रायपुर – बसपा अध्यक्ष हेमंत पोयाम ने जारी अपने बयान में कहा कि छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र है, जहां पर संसद व विधानसभा के द्वारा पारित कोई भी कानून तभी लागू होता है जब तक कि महामहिम राज्यपाल उस कानून को उस पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में लागू होने लायक न समझे, और अनुमोदित न करे। और पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में लागू करने से पहले उसे आदिवासी सलाहकार परिषद के सामने रखना पड़ता है। अगर आदिवासी सलाहकार परिषद भी उस कानून को उस क्षेत्र विशेष में लागू करने लायक न समझे तो भी वह कानून उस क्षेत्र विशेष में लागू नहीं हो सकता। परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में लगातार इन नियमों का उल्लंघन हो रहा है।उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम तो आदिवासी सलाहकार परिषद का अध्यक्ष ही मुख्यमंत्री को रखा गया है जो कि आदिवासी नहीं हैं। कांग्रेस सरकार के पहले बीजेपी के सरकार के समय भी आदिवासी सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के पद डाॅ. रमन सिंह जी ही विराजमान रहे। आजकल बस्तर के जगदलपुर से राजधानी रायपुर तक के राष्ट्रीय राजमार्ग पर तीन टोल टैक्स नाका स्थापित किया गया है। जिसे स्थापित करने से पूर्व उस गांव के परंपरागत ग्राम सभा से भी कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है। उस रोड को बनाने के लिए बस्तर का ही मुरम, बस्तर का ही गिट्टी, छत्तीसगढ़ का ही सीमेंट, बस्तर का ही कच्चा माल उपयोग किया गया है, और बस्तर में रहने वाले रहवासियों से उस रोड से गुजरने पर टैक्स के नाम पर लाखों रूपये महीने का वसूली किया जा रहा है। पोयाम ने आगे कहा कि बहुजन समाज पार्टी छत्तीसगढ़ इकाई बस्तरिया रहवासियों से इस प्रकार की अवैध वसूली का तीव्र विरोध करती है, और इस मामले को लेकर शीघ्र ही बसपा का प्रतिनिधि मंडल छत्तीसगढ़ के राज्यपाल से मिलेगा। और लाकडाऊन समाप्त होने के बाद इस मुद्दे को लेकर पूरे बस्तर में जनजागरुकता अभियान चलाकर सरकार की आदिवासी विरोधी नीतियों का भंडाफोड़ करेगी। और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीया बहन कु.मायावती जी तक भी इस मामले की जानकारी पहुंचाया जायेगा।