जिनको बनना था आरोपी,वो बन गए प्रार्थी, तारबहार पुलिस की गजब कहानी ।। आज के अतिथि संपादक पवन गोयल आरटीआई कार्यकर्ता बिलासपुर की लेख,उन्हीं की जुबानी।।

Global36 गढ़ के संवाददाता नीलकांत खटकर।।

बिलासपुर – रजनी सेठ, तारबाहर बिलासपुर निवासी ने पहले तो खसरा नम्बर 903 की गाव ठान मद की शासकीय भूमि को अपने ही पति राजेश सेठ के नाम पर फर्जी मालिकाना हक-अधिकार की रजिस्ट्री करायी ! जबकि रजनी सेठ के पास उक्त भूमि का न तो पट्टा है, न कोई शासकीय आवंटन पत्र या अनुमति है ! केवल सम्बन्धित पटवारी से 4 साल से काबिज होने का प्रमाण पत्र लिया, दस्तावेजी साक्ष्य के लिए नगर निगम में टेक्स पटाया और रजिस्ट्री अपने पति राजेश सेठ के नाम पर भी कर दी ! उक्त रजिस्ट्री में शासकीय रजिस्ट्री विभाग एवम आयकर विभाग को चकमा देने के लिए दोनों पति-पत्नी ने एक साथ,एक ही मकान में रहते हुए भी, अपना-अपना अलग-अलग पता लिखवाया, ताकि आयकर विभाग का नोटिस आये भी तो उन्हें प्राप्त न हो सके? आयकर विभाग का नोटिस इसलिए आने की संभावना अधिक थी कि इन ठगों को यह जानते थे कि उक्त खरीदी बिक्री में जो लगभग 34 लाख रु का लेनदेन लिखवाया गया है, वो नकद लेनदेन लिखवाया गया है, ओर ऐसे नकद लेनदेन पर आयकर अधिनियम की धारा 269 एस एस के तहत 34 लाख पर 34 लाख जुर्माने का प्रावधान है ! 34 लाख की खरीदी बिक्री में केवल 20 हजार से अधिक नकद लेनदेन पर ही 34 लाख जुर्माने का प्रावधान है और इस मामले में तो रजनी सेठ पर शुद्ध 34 लाख की आय पर 30% आयकर की अलग से देनदारी भी बनेगी क्योकि रजनी सेठ का यह विक्रय राशि 34 लाख शुद्ध मुनाफा है, उनकी यह फ्री की शासकीय जमीन है, यदि रजनी सेठ ने यह भूमि किसी और से खरीदी होती तो खरीदी मूल्य राशि को, विक्रय मूल्य में से घटाकर, ही शुद्ध आय मानी जाती। रजनी सेठ,राजेश सेठ द्वारा किये असली फर्जीवाड़े की शुरुवात यहीं से हुई है, पति राजेश सेठ ने उक्त गाव ठान मद की खसरा न 903 कि शासकीय भूमि विक्रय की रजिस्ट्री को एक अन्य खसरा न 906/2 की निजी भूमि सहित बैंक आफ बड़ोदा बिलासपुर में गिरवी रखा और ले लिया लगभग 2 करोड़ रु का कर्ज !
