रोते बिलखते इन लोगो का आँसु पोछने कोई नही आया, लोगों के पैसों और सपनों के ऊपर चली बुलडोजर ।
बिलासपुर 28 जून 2020। रोते बिलखते इन परिवारों का आँसु पोछने कोई नही आया । न बीजेपी आई न कांग्रेस के कोई नेता आये। देखते ही देखते तीन पीढ़ियों से जिस आशियाना में अपना गुजर बसर कर रहे थे उस आशियाने के ऊपर नगर निगम की बुलडोजर चल गई।
नदी किनारे नाला व रोड के निर्माण के नाम पर इस कोरोना संकट की त्रासदी की घड़ी में जब लोगो के पास खाने के लाले पड़े हुए है। सभी का काम-काज ढप पड़ा हुआ है। बरसात का मौसम है। ऐसे वक्त में शासन की क्या ऐसी मजबूरी हो गई कि इन गरीब परिवारो का मकान खाली कराया जा रहा है । समझ से परे है। बात गोड़पारा के नदी किनारे बसे लोगो की है । जिनका परिवार नदी किनारे 100 वर्षो से भी ज्यादा समय से रह रहा था । कोई कर्ज लेकर मकान पक्के का भी बना लिया था। तो किसी ने मकान के रिनवेशन में लाखो खर्च कर रखे थे। किसी ने बेटे की शादी के लिए हाल ही में कर्ज लेकर दो कमरे का निर्माण कराया था। सभी के पैसों के साथ उनके सपनो के ऊपर नगर निगम की बुल्डोजर चल गई।
गोड़पारा के नदी किनारे बसे चौबे लाल सालिक राम ने बताया कि पहले ये जगह बहुत गड्ढा था । तब नगर निगम का कचड़ा को पाट पाट कर हम लोगों ने इसे मकान बनाये लायक बनाया । अभी आने वाले 6 माह में मेरे बेटे की शादी होने वाली है इसलिए उसके लिए दो नए कमरे का निर्माण कर्ज लेकर हाल ही में कराया था। तीन पीढ़ियों से हम लोग इस मकान में रह रहे है। विधायक शैलेश पांडेय चुनाव के पहले जब वोट मांगने आये थे तो उसने वादा भी किया था। कि कांग्रेस की सरकार बनती है तो आप सभी को 30 साल की स्थायी पट्टा दी जाएगी। ऐसी बात भूपेश बघेल ने भी कही थी लेकिन आज हमारा मकान हमारे सामने नगर निगम द्वारा तोड़ दिया गया कोई उसे रोकने नही आया।
कुछ इसी तरह की बातें गोविंद पाल ने भी कही कि हमें यँहा पर रहते हुए 100 साल से भी अधिक समय हो गया है । यँहा रहते हमारी तीन पीढ़ीयां गुजर गई । हमारे सभी बच्चे एमए ,बीए की पढ़ाई कर रहे है । हमे अटल आवास दी जा रही है। हमने प्रधानमंत्री आवास की मांगी थी । उसके लिए हम कुछ पैसा देने को भी तैयार है लेकिन शासन हमारी सुनने को तैयार नही है।
बाल्मिकी समाज की आज तक थाने में कोई रिपोर्ट नही है। हम शांतिप्रिय लोग है । हमे शहर में कंही भी मकान बनाकर दे देते लेकिन शहर से दूर दिया जा रहा है। उस मकान में ठीक से न खिड़की है, न दरवाजे, न बिजली है, ना पानी कैसे हम वंहा अपने परिवार के साथ अपना गुजर बसर कर पायेंगे। एक सप्ताह के नोटिस में हमे मकान खाली करने को कह दिया । हमने शासन से 3 माह का समय मांगा। हम अपना मकान स्वयं ही खाली कर देते लेकिन हमारी किसी ने भी नही सुनी।
धर्मेंद्र पटेल जिनकी वंहा पर लकडी टाल की दुकान थी उसने भी कहा कि नगर निगम कोर्ट का आदेश को भी नही मान रही है और हमारी दुकाने तोड दी। हमे वक्त भी नही दिया कि हम अपने सामानों को व्यवस्थित कर सके। ये तो नगर निगम व प्रशासन का तानाशाही रवैया हुआ ।
“नदी किनारे नजूल की जमीन पर ये लोग अब तक निवास कर रहे थे। शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु इन सभी का विस्थापन बहतराई आश्रम व भूकंप परीक्षण शाला के पास बने अटल आवास में किया गया है। मकान में जो भी कमियाँ बताई जा रही है । नगर निगम द्वारा उसे तत्काल ठीक कराया जा रहा है।”
( राकेश जायसवाल, उपायुक्त, नगर निगम, बिलासपुर )
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