स्टॉफ नर्सों की नहीं हुई मांगे पूरी।। बजट में शामिल नहीं करने से स्टॉफ नर्सों ने जताई नाराजगी।। अपनी मांगो को लेकर दर दर भटक रही हैं नर्सें ।।
बिलासपुर – आज आपको बता रहे हैं उन महिला कर्मचारियों के बारे में जो अस्पताल में भर्ती मरीजों को ठीक करने में दिन रात लगा देते हैं कई कर्मचारी मरीज को ठीक करने के बाद स्वयं संक्रमण से पीड़ित होकर अपनी जान गवां बैठती हैं वे हैं अस्पतालों में पदस्थ स्टॉफ नर्स। इनकी जायज मांगो को दोनों सरकारों ने नहीं मानी 2020 का बजट में भी इन्हे कुछ नहीं मिला।इन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के बारे में हमारे प्रतिनिधि ने पूरी पड़ताल कर उनकी समस्याओं को शासन प्रशासन और जनता के बीच रखने कि पूरी कोशिश की है आपको विस्तार से जानकारी दी जा रही है कि कैसे वे अपनी मांगो को लेकर विभिन्न कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं इन्हें आज तक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।आप सभी जानते होंगे विगत 2 वर्ष पूर्व प्रदेश भर की नर्सो ने संघ के बैनर तले अपनी प्रमुख 2 मांगो को लेकर प्रदेश स्तरीय आंदोलन किया था जिस पर रमन सरकार ने नर्सो के इस आंदोलन को अवैध बताकर व नर्सो की सेवा को आवश्यक सेवा बता कर एस्मा लगा कर सारे आंदोलनकारी नर्सों को रायपुर जेल में बंद कर दिया था बाद में संघ व शासन के बीच एक समझौता हुई कि अन्य राज्यों में जाकर वहां का पे स्केल का अवलोकन किया जाए उसके बाद अगर छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों के पे स्केल में अंतर पाया जाएगा तो नर्सो की मांगे मान ली जाएगी ।शासन ने इसके लिए नर्सो से 45 दिनों का समय मांगा था और नर्सो ने शासन के इस आश्वासन पर अपना आंदोलन खत्म किया परंतु आज डेढ़ वर्ष होने जा रहा है शासन बदल गई विपक्ष में रहते हुए जो कांग्रेस इन नर्सो के धरना आंदोलन में आ कर जायज मांगो का समर्थन करते दिखे वे भी अब सत्ता में आने के बाद इनकी मांगों की अनदेखी कर हैं।इससे साबित होती है कि सत्ता में आने के बाद जनप्रतिनिधी और सरकार अपनी जवाबदारी भूल जाते हैं।ये हमारे प्रदेश के लिये बड़े ही दुर्भाग्य का विषय है कि हमारे जनप्रतिनिधि सिर्फ वोट की राजनीतिक रोटी सेंकने और वोट बैंक के खातिर स्वार्थ सिद्ध करने में लगे रहते हैं।
छ ग परिचारिका संघ के सदस्यों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमने अपने 2 प्रमुख मांग पद नाम स्टॉफ नर्स की जगह नर्सिंग ऑफिसर,ग्रेड पे 2800 की जगह 4600 रू करने(एम्स और अन्य राज्यों में पद नाम नर्सिंग ऑफिसर कर दिया गया है और 4600 रू ग्रेड पे भी लागू किया गया है) के लिए 18 मई 2018 को लाखे नगर मैदान रायपुर में आंदोलन किया।हमें आंदोलन के 14 दिन बाद जबरदस्ती 36 घंटे तक जेल में डालकर बीजेपी सरकार ने महिला अधिकारियों द्वारा धमकी देकर आंदोलन को कुचलने, खत्म करने के लिए प्रताड़ित किया गया।जेल की रिहाई के वक्त कांग्रेस के भूपेश बघेल जो वर्तमान में छ ग के मुख्यमंत्री हैं,सत्यनारायण शर्मा,विकास उपाध्याय,तात्कालीन महापौर प्रमोद दुबे, किरणमयी नायक मौजूद थे। इन्होंने आगे बताया कि बीजेपी सरकार द्वारा कमेटी बनाई गई थी कमेटी में संघ के 2 सदस्य शामिल होंगी कमेटी ने इनकी मांग जायज बताकर फाईल बनाई गई जिसकी स्वीकृति के लिए कमेटी ने फाईल को स्वास्थ्य विभाग भेजी,विभाग ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर को भेजा,फिर विभाग के पास से तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों की स्वीकृत प्रदान कर फाईल स्वा विभाग के पास पुनः अाई जिसे स्वास्थ्य विभाग और संघ ने 27 नवम्बर 2019 को कांग्रेस की नई सरकार, टी एस सिंहदेव को स्मरण पत्र सौपा।विभाग ने फाईल को डी एम ई, डी एच एस,आयुष को स्वीकृति के लिए भेजी सभी ने सहमति देते हुए 6 जनवरी 2020 को विभागीय सचिव और संघ के पास पत्र आया। इसके पूर्व संघ के कई सदस्यों ने अपनी दो प्रमुख मांगों की कार्यवाही कहां तक पहुंची उसके लिए वे अवकाश के समय में यहां वहां दौड़ लगाई सब ने टालमटोल जवाब देते हुए संघ के सदस्यों को बोला कि आप लोगों की फाईल वित्त विभाग में अटकी हुई है तो फिर संघ ने 4 फरवरी 2020 को उक्त मांगो की स्वीकृति के लिए स्वास्थ्य मंत्री,वित्त विभाग को फिर से ज्ञापन सौंपा।इन्हे उम्मीद थी कि इनकी मांगो को बजट में शामिल किया जायेगा लेकिन इनकी मांग को बजट में भी शामिल नहीं किए जाने से इन्होंने नाराजगी जाहिर की है।आपको बतला दें कि संघ ने मई 2019 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ज्ञापन सौंपा था सीएम ने संघ के पदाधिकारियों को आश्वाशन दिया था कि आपकी मांग जायज है इस ओर जल्द ही निराकरण किया जाएगा।आश्वाशन दिय हुए अब एक साल होने वाला है लेकिन अभी तक उनकी मांगों का निराकरण नहीं किया गया है।उनकी मांगों की अनदेखी पर निराशा ब्यक्त करते हुए संघ ने उक्त 2 प्रमुख मांगों को तत्काल लागू करने की मांग की है।