कोविड -19 की इस आपदा समय मंदिर का शिलान्यास कितना सही है।।क्या इस समारोह में दलित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आमंत्रित होंगे।।
न्यूज डेस्क – अयोध्या में राम जन्मभूमि के पुजारी प्रदीप दास कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। वह प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के शिष्य हैं। इसके साथ ही राम जन्मभूमि की सुरक्षा में लगे 16 पुलिसकर्मी भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री का अयोध्या जाकर भूमिपूजन के प्रोग्राम में भाग लेना कितना सही है ?एक महत्वपूर्ण बात ये भी है जिसको मीडिया जानबूझकर छिपा रही है कि 9 नवंबर 1989 के दिन अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमिपूजन और शिलान्यास दोनों हुआ था। अयोध्या में भूमि पूजन और शिलान्यास करने वाले कामेश्वर चौपाल थे जो एक दलित थे तो अब यह भूमिपूजन दुबारा क्यों किया जा रहा है?
क्या दलित के हाथों किया गया भूमिपूजन इन्हें रास नहीं आ रहा है जो दुबारा भूमिपूजन करवाया जा रहा है?
किसी भी पंडित से पूछ लीजिए भूमिपूजन का 5 अगस्त को कोई मुहूर्त ही नही है, शास्त्रोक्त आधार पर भूमिपूजन का मुहूर्त पर ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं लेकिन फिर भी पता नही क्यों ऐसे गलत निर्णय लिए जा रहे है?भूमि तो अदालत ने राम मंदिर को दे ही दी है एक बार भूमिपूजन और शिलान्यास दोनों ही आयोजन किये जा चुके हैं तो कोरोना काल में इतना अधिक रिस्क लेकर द्वारा भूमिपूजन करने का क्या तुक बनता है कोई तो समझा दे? एक तरफ केंद्र की बीजेपी सरकार कोवि़ड -19 को देखते हुए पूरे देश में कोई समारोह आयोंजन नहीं करने का खुद निर्देश दिया है जिसका सभी राज्य कड़ाई से पालन कर रहे हैं और उनके द्वारा राम मंदिर का शिलान्यास कराने एक बड़ा आयोजन कराया जा रहा है जो कितना उचित है,यदि इस समारोह के बाद कोरोना भयावह रूप लेे लेे तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा वहीं दूसरी ओर भारत का बड़ा तबका के मन में सवाल उठा रहा है कि क्या इस अवसर पर भारत के दलित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आमंत्रित किया जाएगा लेकिन इस सवाल का जवाब तो 5 अगस्त को ही मालूम चलेगा।
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