कैबिनेट की बैठक में फिर स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगोंकी अनदेखी।
रायपुर – स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश मीडिया प्रभारी हरीश सन्नाट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि मंगलवार को हुई छत्तीसगढ़ के मंत्री परिषद की बैठक में स्वास्थ्य विभाग के रीढ़ ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारियों को फिर से निराशा हाथ लगी, स्वास्थ्य विभाग के नियमित कर्मचारी स्वास्थ्य संयोजकों के साथ इस सरकार के द्वारा भी सौतेला व्यवहार किया गया है| संघ के प्रांताध्यक्ष टारजन गुप्ता एवं प्रांतीय सचिव प्रवीण ढ़ीडवंशी ने बताया कि सरकार जितना महत्व शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को दे रही है उतना ही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की अनदेखी भी हो रही है, स्वास्थ्य संयोजक शासन के सभी राष्ट्रीय कार्यक्रमों का क्रियान्वयन के साथ साथ सरकार की योजनाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाने का कार्य कर रही है जिसमें गर्भवती माता जाँच व टीकाकरण, नवजात शिशु देखभाल व टीकाकरण, मलेरिया, टीबी, कुष्ठ, फाइलेरिया एवं उल्टी दस्त जैसे रोगों की रोकथाम के लिए काम करती है आज छ.ग. मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने वाला पहला राज्य बना है ये स्वास्थ्य संयोजकों के ईमानदारी पूर्वक किये गए कार्य का परिणाम है | शिक्षा मनुष्य की बुनियादी आवश्यकता है किंतु अच्छा स्वास्थ्य सबसे प्रथम बुनियादी आवश्यकता होती है क्योंकि स्वस्थ्य मनुष्य ही असली शिक्षा ले सकती है |वर्तमान में सारा विश्व कोविड -19 जैसे वैश्विक महामारी से जूझ रहा है इससे भी स्वास्थ्य कर्मचारियों कि भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है एवं इसके रोकथाम के लिए सर्वप्रथम पंक्ति में खड़े होकर स्वास्थ्य कर्मचारी चपेट में भी आये और स्वस्थ्य होने के बाद भी इस महामारी के लड़ाई में फिर से अपने अदम्य साहस के साथ खड़े हो गए है| स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी अपने वेतन विसंगति को दूर करने 2200 से 2800 ग्रेड पे कि मांग को लेकर संघर्षरत है एवं विगत सरकार के समय 47 दिवस को अनिश्चितकालीन हड़ताल कर अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए थे, जिसमें प्रदेश के 1262 कर्मचारी को बर्खास्तगी का सामना भी करना पड़ा था, स्वास्थ्य संयोजकों को नए सरकार पर पूरा भरोसा एवं पूरी उम्मीद थी, जिस तरह से स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों के वेतनमान में बढोत्तरी को लेकर बयान दिया गया है एवं कोरोना भत्ता देने का आश्वाशन दिया गया है, उस पर कैबिनेट बैठक में किसी प्रकार का कोई निर्णय एवं चर्चा न होना स्वास्थ्य संयोजकों में निराशा का माहौल है |वर्तमान परिस्थिति में कोविड-19 जैसे महामारी में मंत्रिपरिषद की बैठक में स्वास्थ्य संयोजकों की अनदेखी से निराशा ही हाथ लगी है | आगे की रणनीति के लिए पुनः मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर मांगो को लेकर संघ के प्रतिनिधिमंडल मिलेंगे |
वहीं स्वास्थ्य विभाग की स्टॉफ नर्स संघ की सदस्य नीलिमा शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार की कैबिनेट की बैठक विगत दिवस संपन्न हुई जिसमें हमारी दो प्रमुख मांगों पर भी कोई विचार नहीं किया।जिस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस वक्त हम कोवि ड – 19 आपदा से हम दिन रात जुटे हुए हैं हमारी मांगे बहुत पुरानी और लंबित है।पूर्व में 2018 में हमने 18 दिन से ज्यादा आंदोलन किया था हमें अपनी मांगो के लिए 3 दिन जेल में भी रहना पड़ा था जिस तकलीफों से हमने आंदोलन किया और आश्वासन के बाद आंदोलन खत्म किया कभी नहीं भूल सकते हमारे उस आंदोलन को बीजेपी की तात्कालीन सरकार ने अपनी महिला अधिकारियों से प्रताड़ित करा कर जबरदस्ती आंदोलन को कुचला। हमें 45 दिनों की मोहलत मिली थी लेकिन अभी दो साल होने को है हमारी मांगों पर वर्तमान सरकार फिर अनदेखी कर रही है।कैबिनेट की बैठक में इस ओर कोई ध्यान नहीं देना दुखद पहलू है हमें उम्मीद थी कि कैबिनेट की बैठक में हमारी दो प्रमुख मांगों (4600 रू ग्रेड पे करने और पदनाम नर्सिंग ऑफिसर करने) को निश्चित ही लागू किया जाएगा और उम्मीद भी थी लेकिन छ ग सरकार ने फिर हमें धोखा दे गई जबकि वित्त विभाग ने भी मंजूरी दे दी है तथा विगत दिवस माननीय मुख्य मंत्री महोदय भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव जी से हमारा संघ ने इस बाबत सौजन्य भेंट की थी उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि जल्द ही दोनों मांगों को लागू कर दिया जाएगा लेकिन बैठक में हमारी समस्याओं का निराकरण न करना सरकार की कथनी और करनी में अंतर नजर आ रही है।हमारे साथ भेदभाव हुआ है हम बहुत जल्द आंदोलन का रूपरेखा तैयार करेंगे हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है जो अनुचित है कहा।
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