बलौदा बाजार – इस बार नया साल के समय तालाबंदी के पूर्व देश की राजधानी दिल्ली के इंटरनेशनल अम्बेडरक सेंटर में दिनांक 31 जनवरी 2020 को डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा संपादित व प्रकाशित ‘मूकनायक’ पत्रिका का (100 साल होने पर) “शताब्दी” वर्ष कार्यक्रम ‘दलित दस्तक’ द्वारा आयोजित किया गया था। इसी कार्यक्रम में शामिल होने हम सपरिवार गए हुए थे, इसी दौरान आदरणीय शांतिस्वरूप बौद्ध सर जी से मुलाकात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सच मे उनका बौद्धिक दृष्टिकोण ओजस्वी, तार्किक व सारगर्भित संबोधन सुना और लगा कि देश में कोई है जो पाखंडवाद,अंधविश्वास, प्रथा-परम्परा के विरोध में बोल रहा है,लिख रहा है, छाप रहा है और संवैधानिक अधिकार के लिए लड़ने के लिए बहुजन समाज को प्रेरित भी कर रहा है।उनके साहित्य का अध्ययन से सामाजिक न्याय के मुद्दे पर बहुजन समाज को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयत्न किया है।
शांतिस्वरूप बौद्ध सर भारतवर्ष में मानव वाद,अम्वेडकरवाद,बुद्धिज्म के एक ऐसे महानतम स्तम्भ व समर्थक थे जैसा अब होना शायद सम्भव नही दिख रहा है।मैं तमाम बुक फेयर्स में ‘सम्यक प्रकाशन’ की किताबों को खरीदता था। वे ‘सम्यक प्रकाशन’ पुस्तक के संस्थापक है। उन्होंने दुनिया का एक सर्वश्रेष्ठ बहुजन प्रकाशन ,बहुजन साहित्य खड़ा किया । हमारे बीच से उनका जाना अपूरणीय क्षति रहा। हमें वो सदा स्मरणीय रहेगा।
अति दुखद एवं नम आंखों बौद्ध जी को परिनिर्वाण प्राप्ति पर नमन👏आदरांजली💐🌷🌹🙏