
नर्सेस डे पर विशेष: फ्लोरेंस नाइटिंगेल कौन ?
बिलासपुर: फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 में इटली में हुई वे अपने माता पिता व परिवार के साथ अनेक देशों की यात्रा की और बहुत सारे लेख लिखी है एक दिन उन्होंने एक लेख लिखा कि –
” ईश्वर मुझसे बोला और मुझे अपनी सेवा में बुलाया” – यही से उनका जीवन मरीजों की सेवा के लिए बदल गया और वो मरोजो की सेवा के लिए हर सम्भव प्रयास करने लगी अब वह नर्स बनना चाहती थी किन्तु उस दौर में नर्स के कामो को अच्छा नही माना जाता था अच्छे घरों के लोग ये काम नही करते थे इसलिये उनके माता पिता भी नही चाहते थे कि वो नर्से बने उनकी इच्छा थी कि फ्लोरेंस की शादी किसी धनी परिवार में हो और वह सुखी जीवन व्यतीत करें किन्तु वो परिवार की परवाह किये बिना बीमारी लोगो की सेवा में जुट गई किन्तु कुछ समय बाद उन्हें ये ऐहसास हुआ कि उनको काम नही आता है और वह लोगो की मद्दत ठीक से नही कर पा रही है इसलिए वो नर्सिंग की ट्रेनिंग लेनी चाही इसके लिए वह जर्मन के एक हॉस्पिटल में नर्सिंग की ट्रेनिंग ली और इंग्लैंड वापस आ गई तभी यंहा एक संस्था “केयर ऑफ द सिक” ने उन्हें सुपरिटेंडेंट बनाया और यहा से वो नर्सो को ट्रेनिंग देने का काम करने लगी जंहा उनके काम की खूब तारीफ होने लगी ,लोग उन्हें सम्मान देने लगे, और उन्हें प्रसिद्धि मिलने लगी।
सन 1854 में क्रिमियन लड़ाई हुई उसमे “सेटरी इन टकी” नामक संस्था के साथ नर्सो की इंचार्ज बनकर सिपाहियों की खूब सेवा की । उन्होंने मरीजों को खुश कैसे रखें ,उनकी देखभाल कैसे करे व हॉस्पिटल को साफ सुथरा कैसे बनाये इन सब पर बहुत काम किया खूब मेहनत की ।
उन्होंने ने इसके लिए सन 1860 में नर्सो के लिए “नाइटिंगेल स्कूल” की स्थापना भी की जंहा उन्होंने सिखाया की मरीजो की देखभाल कैसे की जाती है हॉस्पिटल को हम कैसे रखें जिससे नर्सो का सम्मान व आदर लोगों में बढ़ने लगा उनके इन्हीं कार्यों से उन्हें विश्व भर में खिताब मिलने लगी उन्हें लोग आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता भी कहते लगे वो दुनिया की ” आडर आफ मैरिड पाने वाली प्रथम महिला बनी l 13 अगस्त 1910 को लंदन में उनका निर्धन हो गया l ‘आज हम उन्हीं को याद करके जन्म उनके जन्मदिन को “नर्सरी डे “के रूप में मनाते हैं l