न्यूज डेस्क – विगत लगभग ८ माह से जेएनयू से सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे छात्र चित्रेश को यौन उत्पीड़न के फर्जी मामले मे जेएनयू के डां सुनीता रेड्डी ने अपनी बेटी की ओर से आईसीसीजेएनयू में दिनांक १६/१०/२०१९ को लिखित शिकायत दर्ज करायी थी।
जिसके तहत जेएनयू चीफ प्रराक्टर धनन्जय सिंह ने कार्यवाही करते हुए १४/०१/२०२०को लिखित आदेश के माध्यम से जेएनयू से चित्रेश का सामाजिक बहिष्कार किया ,जिसके चलते महामारी और महाबंद के दौरान महिनो तक फूटपाथ पर गुजर बसर करना पडा़ जिसके कारण चित्रेश का स्वास्थ्य इतना बिगडा़ की अभी भी लगातार डाक्टर के सलाह से दवाईयों का सेवन लगातार जारी है , महाबंद के दौरान भी हजार कि.मी.दूर से यहां दिल्ली पढा़ई करने आए चित्रेश जब कोरोना का सस्पेक्ट मरीज था तब भी जेएनयू रजिस्टार के आदेश पर सुरक्षा विभाग ने किसी भी प्रकार से सहयोग करने से साफ साफ इंकार कर दिया चित्रेश को ऐसे ही मरने के लिए छोड़ दिया, और अब किसी भी प्रकार से बिना मामले की स्पष्ट जानकारी दिए बगैर महामारी और महाबंद के पश्चात यह कहना कि – You Are Not Eligible To Regiter For This Semester,Please Contact Evalution Branch For More Information.
Rusticated And Out Of Bounds.
अब समझना मुश्किल हो रहा है कि आखिर चित्रेश के साथ इतना भेदभावपूर्ण असमानतावादी व्यवहार के द्वारा उनके भविष्य को क्यों बरबाद किया जा रहा है???और कौन कौन इस जातिवादी किश्म के आपराधिक षड़यंत्र में शामिल हैं??पुलिस से अनेक बार शिकायत करने के बाद भी अब तब कोई कार्यवाही करना तो दूर एफ आई आर तक दर्ज क्यों नही किया?
पुलिस के पीछे कौन है?