तूफ़ानों का दिया आखिर बुझ गया – श्याम टंडन।।

Global36 गढ़ के संवाददाता नीलकांत खटकर।।

 

 

 

 

 

 

रायपुर – बसपा के केंद्रीय प्रतिनिधि श्याम टंडन और डॉ संजय गजभिए ने बौद्धाचार्य शांति स्वरूप के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी जीवनी का उल्लेख किया।शांति स्वरूप बौद्ध जी का जन्म 2 अक्टूबर 1949 को दिल्ली में हुआ।इनकी माता का नाम भूरिया देवी मौर्य,पिता का नाम लाला हरीश चंद मौर्य था।इनके परिवार का बाबा साहब से गहरा रिश्ता था।इनके दादा जी चौधरी देवी दास बाबा साहब के करीबी थे।चौधरी को पोता होने पर इनका नाम करण करने बाबा साहब अम्बेडकर से सलाह ली,बाबा साहब ने ही पोते का नाम शांति स्वरूप रखा।सात आठ साल के उम्र में ही शांतिस्वरूप अपने दादा के साथ सामाजिक समारोह में जाने लगे थे।बचपन से ही इन्होंने सामाजिक आंदोलन को बहुत नजदीक से देखा था।इनकी प्रारंभिक शिक्षा जी बी रोड के सरकारी स्कूल से हुई थी।इसके बाद हायर सेकेण्डरी तक की शिक्षा अजमेरी गेट में हुई।इसी स्कूल से इनके पिता और बच्चों ने शिक्षा पाई। बी ए की परीक्षा इन्होंने दयाल सिंह कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी से पास की वे बी ए के बाद भूगोल में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे लेकिन पिता जी,बड़े भैया राजनीति में सक्रिय देखना चाहते थे इस खींचतान के बीच शांति स्वरूप की शिक्षा को विराम ही लग गया।वैसे बचपन से ही चित्रकला में काफी रुचि थी इसलिए चित्रकारी ही उनकी जीवनवृत्ति का आधार बनी।

श्याम टंडन केंद्रीय प्रतिनिधि बसपा।

शांति स्वरूप बौद्ध जी एक बार मरकर जिंदा हुए – सन् 1962 – 1968 में लाला हरिस चंद रिपब्लिकन पार्टी दिल्ली के अध्यक्ष थे,इनके नेतृत्व में भूमिहीनों के सत्याग्रह के समय 3 हज़ार सत्याग्रहियों के साथ जेल गए।उस समय वे महज 15 साल के थे।जेल से छूटने के बाद उन्हें बुखार आया,बुखार टायफायड में बदल गया और 8 वी कक्षा की पढ़ाई भी छूट गई।

डॉ संजय गजभिए।।

 

 

 

 

टायफायड से इनकी हालत बिगड़ती गई और अस्पताल प्रबंधन ने मृत्यु होने की पुष्टि कर दी।घर वाले रोते बिलखते उनकी अंत्येष्ठि की तैयारी की जा रही थी 2 घंटे बाद उनके भाई प्रकाश ने शांति स्वरूप को हिलते हुए देखा और प्रकाश चिल्ला उठे फिर डॉक्टर और नर्स ने उनके ओर दौड़े।करीब 40 दिन बाद शांति स्वरूप अस्पताल से स्वस्थ्य होकर घर आए।जब कभी वे अपनी मृत्यु का वृतांत सुनाते थे,बड़े गर्व के साथ कहते थे कि जिस आदमी का नाम बाबा साहब अम्बेडकर जैसे युग पुरुष ने रखा हो,भला उसे अकाल मृत्यु कैसे आ सकती है।
विवाह – 2 मई 1969 को शांति स्वरूप बौद्ध का विवाह बी ए की पढ़ाई के दौरान सुरेश कुमारी के साथ हुआ।इनके एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम निर्मल स्वरूप रखा गया।सुरेश कुमारी के पिता के निधन के बाद उन्हें गहरा धक्का लगा और खुद बीमार पड़ गई दूसरे गर्भधारण के बाद शांति स्वरूप की पत्नी का निधन हो गया।पत्रिका प्रकाशन में महत्वपूर्ण योगदान – हिंदी त्रयमसिक् पत्रिका,धम्म दर्पण,बौद्ध जगत की प्रकाशित होने वाली सबसे पुरानी पत्रिका है।नई दिल्ली से प्रकाशित होने वाली अर्ध वार्षिक पत्रिका समतायुग के संपादन के कार्य भी शांति स्वरूप के कंधों पर ही था।दलित दस्तक, मैत्री टाइम्स,भीम लहर,प्रज्ञा पथ,धर्म संदेश,समता संगठक, धम्म्यान,सम्राट दैनिक,तथागत संदेश जैसे कई पत्रिकाओं के सदस्य,मुख्य सलाहकार,मार्गदर्शक और संरक्षक भी रहे।
सम्यक प्रकाशन महामानव बुद्ध और उनके द्वारा स्थापित बौद्ध धम्म,बोधसत्व बाबा साहेब आंबेडकर,महान सम्राट अशोक,ज्योतिबा फूले,छत्रपति शाहूजी महाराज तथा देश के अन्य सामाजिक क्रांति कारियों,सामाजिक सुधारकों जैसे महान विभूतियों के साहित्य का व्यापक रूप से प्रचार प्रसार किया।वे नारी अत्याचार,अंधविश्वास,ढोंग,पाखंड के चंगुल से निकालने पूर्णतः कटिबद्ध थे।इन्होंने देश के शोषित,प्रताड़ित,वंचित,महिला समाज,समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए महती काम किया।इनके महान कार्यों के लिए कई बार सम्मानित किया गया।आखिरकार तूफ़ानों का दिया 06 जून 2020 को हमेशा हमेशा के लिए बुझ गया,वे हमारे बीच नहीं रहे उन्हें सर्व समाज श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

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