ये लोग यहीं नही रुके, जब हराम की दौलत में मजा आने लगे तो इंसान की अपेक्षाएं बढ़ जाती है ! इसके बाद रजनी सेठ,राजेश सेठ ने मिलकर बिना किसी पट्टे, रजिस्ट्री, दस्तावेज,शासकीय अनुमति, बिना किसी कानूनी अधिकार के इसी खसरा न 903 कि शासकीय एवम गांव ठान मद की 1040 वर्गफीट और भूमि को रजनी सेठ ने अपने पति राजेश सेठ को मात्र 50 रु के स्टाम्प पेपर पर विक्रय एवं कब्जा दिखाकर , ( ये जितने भी ठग होते है इस प्रकार के, इनको पैसे खर्च करने में बहुत परेशानी होती है, ये लोग तभी पैसे खर्च करते है जब जेल जाने की नोबत आती है, इसलिए 1040 वर्गफीट की बिक्री नामा ओर कब्जा पत्र मात्र 50 रु के स्टेम्प पर रजनी सेठ ने अपने पति राजेश सेठ के नाम पर विक्रय पत्र बनाया क्योकि रजिस्ट्री खर्च लाखो रु लगता ! उनकी यह 1040 वर्गफीट की गाव ठान मद की खरीदी-बिक्री 50 रु मात्र के स्टाम्प पेपर पर पूर्णतया अवैध एवम गैरकानूनी है ) कुछ खसरा नम्बर 906/2 की निजी भूमि को शामिल कर, ओर दोनों भूमि को मिलाकर, नक्शा लगा दिया नगर निगम बिलासपुर में पास होने के लिए, लेकिन मामला वँहा अटक गया, जब नगर पालिका निगम बिलासपुर ने केवल खसरा न 906/2 की निजी भूमि पर केवल एक तीन मंजिला मकान बनाने की अनुमति दी,और खसरा न 903 कि भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नही दी ! यह अनुमति भी केवल स्वत् उपयोग के निर्माण हेतु प्रदाय की गयी, अलग अलग मंजिल को फ्लेट के रूप में बेचने के लिए नही ! ततपश्चात बंटी बबली रूपी रजनी सेठ, राजेश सेठ को लगा कि उनके फ्राड से रातो रात धनकुबेर बनने के सपने हो रहे है चकनाचूर ? तो ये लोग मिले एक ओर ठग से, ओर इस ठग को भी आर्थिक लालच वश अपनी ठगी की योजना में शामिल किया, यह ठग है मणि शंकर सोनी, जो किसी मामले में जेल गया है? जो आर्किटेक्ट है ! रजनी सेठ,राजेश सेठ ने मणि शंकर सोनी से बनवाया एक फर्जी,बनावटी,कूट रचित नक्शा,उक्त नक्शे पर हु-ब-हु नगर पालिका निगम के भवन निर्माण अधिकारी,इंजीनियर, के असली जैसे हस्ताक्षर,सील आदि सब फर्जी,कूट रचित लगाये, तथा भवन निर्माण अनुज्ञप्ति का दिनाक ओर सीरियल नम्बर भी एक रखा, ताकि किसी को सन्देह न हो? पुराने असली पास नक्शे में केवल 3 मंजिला मकान बनाने की असली अनुमति थी तो इस फर्जी,कूट रचित नक्शे में,कई फ्लैट का नक्शा नगर पालिका निगम से पास होना दर्शाया गया ताकि बैंको से कर्ज मिल सके ? इसके बाद शुरू हो गया इनका ठगी का धंधा, ओर सेंट बैंक को चुना लगाने की योजना !
अब बिल्डर,रजनी सेठ,राजेश सेठ के सामने दिक्कत यह थी कि शासकीय गाव ठान मद की शासकीय भूमि पर अवैध निर्माण को फर्जी,नक्शे के आधार पर वेध तो कर लिया लेकिन फ्लेट का खरीददार किसे बनाये ओर कर्ज किसके नाम पर ले ताकि घूम फिर कर पैसा रजनी सेठ ओर राजेश सेठ को ही मिले ? अपनी ठगी की योजना को आगे बढाते हुए, इन्होंने 2-2 लाख रु का लालच देकर, 3 ऐसे फर्जी खरीददारों को तैयार किया, जो