
चिन्हांकित 49 चिटफण्ड कम्पनियों की संपत्ति कुर्की नीलामी नहीं हो पाएगी।नीलामी करानी है तो निवेशकों को वर्तमान तिथि में करना होगा थाना में रिपोर्ट दर्ज।
रायपुर 15 जुलाई 2022 । छ ग सरकार ने चिटफंड पीड़ितों को पैसा वापस करने का फैसला लिया है।अब तक प्रदेश में 6 से 10 चिटफण्ड कंपनियों की संपत्ति बेचकर रूपए वापस कर दिए गए हैं वहीं प्राप्त जानकारी अनुसार1 दर्जन चिटफंड कंपनियों की संपत्ति नीलामी कर संबंधित जिले के कलेक्टर के खाते में राशि जमा हो गई है जहां पीड़ितों को जल्द पैसे दिए जाएंगे।लेकिन 49 ऐसी भी चिटफंड कंपनियां हैं जिनकी चिटफंड अधिनियम 2005 के तहत नीलामी नहीं हो पाएगी। इस अधिनियम के तहत 23 जुलाई 2015 के बाद थानों में दर्ज मामलों पर चिटफंड कंपनियों की संपत्ति कुर्की नीलामी की जा रही है।यदि किसी निवेशकों को अपनी कंपनी की संपत्ति नीलामी करानी है तो प्रदेश के थानों में पता करना होगा की 23 जुलाई 2015 के बाद मामला दर्ज है की नहीं। इस तिथि के पहले मामला पंजीबद्ध है तो वर्तमान तिथि में रिपोर्ट दर्ज कराना होगा।
हमारे संवाददाता ने इसकी पड़ताल करने रायपुर जिला प्रशासन से मुलाकात कर बातचीत की तो ऐसी 49 चिटफण्ड कंपनियों की सूची मिली जहां रायपुर में संपत्ति तो है लेकिन सभी मामले 23 जुलाई 2015 के पहले के हैं जिस कारण से संपत्ति की कुर्की नीलामी नहीं हो पा रही है। इस संदर्भ में रायपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कीर्तन राठौर ने बताया कि 49 ऐसी चिटफंड कंपनियां है जिनकी संपत्ति तो है लेकिन सभी 23 जुलाई 2015 के पहले मामले दर्ज है।यदि इन चिटफंड कंपनियों की संपत्ति कुर्की नीलामी करानी है तो प्रदेश के थानों में पता करना होगा की 23 जुलाई 2015 के बाद मामला दर्ज है अन्यथा संबंधित निवेशकों को वर्तमान तिथि में थाना में रिपोर्ट दर्ज कराना होगा।ऐसे 49 चिटफण्ड के संबंध में क्या किया जाना है सूची शासन को भेजी गई है वहां से निर्देश आते ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।इधर निवेशकों ने शासन प्रशासन के इस अधिनियम पर नाराजगी जाहिर कर शासन से मांग की है कि मौजूदा अधिनियम को शिथिल करते हुए चिन्हांकित 49 चिटफण्ड कंपनियों की संपत्ति की नीलामी कर जल्द से जल्द पैसे वापस करें।निवेशकों ने आगे कहा की यह तो पुलिस प्रशासन का काम है कि कौन सा थाना में कब किस कंपनी के विरुद्ध मामला पंजीबद्ध है।ज्ञात हो कि इन 49 चिटफण्ड कंपनियों के विरुद्ध सन 2000 से 2014 के बीच रायपुर जिला के विभिन्न थानों में मामला पंजीबद्ध हुआ था।