
यह लेख, झीरम में हुए बलिदान को समर्पित :-
विचारक /विश्लेषक … पवन गोयल
यह लेख, झीरम में हुए बलिदान को समर्पित :-
सर्वप्रथम शहीदों को सम्मान नमन : !
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इंसाफ के लम्बे इंतजार में छः ग सरकार को, देश के लिए बलिदान हुए बलिदानियों को अविलंब , सम्मान, शहीद का दर्जा देना चाहिये !
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न्याय का लम्बा इंतजार, महावीर नही किया करते है, न्याय मांगने से न मिले ? तो स्वम् न्याय करते है ?
CBI, NIA में जांच करने वाले लोग आसमान से नही आते है, राज्य के पास भी एक से एक अनुभवी जांचकर्ता है जो दूध का दूध, पानी का पानी करने में सक्षम है ? कांग्रेस को चाहिए कि कानूनी अधिकार से या राजनीतिक दबाव से, साम,दाम,दण्ड, भेद जो अपनाना पड़े ? वर्तमान जांच एजेंसी से अभी तक प्राप्त साक्ष्यों को हासिल करें ? किसी भी तरह न मिले ?यह सम्भव नही, दस्तावेज लीक भी होते है,गुम भी होते है, चोरी भी होते है, बड़े बड़े घपले-घोटालो की जांचों में अक्सर कार्यालयों में आग भी लगती है और सम्बन्धित दस्तावेज नष्ट भी होते है ?
सवाल सत्ता की इन्वॉल्वमेंट का नही होता?तो अधूरी क्यो?जांच लम्बित क्यो ?जांच में देरी क्यो ?जांच अधूरी क्यो ? यह सवाल हर पीड़ित / बलिदानियों के परिवारों को सताता रहेगा ?
स्वाभाविक है !
छः ग सरकार, ताकतवर सरकार, सक्षम सरकार, भारी जनादेश /बहुमत वाली सरकार , झीरम जांच में इतनी असहाय क्यो ? यदि NIA राज्य को सपोर्ट नही करती ? तो न्यायालयों के माध्यम से भी जांच की समय सीमा तय करायी जा सकती है ? कांग्रेस जनों को, ओर समस्त छः ग की जनता को झीरम घटना के सच उजागर का न केवल इंतजार है ?
बल्कि दोषियों को सजा मिले, यह न्याय का तकाजा है ! उम्मीद करते है कि छ:ग शासन, मामले में कुछ कठोर कदम उठायेगा, ओर झीरम का सच देश के सामने आयेगा ?
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