जेएनयू के छात्र चित्रेश को जेड प्लस सुरक्षा देने की मांग।।

Global36 गढ़ के संवाददाता नीलकांत खटकर।।

 

 

 

 

 

 

रायपुर – छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध एनजीओ “हमारा संकल्प फाउंडेशन” ने छात्र चित्रेश कुमार बंजारे शोधार्थी जेएनयू पर हो रहे अत्याचार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए भारत के राष्ट्रपति माननीय रामनाथ कोविंद जी एवं यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिखकर यह प्रार्थना की हैं कि पीड़ित छात्र *चित्रेश कुमार* को *जेड प्लस* सुरक्षा प्रदान किया जाए क्योंकि जेएनयू प्रशासन और दिल्ली पुलिस सामूहिक रूप से श्री बंजारे को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान कर रहे हैं। साथ ही जेएनयू प्रशासन द्वारा सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया है। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जी से प्रसिद्ध एनजीओ “हमारा संकल्प फाउंडेशन” ने विनम्र निवेदन किया है कि शीघ्र अति शीघ्र प्रताड़ित करने वाले जेएनयू के दोषी अधिकारियों एवं दिल्ली पुलिस के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ उचित कार्यवाही कर *चित्रेश कुमार* को *जेड प्लस* की सुरक्षा प्रदान किया जाए।आपको बहुत हैरानी होगी कि
6 माह के पश्चात भी अभी तक जांच क्यों नहीं हुई?
देश के बहुचर्चित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के छात्र चित्रेश बंजारे को डॉक्टर सुनीता रेड्डी के द्वारा उनकी सुपुत्री की ओर से फर्जी यौन उत्पीड़न के मामले में फंसा कर जेएनयू चीफ प्रॉक्टर धनंजय सिंह के द्वारा सामाजिक रूप से 14 जनवरी को लिखित पत्र जारी करके बहिष्कृत किया गया है। अब यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इतने दिनों में 6 माह बीत जाने के बाद भी कोई जांच और निर्णय क्यों नहीं हुआ?
आपकी बता दें कि दिल्ली पुलिस से सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार पीड़ित छात्र श्री बंजारे के द्वारा किए गए शिकायत पर आंतरिक शिकायत समिति जेएनयू में जांच जारी है, जब जेएनयू आंतरिक शिकायत समिति (जेएनयू आईसीसी) से जांच और कार्यवाही के विषय में आरटीआई के द्वारा सूचना लेने दिनांक 15 ,10,2019 को आरटीआई दायर किया गया तो श्री बंजारे के विरुद्ध हुए समस्त अपराधों के मुख्य अपराधी सुनीता रेड्डी ने दिनांक 16,10, 2019 को अपनी बेटी की ओर से शिकायत दर्ज कराई।श्री बंजारे के विरुद्ध हुए अपराधों पर चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब जेएनयू आईसीसी के कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि उन्हें श्री बंजारे के शिकायत की कोई जानकारी नहीं है जबकि दिनांक 16 10 2019 को उनके विरुद्ध हुए शिकायत की जानकारी है।
अतः सूचना मांगी गई 15-10-2019 के पूर्व के मामले की सूचना दी गई 16 10 2019 का। इससे प्रोफेसर विभा टंडन के गैर कानूनी, असवैंधानिक, अनैतिक और पक्षपातपूर्ण व्यवहार उजागर होता है भला इनसे न्याय पूर्ण कार्यवाही की उम्मीद किस आधार पर किया जा सकता है। तमाम सबूतों के निष्कर्ष के आधार पर यह सवाल खड़े होना स्वाभाविक है कि दिल्ली पुलिस प्रशासन और जेएनयू प्रशासन के गैरकानूनी और असंवैधानिक कार्यों के पीछे किसका हाथ है? क्या देश में बुद्धिजीवियों के गढ़ कहे जाने वाले जेएनयू के यह तथाकथित पढ़े-लिखे लोग लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास नहीं रखते? क्या जेएनयू से रोहित वेमुला के मामले में जो मुखर आवाज उभर कर आए थे, वे मात्र दिखावा और छलावा था। कहां गया जेएनयू का सामाजिक न्याय? क्या चित्रेश का मामला जातिवाद का चरम रूप नहीं है? चित्रेश के भविष्य को क्यों बर्बाद किया जा रहा है? कहां छुप कर बैठे हैं वो छात्र हितैषी, छात्र नेता और छात्र संगठन? जो टीवी चैनलों पर डिबेट करते देखे जाते थे अब वे कहां हैं।वहीं इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रोफेसर विभा टंडन को 7 बार फोन के माध्यम से संपर्क बनाना चाहा परंतु उनका फोन बंद बता रहा था। मैडम का फोन बंद बताने पर हमने प्रोफेसर धनंजय सिंह से लैंडलाइन पर संपर्क साधना चाहा परंतु उन्होंने फोन रिसीव ही नहीं किया।

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