रायपुर उरला थाना के टी आई द्वारा राहगीरों की बर्बरता पूर्वक पिटाई की पवन गोयल ने निंदा की।।

Global36 गढ़ के संवाददाता नीलकांत खटकर।।

 

 

 

 

 

बिलासपुर – स्थानीय आरटीआई कार्यकर्ता पवन गोयल ने उरला टी आई नितिन उपाध्याय द्वारा राहगीरों की बर्बरता पूर्वक पिटाई करने की घटना कि निंदा करते हुए उन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।आइए आगे पढ़ते हैं पवन गोयल ने हमारे संवाददाता को पुलिस विभाग और उरला के टी आई के बारे में क्या कहा। श्री गोयल ने कहा कि क्या कानून को हाथ मे लेने का अधिकार पुलिस को है ? यदि जनता भी ये ही काम करने लगे तो विभाग कैसे करेगा? तो फिर छः ग की सीधी साधी निर्दोष जनता पर क्रूरता क्यो ? जब देश का सिस्टम,जबाबदेही सरकारे,व्यवस्थाये फेल हो चुकी हो, सरकारे हाथ उठा चुकी हो? तो पुलिस अकेली लोगो को क्रूरतापूर्ण मार मारकर कोरोना रोकेगी ?कृपया छः ग के शांत, शहनशील जनता को आंतकवादी मत बनाओ यदि शरीफ लोग गुंडे बनते हैं? तो बहुत खतरनाक साबित होता है? फिर भी यदि पुलिस उक्त क्रूरता करने वाले पुलिस का समर्थन करती है तो इसे सरकारी आंतकवाद ओर वर्दी के रूप में उसे एक वर्दी वाला और लाइसेंसी गुंडा ही कहेंगे ? पुलिस बात बात पर नागरिको को कानून के पालन का पाठ पढ़ाती है, और खुद कानून का अधिकारों को दुरुपयोग करती है ! कानून का पालन केवल नागरिको के लिए ही है ? रायपुर उरला थाने के अंतर्गत जिस निर्दोष युवक को पुलिस की मार से गम्भीर चोट आयी है उसका जिम्मेदार कौन ? क्या वह बालक,और उसका परिवार और इस घटना को जानने वाले, जीवन मे कभी पुलिस के प्रति सदभावी बनेगे ?कभी नही ! क्या इसी तरह,पुलिस,जनता को अपना दुश्मन बनाकर, अपने कर्तव्यो का निर्वहन कर पायेगी, क्या ये ही है जनसेवा का असली चेहरा ? पुलिस पर फूल वर्षा करने वालो जबाब दो !
देशभर में छः ग की शांतिप्रिय स्वभाव वाली जनता के कायल है लोग, जितने भी जज, पुलिस के बड़े अधिकारी रिटायर हुए, सभी ने छः ग की जनता को बेहद शांतिप्रिय, धैर्य वाली, मेहनतकश लोगो से परिपूर्ण जनता का राज्य बताया है, तो फिर इस शांत फिजा में सरकारी आंतकवाद फैलाने वाले ये लोग कंहा से आ गए है? कुछ समय पहले बिलासपुर तारबाहर थाने के प्रभारी श्रीमान स्वर्णकार द्वारा बुखारी पेट्रोल पम्प पर क्रूरतापूर्ण आचरण किया गया और अब रायपुर उरला थाने के अंतर्गत पुलिस द्वारा ! ये लोग स्थानीय लोग नही है शायद ? इनकी जांच होनी चाहिए कि ये लोग छः ग कोटे में पुलिस में कैसे जॉब पा गए है, हमें पूर्व में थाना सिविल लाइन्स में पदस्थ ASI के बारे में सूचना मिली थी कि वो उतर प्रदेश के निवासी है, उनकी शिक्षा,दीक्षा, पालन पोषण सब उत्तर प्रदेश में हुआ, फिर कैसे छः ग का स्थायी निवासी होने का प्रमाणपत्र हासिल कर छः ग पुलिस में भर्ती हुए?? हमने RTI से उक्त सम्बन्ध में जानकारी चाही तो हमे न केवल धमकियां मिली बल्कि RTI का जबाब भी आज तक नही मिला है ! यह जांच होनी चाहिए कि ये बाहरी लोग कैसे छत्तीसगढ़ ने पुलिस की जॉब पाने में सफल हुए है?? क्योंकि यदि ये लोग बचपन से छः ग में पले बढ़े हुए तो जानते कि छ:ग में अन्य राज्यो की तरह अपराधी नही है ! और लोगो पर इस क्रूरता से आचरण नही करते ? छ:ग के स्थानीय जिन भी लोगो की भर्ती पुलिस में हुयी है वो इस कदर क्रूर तो कोई भी नही है ! क्या ये बाहरी लोग, छः ग को एक अशांत प्रदेश, अपराधियो का प्रदेश बनाना चाहते है ? या यह सोचकर ही पुलिस में भर्ती हुए है तो इनको वर्दी वाला लाइसेंसी गुंडा ही कहना उचित है ?सवाल बहुत है,लेकिन जबाबदेही और जबाब किसी के पास नही – धन्यवाद आपका पवन गोयल आरटीआई कार्यकर्ता बिलासपुर।।

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