बनावटी, मात्र दिखावे के फ्लैट खरीददार बने, केवल सेंट बैंक होंम फायनेंस से किसी भी तरह से करोड़ो का चुना लगाया जा सके ? रजनी सेठ, राजेश सेठ ने इनके नाम पर 3 अलग अलग फ्लेट की रजिस्ट्री करायी रजिस्ट्री में फ्लैट की वास्तविक कीमत से बहुत अधिक कीमत लिखवाई गयी ताकि बैंक से अधिक से अधिक कर्ज मिल सके? लगभग 20 लाख वाली सही और असली कीमत वाले फ्लेट की रजिस्ट्री लगभग 40 लाख में खरीदना बताकर रजिस्ट्री करायी गयी ! और इनको मालूम था कि 40 लाख में फ्लैट खरीदना बतायेगे तब बैंक से 30 लाख कर्ज मिलेगा ? शेष 10 लाख फर्जी,बनावटी खरीददार द्वारा रजिस्ट्री में 10 लाख रु भुगतान के जो फर्जी चेक नम्बर दर्शाये गये उन चेको का भुगतान कभी हुआ नही, ओर फर्जी खरीददार होने की वजह से भुगतान करने की जरूरत भी नही थी ! यह फर्जी,बनावटी खरीददारों के ओर रजनी सेठ ओर राजेश सेठ के बीच मूक समझौता ओर आपराधिक साजिश,सांठ-गांठ का परिणाम था ! कि बैंको को गुमराह करके चुना लगाने के लिए ओर रजिस्ट्री दस्तावेजो में रजिस्ट्री कार्यालय की औपचारिकता मात्र पूरी करने के लिए रजिस्ट्री दस्तावेजो में फर्जी भुगतान दर्शाया गया ! अब फर्जी, कूट रचित नक्शे के आधार पर ओर फर्जी खरीददारों की शासकीय जॉब होने की पे-स्लिप,
आधार,पहचान पत्र के आधार पर इनको सेंट बैंक होंम फायनेंस बिलासपुर शाखा से करोड़ो रु का कर्ज मिल गया, जो सीधे रजनी सेठ,राजेश सेठ को प्राप्त हुआ ! ठग लोग अपनी ठगी की योजनाओं को इस तरह बनाते है कि ताकि वो भविष्य में कानूनी दाव पेंच में लोगो को मात दे सके? रजनी सेठ, राजेश सेठ ने फ्लैट विक्रय दस्तावेजो में विक्रेता के रूप में स्वम् रजनी सेठ,राजेश सेठ का नाम लिखवाया, लेकिन बैंको से स्वीकृत ऋण राशि को किसी वालिया एन्ड कम्पनी के खाते में प्राप्त किया, ताकि आने वाले समय मे थाना, अदालत में यह बोल सके कि उन्होंने कोई भुगतान प्राप्त नही किया है, ओर वालिया एन्ड कम्पनी का मालिक/पार्टनर/कर्ता-धर्ता कौन है किसी खरीददार को नही मालूम ? कि यह किसकी फर्म है ? चूंकि ये तीनो खरीददार फर्जी खरीददार थे, इनको न बैंक की किश्त अदा करने की चिंता थी, ओर न ये फ्लेट के वास्तविक मालिक एवम खरीददार थे, इसलिए चिंता मुक्त थे, राजेश सेठ रजनी सेठ ने इनको जो 2-2 लाख का लालच दिया था उस वायदा रकम में से रजनी सेठ,राजेश सेठ ने कुछ किश्त सेंट बैंक को अदा की ! कुछ महीनों बाद कर्ज की पूरी राशि रजनी सेठ, राजेश सेठ को मिलने के बाद राजेश सेठ ने ऋण की किश्त अदा करनी बन्द कर दी, ओर इन फर्जी खरीददारों को 2-2 लाख देने का अपना वायदा भी नही निभाया ! तब सेंट बैंक ने ऋण की किश्त वसूली हेतु नोटिस भेजना शुरू किया, तब ये फर्जी,बनावटी खरीददार नींद से जागे ? और बैंक पर झूठे आरोप लगाकर, 420 की झूठी FIR दर्ज करा दी ! जबकि राजेश सेठ, रजनी सेठ सहित सेंट बैंक के साथ ठगी करने में ये तीनो फर्जी खरीददार, 2-2 लाख के लालचवश, बराबर के हिस्सेदार है !
