मरीजो के एंटरटेनमेंट के लिए क्या है।
डॉक्टर-सभी जगह टीवी लगा हुआ है मरीज ही नही सारे स्टाफ वालो के लिए ये सुविधा दी हुई है। ताकि किसी को भी मानसिक तनाव महसूस न हो।
साथ ही डॉ, गुप्ता ने हमे बताया कि बिलासपुर का कोविड-19 हॉस्पिटल राष्ट्रीय मापदण्ड के अनुरूप बनाया गया एक बेहतरीन हॉस्पिटल है ।जिसमें मरीजो व मेडिकल स्टाफ की हर चीज़ो का बेहतर ढंग से ख्याल रखकर बनाया गया है।
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