
क्या ये मजदूरों का दोष है या सरकार की गलत मैनेजमेंट के शिकार बने ये निर्दोष मजदुर।
बिलासपुर- बिना मजदूरों के हितो को सोचे हुए लॉक डाउन की घोषणा करना क्या आप उचित मानते है ?.जब पूरा देश लॉक डाउन है , सारे कामकाज बंद है, फैक्ट्रियां बंद है, तो ये मजदूर जाए कंहा ..! इनके रहने खाने का क्या.. ? कोई तो समुचित व्यवस्था हो.. !! इनमें से कुछ लोग रोज कमाने रोज खाने वाले है, ऐसे में इन्हें खाना कौन देगा.. ! रहने की व्यवस्था कौन करेगा ..! सरकार ने रातो रात देश मे लॉक डाउन की घोषणा तो कर दी लेकिन मजदूरों के हितों को अंनदेखा करते हुए उनको होने वाली परेशानीयो के बारे में गंभीरता से नही सोची।
मजदूर भी इसी उम्मीद मैं बैठे इंतजार में थे कि कुछ दिनों बाद लॉक डाउन खुल जायेगा और सब कुछ पहले जैसा ही हो जायेगा लेकिन क्या हुआ लॉक डाउन पार्ट 1 ,पार्ट 2 ,पार्ट 3 और अब पार्ट 4 आ गया मजदूर करता तो क्या करता ..न खाने को है, ना रहने को…आखिरकार अपने घर वापस जाने को मजबुर हो चला।
सरकार 20 लाख करोड़ का भारी भरकम राहत पैकेज की घोषणा की । प्रवासी मजदूरों से जा कर पूछिये इन्हें इससे मिला क्या ..पता चलेगा दो दिन से भूखे प्यासे तड़फ रहे है ,घर जाने को . कंही कोई साधन नही कोई 5 रोज से तो कोई 8 रोज से हजारों किलोमीटर पैदल चलकर घर जाने को मजबूर है । महिला व साथ मे छोटे छोटे बच्चे भूखे प्यासे रात दिन का सफ़र तय कर रहे है चलने की हिम्मत नही बची है पर फिर भी चल रहे है एक उम्मीद के सहारे की घर पहुचने पर सब कुछ ठीक हो जाएगा।