इस मामले में असली ट्विस्ट तब आया, यह ठगी की कहानी और रोचक तब हुयी है,जब इन तीनो तदाकथित,फर्जी खरीददारों, पीड़ितों का एक ऐसे व्यक्ति से सम्पर्क हुआ,जो सेंट बैंक में कार्यरत एक शादीशुदा महिला का पागलों की तरह दीवाना है और वो महिला उसको भाव नही दे रही है, या यूं कहें कि उसकी डिमांड पूरी नही कर रही है ! उक्त व्यक्ति की पत्नी भी उसको अय्यासी की आदतों की वजह से अलग रहती है, उक्त व्यक्ति को ये तीनो फर्जी खरीददार मोहरे मिल गये ! ओर इनसे प्रकरण में समस्त कागची कार्यवाही फ्री में करूँगा, कहकर पॉवर ऑफ अटर्नी ले लिया ! अब तो उक्त दीवाने को कभी भी किसी भी बहाने से सेंट बैंक में जाने का इन तीनो फर्जी खरीददारों की तरफ से कानूनी अधिकार जो मिल गया ? अंततः सेंट बैंक में कार्यरत चरित्रवान उक्त महिला ने तंग, मजबूर होकर उक्त दीवाने के विरुद्ध IPC-354 की FIR दर्ज करवानी पड़ी है ! मामला लम्बित है,ततपश्चात, उक्त तीनों फर्जी खरीददारों की पॉवर ऑफ अटर्नी के बल पर,उक्त दीवाने ने एक FIR सेंट बैंक वालो सहित उक्त महिला, जिसके पीछे उक्त दीवाना पड़ा है, के खिलाफ 420 की FIR, अजाक थाना बिलासपुर में दर्ज करा दी ! जबकि सेंट बैंक के साथ बिल्डर रजनी सेठ, राजेश सेठ के साथ मिलकर ठगी स्वम् फर्जी खरीददारों ने की है, ओर सेंट बैंक की उक्त महिला कर्मी का फायनेंस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कोई अहम भूमिका भी नही है, फिर भी अय्यास दीवाने की मांग पूरी नही होने की वजह से जबरन उक्त महिला का नाम भी FIR में दर्ज कराया है ! जबकि असली अपराधी,असली ठगी करने वाली मुख्य आरोपी रजनी सेठ के खिलाफ FIR में कोई कार्यवाही नही की गयी है, ! वैसे भी राजेश सेठ, समस्त ठगी की प्रक्रिया में रजनी सेठ से पॉवर ऑफ अटर्नी होल्डर मात्र है, अर्थात ठगी की योजना में असल जिम्मेदार रजनी सेठ मानी जायेगी, जो कि FIR में आरोपी ही नही है ! हम सेंट बैंक की उक्त चरित्रवान महिला को सेल्यूट करते है कि वो महिला उक्त अय्यास,दीवाने के सामने नही झुकी है ! और जमानत आदि सब विषम परिस्थितियों का डटकर मुकाबला कर रही है ! फिर भी उक्त अय्यास दीवाना बिना किसी उद्देश्य के आये दिन किसी न किसी बहाने सेंट बैंक जाकर महिला स्टाफ के सामने अभद्रता करते हुए एक तरह से भय आंतक का माहौल निर्मित कर रहा है ! जिससे सेंट बैंक की सभी महिला कर्मी उक्त दीवाने से स्वम् को असुरक्षित एवम आतंकित महसूस करती है !
बिल्डर रजनी सेठ,राजेश सेठ ओर फर्जी खरीददारों की ठगी का अंजाम निर्दोष सेंट बैंक वाले भुगत रहे है ! यह सम्भव है कि तत्कालीन कोई भृष्ट सेंट बैंक अधिकारी भी बिल्डर रजनी सेठ, राजेश सेठ से मिला हो? तो जांच में केवल असली जिम्मेदार एवम दौषी को ही आरोपी बनाया जाये, हमारी निजी जांच में यह सच सामने आया है कि सेंट बैंक के तत्कालीन अधिकारी /कर्मचारी शशि भूषण करणा एवम अभय दुबे की बिल्डर रजनी सेठ,राजेश सेठ के साथ न केवल मिलीभगत थी, बल्कि इन दोनों की अघोषित पार्टनरशिप भी थी ! ठगों का सम्पर्क ठगों से ही होता है, एक ठग को दूसरे ठग से मिलन हो ही जाता है, अभय दुबे भी फर्जी दस्तावेजो