ड्यूटी पूरी होने के बाद बिना जांच व कोरेन्टीन किये सिम्स स्टाफ को भेजा जा रहा घर,जांच की मांग करने पर दिया जा रहा नये आदेश का हवाला ।
बिलासपुर सिम्स प्रशासन ने अपने ही मेडिकल स्टाफ के लिए ऐसा फरमान जारी कर दिया कि स्वास्थ्य कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई।जिसके लिए ये आज जिला प्रशासन के पास भी गुहार लगाई पहुँची थी मगर वँहा पर भी इनकी कोई सुनवाई नही हुई।
ज्ञात हो कि पिछले 14 दिनों से 30-35 स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना ओपीडी,आईपीडी व ट्रांजिट वार्ड में अपनी सेवाएं दे रहे थे कल रात सभी की 14 दिनों की ड्यूटी खत्म हुई और आज उनका पीसीआर जांच भेजना था व रिपोर्ट आने तक इनको कोरेन्टीन में रखा जाना चाहिये था । किंतु सिम्स प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग के नये आदेश का हवाला देते हुए इनसे कह दिया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के नई गाइड लाइन के अनुसार आप सभी लो रिस्क में आते है क्योंकि आप सभी ने किट पहन कर वर्क किया है। इसलिए आप सभी को कोरेन्टीन करने व पीसीआर जांच की आवश्यकता नही है। आप सभी घर जाये व 3 दिनों के रेस्ट के बाद वापस अपनी ड्यूटी जॉइन करे ।
इधर इस आदेश से मेडिकल स्टाफ इस मुश्किल में है कि इनमे से प्रायः सभी ने पॉसेटिवे मरीजो के संपर्क में रह कर काम किया है और ऐसा कई बार हुआ है कि किट पहनने के बाद भी लोग संक्रमित हुये है। इसलिए इनमे डर है कि ऐसे में अगर बिना जाँच के घर चले गए और घर वाले भी इनके सम्पर्क से संक्रमत हो गये तो इनके लिए बहुत मुश्किल खड़ी हो जाएगी क्योंकि प्रायः सभी के घरों में छोटे छोटे बच्चे व बुढ़े माता पिता है।
इसी बात को लेकर सिम्स का स्टॉफ आज सुबह से सिम्स परिसर में बाहर खड़ी रहकर प्रशासन से गुहार लगा रही थी कि उनकी पीसीआर जाँच की जाय व रिपोर्ट आते तक सिम्स प्रशासन उन्हें कोरेन्टीन में रखे। मगर सिम्स प्रशासन ने स्वास्थ्य मंत्रालय का आदेश का हवाला देते हुए इन सभी की मांगों को एक लाइन से खारिज कर घर जाने को कह दिया। तब इन सभी लोगो ने जिला कलेक्टर के पास जाकर अपनी मांगे रखी और एक ज्ञापन सौपा । मगर वंहा भी इनकी कुछ सुनवाई नही हुई उल्टे उन्हें वंहा से डीन के पास पुनः सिम्स भेज दिया गया । इधर डीन ने पुनः शासन का आदेश बताकर इन सभी को घर जाने को कहा। अंततः मजबूरन इन सभी लोगो को बिना पीसीआर जांच के घर जाने को मजबूर होन पड़ा ।
-सवाल यह है कि रेड जोन से आने वाले को हम एतिहातन कोरेन्टीन में रख रहे है कि कंही कोई पॉसेटिवे निकल गए तो घर जा कर अन्य लोगो को संक्रमित न कर दे। लेकिन यहाँ हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी सीधे ऐसे मरीजो के संपर्क में आ रहे है जिनकी रिपोर्ट पोसिटिव आ रही है। लेकिन प्रशासन इन्हें हाई रिस्क में नही मानकर इन्हें कोरेन्टीन करना या इनका पीसीआर टेस्ट करना उचित नही मान रही है।
-दूसरा सवाल है कि मोहल्ले में एक पोसेटिव मरीज निकल जाने पर पूरे मोहल्ले को कॉन्टेंट जोन मान कर सील कर दिया जाता है ताकि उस इलाके के लोग अन्य को संक्रमित न कर दे। फिर यँहा जिस वार्ड के मरीज की कोरोना रिपोर्ट पॉसेटिवे आती है वंहा के स्टाफ को क्यों नही।
– तीसरा सवाल है कि अगर जो हमारे फ्रंट लाइन वॉरियर्स स्वास्थ्य कर्मचारी हैं अगर इनकी सुरक्षा आज हम नही करेंगे तो आगे कोरोना की लंबी लड़ाई हम कैसे लड़ पाएंगे।
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