“चिरमिरी जन्नत” – संदीप गौड़ ‘बादल’की एक सुंदर कविता पढ़िये….
चिरिमिरी 31 जुलाई 2020/*
*प्रकृति के गर्भ में बसा शहर हमारा है,*
*चिरिमिरी जन्नत कह कर जनता ने पुकारा है।*
*आबादी जरा कम है मगर सुख शांति सारा है,*
*एक दूजे से प्रेम और आपस मे भाई चारा है।*
*वादियों से ढका हुआ छत्तीसमोड़ का रास्ता है,*
*दृश्य देख कर लगता है मानो स्वर्ग से कोई वास्ता है।*
*कोयले के खानों से श्रमिकों का होता गुजारा है,*
*बरतुंगा में ओपन कास्ट का शानदार नजारा है।*
*हल्दीबाड़ी मार्ग चलने पर आँखों में होती नमी है,*
*सहीद राजेश पटेल की हर बार महसूस होती कमी है।*
*पहाड़ो वृक्षों से अच्छादित हर सुहानी शाम है,*
*पोंडी में स्थित महाप्रभु जगन्नाथ जी का धाम है।*
*छतीसगढ़ के शिक्षा में चिरिमिरी का पुराना है काम,*
*लाहिड़ी महाविद्यालय का जरूर सुना होगा नाम।*
*डोमनहिल, गोदरिपारा, बड़ीबजार और अनेक स्थान है।*
*कोरिया, हल्दीबाड़ी के पहाड़ों पर सिद्ध बाबा विराजमान है।*
*क्रीड़ा के क्षेत्र में भी अलग पहचान है,*
*अमर-कुंज हिरागिर, लाल बहादुर, जैसे विराट खेल मैदान है।*
*कुछ दूर चलने पर शुकुन पाता दिल हमारा है,*
*वर्षा ऋतु में चरम पर होता अमृत धारा है।*
*इन सुंदरता के बीच राजनीति का इतिहास भी पुराना है,*
*प्रत्येक घर में किसी दल विशेष का दोस्ताना है।*
*हर शाम चाय और राजनीति होती एक साथ है,*
*वर्षो से एक उद्योग ना लगा ये बड़े दुख की बात है।*
*सुंदरता में कश्मीर जैसा ही शहर हमारा है,*
*हमारा चिरिमिरी हमें जान से प्यारा है।*
*समय निकाल कर आना सभी मन्नत पूरी कराएंगे,*
*प्रकृति माँ के गोद में बसी चिरिमिरी जन्नत घुमाएंगे।।*
संदीप गौड़ बादल
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