
सिम्स की लापरवाही व गिरते स्तर से मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री चिंतित – विजय केशरवानी
बिलासपुर 12 जून 2020। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) अपनी अव्यवस्था की वजह से आये दिन मीडिया की सुर्खियों में बनी रहती है। आम गरीब जनता के इलाज के लिए ये संभाग के सबसे बड़ा हॉस्पिटल है किंतु सिम्स की अव्यवस्थाओ को सिम्स का प्रशासन आज तक ठीक नही कर पाया । 2003 में कांग्रेस की अजीत जोगी सरकार ने इसे बना था ताकि बिलासपुर संभाग के लोगो को बेहतर इलाज के लिए दूर न जाना पड़े और उसे एक बेहतर इलाज अपने शहर में ही मिल सके ।किन्तु आज 17 सालों में भी सिम्स उस तरह नही बन पाया जिसकी यहाँ के लोगो ने कल्पना की थी । आये दिन कुछ न कुछ विबाद सिम्स से जुड़ा रहा है ।अखबारो की हर रोज की सुर्खियां सिम्स बनी रही है। इसी बात को लेकर आज
कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष विजय केसरवानी ने सिम्स के प्रशासन से भेंट की और सिम्स की व्यवस्थाओं को जल्द ठीक करने के लिये एक पत्र भी सौपा ।
पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री एंव स्वास्थ्य मंत्री के मंशानुसार छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान ” सिम्स” द्वारा बिलासपुर की जनता और आसपास के शहर व गांव के लोगो को समुचित और सही उपचार मिल सके इसलिए इसकी स्थापना कॉंग्रेस सरकार द्वारा की गयी थी । यह जानते हुए कि अब सरकार बदल चुकी है और वर्तमान कांग्रेस की सरकार की मंशानुशार लोगो को ना तो समय पर उपचार दिया जा रहा है ना तो जांच की सुविधा पूर्ण रूप से उपलब्ध है और ना ही पर्याप्त और विशेषज्ञ चिकित्सक है । सिम्स प्रबंधन पुरवर्ती सरकार की तरह चल रही है और मरीजो को , आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है । प्रतिदिन किसी ना किसी अखबार में सिम्स प्रबंधन की लापरवाही के विषय मे चपटा ही रहता हैं । इससे लोगो मे सिम्स और साथ ही साथ सरकार के प्रति अविश्वास पैदा हो रहा है । माननीय मुख्यमंत्री जी और स्वास्थ्य मंत्री जी सिम्स के द्वारा की जा रही लापरवाही और गिरते स्तर से बहुत ही चिंतित हैं । जनता का विश्वास सरकार के साथ होते हुए भी सिम्स की कालगुज़ारियो के वजह से कांग्रेस के जन प्रतिनिधियों को विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा हैं ।
जनप्रतिनिधि होने के नाते मैं निम्नलिखित विषय आपके प्रकाश में ला रहा हु ।
रेडियोलॉजी विभाग : सिम्स में सोनोग्राफी जांच, सिटी स्कैन जांच,स्पेशल एक्सरे जांच एवम एमआरआई जांच नही हो रही हैं । कांग्रेस की सरकार बनते ही 2019 मैं कांग्रेस के प्रयास से एस ई सी एल के द्वारा 21 करोड़ की राशि सीएसआर मद से सिम्स को सी टी स्कैन और एमआरआई मशीन की खरीदी के लिए उपलब्ध करवाई गई थी पर आप उसे फाइलों में खेलते रहे कि कोल इंडिया खरीदेगी और बार बार इसे पेपर में उलझाते रहे है । जबकि कोल इंडिया ने सपष्ट कहा था कि इसे सिम्स प्रबंधन ही कमेटी बनाकर खरीद ले जिसमे कलेक्टर और कोल इंडिया का एक प्रतिनिधि हो । आपने उसे सीजीएमएससी से ही खरीदने में आड़े रहे इस वजह से आज भी सिम्स में सिटी स्कैन व एमआरआई मशीने नही लग पाई है । बार बार आपका बयान आता है कि 2-3 महीने में लग जायेगी । अभी भी आपके द्वारा मशीन के लिए स्पॉट इंस्पेक्शन नही करवाया गया है और ना ही इसके एक्सपर्ट की राय ली गयी है और ना ही भाभा एटॉमिक सेन्टर से मैप-डिज़ाइन एप्रूव करवाया गया है । मशीन आ भी जाएगी तो महीनों इंस्टालेशन के लिए पड़ा रहेगा ।
बायोकेमिस्ट्री जांच:- बायोकेमिस्ट्री जांच में बहुत से बेसिक पैरामीटर्स नही हो रहे हैं । ब्लड प्रेसर, शुगर और थॉयरॉइड की बीमारी बहुत आम है और बहुत से मरीज इसी के लिए अस्पताल आते हैं । थॉयरॉइड जांच सिर्फ बोर्ड और पेपर में है । महीने में 2-4 दिन ही जांच उपलब्ध है बाकी दिनों में मरीजो को बाहर से जांच करवानी पैड रही है । लिपिड प्रोफाइल जांच का भी ऐसा ही हाल है । कोलेस्ट्रॉल हो रहा है तो ट्राइग्लिसराइड्स नही हो रहा है तो एच डी एल नही हो रहा है । आधा अधूरा जांच होने से मरीजो को बाहर जाकर फिर से जांच करवाना पड़ता है । लिवर फंक्शन टेस्ट भी आधा अधूरा होता है । डाईबिटी ज वालो के लिए ग्लाइकोलेटेड एच बी टेस्ट तक नही हो पा रहे हैं । जबकि सरकार विलायती अत्याधुनिक मशीने दे रखी है । पैसो की कोई कमी नही है अस्पतालों के लिए फिर भी बहुत से बायोकेमिकल टेस्ट हो ही नही रहे हैं । शुगर जांच तक की रिपोर्ट खराब आ रही है । यंहा शुगर कुछ रहता है डॉक्टर बाहर से कन्फर्म करता है तो कुछ और आता है ।डीन साहब आप खुद ही इसके विशेषज्ञ है फिर ऐसा नही होना चाहिए ।
ट्रामा यूनिट : कांग्रेस के जब केंद्र में सरकार थी तब हमने देश के कई अस्पतालों में ट्रामा यूनिट की स्थापना के लिए केंद्र से फंड दिया था । आज आपके सिम्स में 10 साल बीत जाने के बाद भी ट्रामा यूनिट नही बना सके हैं । यंहा तो ऑर्थोपेफिक डिपार्टमेंट के ये हाल है कि सिंपल फ़्रैक्चर को भो पहले 10 दिन घुमाएंगे फिर रिफर कर देते हैं । नही जाता है तो महीनों वार्ड में पड़ा रहता है । कभी ये मशीन नही है कभी ये कमी है बस ऐसे ही कर के मरीज को अपने जान पहचान के अस्पताल में भेज कर खुद वँहा जाकर आपरेशन करके आ जाते हैं ।
ट्रेड मील ,इकोकार्डियोग्राफी , ईसीजी व एंडोस्कोपी जांच: हृदय के मरीजो की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है । प्रदेश में सिम्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इस सुविधायों का लाभ मरीजो को ना मिल पाना प्रबंधन की लापरवाही है । आज सिम्स में करोड़ो की लागत के दो दो – तीन तीन ट्रेड मील , इको मशीन रखे हुए हैं । कोई जांच करने वाला ही नही है । हार्ट के मरीज भर्ती होते है उनको या तो रिफेर कर दिया जा रहा है या फिर उसकी जांचे बाहर से हो रही है । सब धूल कहा रहे हैं । जिनका उपयोग मरीजो की जांच करने में होनी चाहिए पर मरीजो को इन सब जांच के लिए बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है ।
कैंसर की जांच : ट्यूमर मार्कर, हिस्टोपैथोलॉजी- इममूनो केमिस्ट्री जोकि मेडिकल कॉलेज में होना चाहिए ये भी पहले हुआ करते थे सब बन्द पड़े हैं । ब्लड रिपोर्ट का कोई स्टैंडर्ड नही है । हीमोग्लोबिन के रिपोर्ट तक पर लोगो का विश्वास नही रहा है ।
बेरा टेस्ट : बहरेपन के ईलाज के लिए या फिर अपंगता प्रमाणपत्र के लिए बेरा टेस्ट उपलब्ध नही हो पा रहा हैं । इसकी मशीन भी सिम्स रखी हुई है ।
विशेषज्ञ चिकित्सको की कमी : सिम्स में आज भी कार्डियोलोजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, यूरोलोजिस्ट, ऐडोक्रिनोलॉजिस्ट, गेस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट , केंसर स्पेसलिस्ट, की कमी है । इस दिशा में कोई काम नही किया गया कि सिम्स एक बेहतरीन संस्था बन सके और यंहा पर सुपर स्पेसलिस्ट डॉक्टर काम कर सके । सिम्स में आज कई विभागों में बेसिक टीचर्स नही है । कई विभाग ऐसे हैं जिसमे एक -दो डॉक्टरों से काम चलाया जा रहा है । रेडियो डाइग्नोसिस में प्रोफेसर, रीडर ,लेक्चर और रेजिडेंट डॉक्टर तक नही है । जो थे उनको प्रबंधन और कुछ डॉक्टरों ने पॉलिटिक्स करके भाग दिया जिससे उनका धंधा पानी रिफर करके चलता रहे ।
एमबीबीएस स्टूडेंट्स की पढ़ाई : सिम्स में आज लगभग 25 % मेडिकल टीचर्स की कमी है । जो हैं वे भी कोई रिटायर्ड तो सविदा पर है । प्रबंधन द्वारा राज्य सरकार को इन पदों पर नियमित भर्ती के लिए ना तो अवगत कराया गया है और ना ही कोई प्रयास किया गया है । रेजिडेंट डॉक्टर की कमी भी 30% के लगभग है । प्रबंधन के रवैये के कारण लोग आते हैं और छोड़कर जा रहे हैं । आखिर ये सब मरीजो के इलाज और बच्चों के पढ़ाई को प्रभावित कर रही है । आज सिम्स में रेडियोलॉजी में ना प्रोफेसर है और न ही कोई दूसरा टीचिंग स्टाफ । ऐसी ही हालात दूसरे विभागों में भी हैं । जिनका ट्रांसफर हुआ या जो छोड़ कर चले गए तो उनके स्थान पर दूसरा कोई पदस्थ हो इसके लिए कोई भी प्रयास किया हो तो बताये ।
जैसा कि सर्वविदित है कि बिलासपुर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सबसे पसंदीदा जिला है । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव की मंशा हैं कि बिलासपुर के वासियो को समुचित और प्रभावशाली चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिले । सिम्स प्रबंधन जो कि प्रदेश का दूसरा बड़ा मेडिकल कॉलेज है के द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी के आशाओं के विपरीत जाकर जो लापरवाही किया जा रहा है । कृपया उसमें सुधार करते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ आम जनता को मिल सके ऐसा सार्थक प्रयास करे और अमल में लावें जिससे मेडिकल कॉलेज स्तर की स्वास्थ्य सुविधा का लाभ बिलासपुर की जनता को मिल सके ।
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