न्याय के लिए दर दर भटक रहे हैं अनुसूचित जनजाति के चिकित्सक।। बदहाली और गरीबी के जीवन जीने मजबुर हैं चिकित्सक।।
बिलासपुर – यदि आप आम जनता हैं,किसी विभाग में अधिकारी,कर्मचारी हैं, किसान है, यदि किसी समस्या से पीड़ित हैं और आप न्याय पाने न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं तो थोड़ा सावधान हो जाएं आप जिस अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर करना चाहते हैं तो आपको न्याय दिलाने वाला वकील की पृष्भूमि ,हिस्ट्री की पूरी पड़ताल कर लें कि वह वकील कैसा है??क्या सच में आपको न्याय दिला सकता है या नहीं ये उनके बारे में जानकारी ले लेवें फिर वकालतनामा में हस्ताक्षर करके पिटिशन लगाए। आप उन्हें सीमित रुपए में रकम दें और उन्हें पूरी तरह से पूछ लेवें की कितनी फीस देनी पड़ेगी।ग्लोबल 36 गढ़ के माध्यम से हम आपको आगाह कराना चाहते हैं कि कहीं आप भी ठगी के शिकार तो नहीं हो रहे हैं?चूंकि बहुतों की शिकायत होती है कि हमने घर,जेवर,खेत,प्लॉट सब कुछ बेच दिए फिर भी हमें न्याय नहीं मिला। हम बताना चाहते हैं कि आप जिस वकील को वकालतनामा (आपने अपने न्याय पाने के लिए केस की जिम्मेदारी दी है )दिए हैं या उनके माध्यम से केस लड़ रहे हैं आपको सुनिश्चित करना है कि वह ठग तो नहीं रहा है??आइए बताते हैं एक चिकित्सक के बारे में जो न्याय पाने कैसे दर दर भटक रहे हैं और उनका सब कुछ बिक गया फिर भी न्याय नहीं मिला।
डॉ नारायण प्रसाद स्वास्थ्य विभाग में 18 साल तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। डॉ प्रसाद ने हमारे प्रतिनिधि नीलकांत खटकर को विस्तार से बताया कि वे जांजगीर जिला के ब्लॉक पामगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खरोद में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत थे।उक्त सामुदायिक केंद्र के अन्तर्गत एक गांव में 2005 में एक सुसाइडल घटना घटी।एक लड़का ने लड़की के घर जाकर सुसाइड कर लिया उसी बीच लड़का का चाचा डॉ प्रसाद को बुलाया कि मरीज है ईलाज करना है वे उनका घर गए उनका इलाज किया और डॉक्टर की जेब में आपकी फीस है कहकर सुनियोजित,षड्यंत्र पूर्वक, साजिश रच कर रकम डाल दी गई।इधर पहले से ए सी बी की टीम पास ही खड़ी थी डॉक्टर को पकड़ लिया और रिमांड पर लेकर जेल भेज दिया गया।जेल होते ही विभाग ने बर्खास्त कर दिया।लड़का का पोस्टमार्टम भी हुआ जिसमें सुसाइड कि पुष्टि हुई हालाकि इन्होंने पोस्टमार्टम नहीं किया था किसी अन्य चिकित्सक ने पोस्टमार्टम किया था।
इन्होंने बताया कि अपील के दौरान ही बिना सुनवाई के विभाग ने सेवा से बर्खास्त कर दिया जब कि डिसीजन आया नहीं था। वे 2015 में जेल से छूटे उन्हें न अब तक विभाग बहाली नहीं की, न पेंशन दिया और न आधा वेतन दिया।डॉक्टर की 3 संताने हैं।वे निचली अदालत से लेकर ऊपर सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की गुहार लगाई लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।वे अत्यंत बदहाली,गरीबी की जिंदगी जीने मजबुर हैं।इनका शिवरीनारायण में घर था,क्लीनिक था, खेत थी न्याय पाने सब बीक गए लेकिन न्याय नहीं मिला। डॉ प्रसाद ने बताया कि कोई भी शासकीय सेवक बर्खास्त होता है तो उसे आधा वेतन देने का हक बनता है।लेकिन मुझे विभाग ने ये भी देना जरूरी नहीं समझा।चिकित्सक का वेतन 2011 से रुका हुआ है।इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि न्यायालय के आसपास ऐसे वकील बैठे रहते हैं जिहें कोर्ट के विषय पर किसी प्रकार की जानकारी नहीं होती और वकालत करने न्यायालय परिसर में केवल लोगों को लूटने के लिए बैठे रहते हैं।वहीं इस संदर्भ में हाई कोर्ट बिलासपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल शर्मा ने कहा कि डॉ नारायण प्रसाद के प्रकरण का अध्ययन कर चुका हूं वे न्याय पाने के हकदार हैं यदि मुझे न्याय दिलाने के लिए जिम्मेदारी देते हैं तो मै उन्हें समय पर न्याय दिलाने का भरसक प्रयास करूंगा। डॉ नारायण प्रसाद के बारे में जांजगीर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर एस बंजारे ने बताया की इस मामले की मुझे जानकारी नहीं है लेकिन डॉ प्रसाद को मंत्रालय जाकर स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से मिलना चाहिए कि इस मामले में बहाली के लिए क्या किया जा सकता है।
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