
ब्रेकिंग न्यूज़:लोकपर्व छेरछेरा की पौराणिक मान्यताओं से विद्यार्थियों को अवगत कराया नवाचारी व्याख्याता ज्योति सक्सेना
नवाचारी व्याख्याता श्रीमती ज्योति सक्सेना शिक्षा एवं समाज सेवा के साथ ही विद्यार्थियों को छत्तीसगढ़ी सभ्यता एवं संस्कृति को विस्तार से समझाने सरंक्षित रखने में भी महत्वपूर्णभूमिका निभा रही हैं शासकीय हाई स्कूल मूलमुला में “छेरछेरा ‘”के पूर्व दिवस पर छेरछेरा महापर्व को किस तरह पारंपरिक एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है इस विषय पर नवाचारी व्याख्याता श्रीमती ज्योति सक्सेना ने पहले तो बच्चों से पूछा कि छेरछेरा क्यों मनाया जाता है विद्यार्थियों को यह तो पता है कि छेरछेरा मांगने जाते हैं युवक लोग डंडा नाच करते हैं फिर जो धान नकद रुपए या खाने पीने की चीज मिलती है। उसको बच्चे आपस में बैठकर खाते हैं पिकनिक मनाते हैं लेकिन पौराणिक मान्यता क्या हैं। शाकम्भरी जयंती क्या होती है इसका उन्हें ज्ञान नही है इसी उद्देश्य को लेकर एवं बच्चों को अभी से ही छ. ग.सामान्य ज्ञान के विषय मे नॉलेज हो इस लोकपर्व पर विस्तार से जानकारी दी गयी हिंदी की व्याख्याता ज्योति सक्सेना ने उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी इसी दिन मां शाकम्भरी माँ की जयंती भी है माँ दुर्गा ने पृथ्वी पर अकाल और गंभीर खाद्य संकट से निजात दिलाने के लिए शाकम्भरी का अवतार लिया था इसलिए इन्हें सब्जियों और फलों की देवी के रूप में पूजा जाता है ।
छेरछेरा छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार है नई फसल के घर में आने की खुशी में अन्न दान और फसल उत्सव के रूप में पौष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इस दिन एवं 10 दिन पूर्व से ही युवक घर- घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं और अन्न का दान मांगते हैं छेरछेरा के दिन सुबह से ही द्वार -द्वार पर “”छेरछेरा”” “छेरछेरा” कोठी के धान ल हेरहेरा” की गूंज सुनाई देती है वास्तव में यह छत्तीसगढ़ उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति से दान शीलता की परंपरा को याद दिलाता है। बच्चे हाथ में टोकरी, बोरी लेकर घर-घर छेरछेरा मांगते हैं उन्हें हर घर से धान ,चावल, नगद राशि या उपहार स्वरूप कुछ न कुछ अवश्य प्राप्त होता है क्योंकि ऐसा भी माना जाता है कि धान की देखरख करते कटाई,धान को सफाई से रखते समय कई छोटे कीड़े-मकोड़े की हत्या हुई हो उससे मुक्ति के लिए भी महादान और फसल उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला छेरछेरा पर्व छत्तीसगढ़ के सामाजिक समरसता और समृद्ध दानशीलता का प्रतीक है विद्यार्थियों को छेरछेरा के विषय में अन्य जानकारी विद्यालय के प्राचार्य श्री विमलेश पांडेय एवं दिनेश कुमार बंजारे तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम विद्यालय की व्याख्याता प्रतीक्षा सिंह की ओर से कराया गया। वरिष्ठ व्याख्याता शैल शर्मा मैडम एवं नीरजा सिंह मैडम का भी सहयोग रहा ।
नवाचारी व्याख्याता ज्योति सक्सेना का मानना है कि विद्यार्थियों को छत्तीसगढ़ प्रदेश जहाँ हम सभी निवास करते हैं यहां के तीज त्यौहार सभ्यता संस्कृति के विषय में संपूर्ण जानकारी रहनी चाहिए ।इसी उद्देश्य को लेकर जो भी आयोजन होता है उसके विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की जाती है पढ़ाई के साथ ही अपनी सभ्यता संस्कृति खान-पान रहन-सहन तीज त्योहार के विषय में भी जानकारी होना अति आवश्यक है । इस तरह की गतिविधियों से, जानकारी से हाई स्कूल से ही बच्चों की छत्तीसगढ़ के सामान्य ज्ञान की तैयारी होने लगती है जो कि उन्हें आगे प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के मार्ग में सहायक होगी ।इस उद्देश्य को लेकर ही ज्योति सक्सेना बच्चों को समय -समय पर सामान्य ज्ञान की भी तैयारी ,क्विज प्रतियोगिता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं ।