संपादकीय – भूपेश सरकार के ढाई साल पूरे होने को है लेकिन निगम मंडलों के 110 पदो पर अभी भी नियुक्तियाँ नही हो सकी है।
सवाल यह है कि क्या निगम मंडल की नियुक्तियां केवल औपचारिकता मात्र है अपने कार्यकर्ताओं को सन्तुष्ट करने का । क्या सरकार में इसका विशेष कोई महत्व नही रहा। अगर महत्व नही है तो फिर नियुक्तियां दे कर इस कोरोनो काल मे फिजूल खर्ची आखिर क्यों ? अगर महत्वपूर्ण है तो इसकी नियुक्तियों में ढाई साल की देरी क्यों ? क्या सरकार व संगठन को अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा नही है क्या उनको अभी भी डर सता रहा है कि जिनकी नियुक्ति नही होगी वे बगावत पर उतर कर सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते है। क्या यही वजह है कि आज ढाई साल गुजरने पर भी सरकार नियुक्ति को लेकर असामंजस्य की स्थिति में है, या कहें कार्यकर्ताओ को गुमराह कर उनका इस्तमाल किया जा रहा है।
जवाब जो भी हो लेकिन ढाई साल की इस देरी ने आम जनता तक यह संदेश जरूर दे गया कि कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के बगावती तेवर से कंही न कही अंदर से भयभीत जरूर है।