पर सेंट बैंक की जॉब हासिल किया था,मैनेजमेंट को पता चलते ही उनको जॉब से निष्कासित किया जा चुका है ! लेकिन यंहा तो मामला दीवाने का है ! दीवाने की जिद का है ! ओर पुलिस ने न केवल अपराधियो को प्रार्थी बना दिया,बल्कि सेंट बैंक के अन्य निर्दोष व्यक्तियों को भी आरोपी बना दिया ? सुप्रीम कोर्ट भी फैसले में बता चुका है कि आपसी रंजिस में की गयी शिकायत में ST/SC एक्ट के तहत शिकायत दर्ज नही होगी, ओर प्रकरण में आपसी रंजिस सेंट बैंक महिला कर्मचारी की पहले से दर्ज FIR 354 के अंतर्गत में आपसी रंजिस ओर कारणों का स्पस्ट उल्लेख कर चुकी है ! यदि पुलिस की जांच एवम कार्यवाही निष्पक्ष होगी तो असली अपराधी ओर ठग रजनी सेठ, राजेश सेठ, फर्जी खरीददार, रजिस्ट्री के गवाह, फर्जी, बनावटी,कूट रचित दस्तावेज नक्शा बनाने में शामिल मणि शंकर सोनी एवम फर्जी,बनावटी सांठ-गांठ से झूठी सर्च रिपोर्ट बनाने वाले वकील हरीश दीक्षित सहित अन्य सभी लोग, असली गुनहगार ओर असली ठग है ! किसी दबाव या लालच में पुलिस के लिए FIR दर्ज करना पुलिस की मर्जी की बात है, लेकिन FIR तभी सार्थक होगी,जब वास्तविक अपराधियो को सजा मिले, पर्याप्त साक्ष्य हो और दमदार अभियोजन ओर गवाह हो? लेकिन अजाक थाने में दर्ज FIR ओर एक अन्य फर्जी खरीददार संतोष राय की,थाना तारबाहर बिलासपुर में दर्ज FIR में अभियोजन सिद्ध करना पुलिस के लिए अदालत में आसान नही होगा ! ऐसे अभियोजन ओर झूठी वाही वाही, कार्यवाही किस काम की ? कि मामला हो कुछ और, ओर बना दिया जाये कुछ और ??
यह निर्विवाद सत्य है कि राजेश सेठ ठगी के मामले में बिलासपुर में अग्रणी चल रहा है, राजेश सेठ, रजनी सेठ पर 12 आर्थिक आपराधिक,ठगी मामलों की दस्तावेजी साक्ष्य ओर सूची हमारे पास है ! ठगी करना, किसी की सम्पति हड़पना, किसी के नाम पर फर्जी,कूट रचित दस्तावेज बनाना, किसी के फर्जी हस्ताक्षर करने का आदतन आदी है राजेश सेठ ! राजेश सेठ की ठगी की दुकान ओर कारनामे यू ही चलते रहते? यदि राजेश सेठ, पवन गोयल ओर शीतला प्रसाद त्रिपाठी द्वारा बनायी गयी और चुनाव आयोग से पंजीयन करायी गयी उनकी राजनीतिक पार्टी “आप सबकी अपनी पार्टी ” को फर्जी हस्ताक्षर ओर फर्जी,कूट रचित दस्तावेजो के आधार पर हड़पने में नियत खराब नही करता ! पवन गोयल एवम शीतला प्रसाद त्रिपाठी की बनायी गयी पार्टी को हड़पने की आपराधिक साजिश राजेश सेठ की बड़ी भूल साबित हुयी, इसके बाद ही पवन गोयल ओर त्रिपाठी ने राजेश सेठ की कुंडली खंगालना शुरू किया तो पवन गोयल ओर त्रिपाठी को राजेश सेठ का हर जगह फर्जीवाडा मिलता गया ! पवन गोयल ओर त्रिपाठी का कहना है कि हमारे द्वारा बनायी एवम पंजीयन करायी पार्टी को तो राजेश सेठ को वापिस करना ही होगा तथा जेल भी जाना होगा ! पवन गोयल एवम त्रिपाठी द्वारा राजेश सेठ सहित अन्य कई लोगो के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की गयी है, जो लम्बित है ! राजेश सेठ ओर फर्जीवाड़े के इतने मुकदमे है कि या तो राजेश सेठ सुधर जायेगा? या उनका आगामी बुढापा जेल में व्यतीत होगा ? यह समय बतायेगा !

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