बिलासपुर 01 अक्टूबर 2020। केंद्र सरकार द्वारा लाई गई कृषि विधेयक का जंहा कांग्रेस इस विधयेक को किसान विरोधी बताकर इसका विरोध कर रही है । वही भारतीय जनता पार्टी इस विधेयक के आने से किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिलने का दावा कर रही है। राजधानी रायपुर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस विधेयक के विरोध में कांग्रेस भवन से पैदल मार्च निकाला कर राष्ट्रपति के नाम इस विधेयक के विरोध में राज्यपाल को ज्ञापन सौपा था।
आज उसी का जवाब देते हुए बिलासपुर के सांसद अरुण साव ने किसानों के साथ चर्चा की और इस विधेयक से किसानों को होने वाले फायदे के बारे में बताया । सांसद साव ने किसानों से कहा कि इस विधेयक के आने से किसानों को बड़ा बाज़ार मिल सकेगा जिससे उनकी उपज की उन्हें अच्छी दाम मिल सकेगी। पहले 25 एकड़ जमीन वाले किसान को भी अपनी बेटी की शादी के लिए अपना जमीन बेचना पड़ता था क्योंकि फसलों के उन्हें अच्छे दाम नही मिलते थे। और किसान गरीब का गरीब बना रहता था लेकिन इस विधेयक के आने से अब किसी किसान को अपनी बेटियों की शादी के लिए अपनी जमीन बेचने की नोबत नही आएगी । हर किसान को उनकी फसल का उन्हें अच्छी कीमत मिल सकेगी। कांग्रेस किसानों को भ्रमित करने का कार्य कर रही है । जबकि यह विधेयक किसानों के हितो की रक्षा के लिए लाया गया है। इससे हर किसान मजबूत बनेगा ।
कौन से तीन कृषि विधेयक है :
1. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य( संवर्धन और सरलीकरण ) 2020 –
इस विधेयक में एक ऐसा सिस्टम लागू करने का प्रावधान दिया गया है, जंहा किसानों व व्यापारियों को मंडी से बाहर अपनी फसल अपने दामों में बेचने की आज़ादी होगी।
2.कृषक ( सशक्तिकरण व संरक्षण ) कीमत अस्वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक 2020 –
यह बिल कृषि उत्पादों की बिक्री,फार्म, सेवाओं, कृषि बिज़नेस, फर्मो प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं,बड़े खुरदुरे,विक्रेताओं और निर्यातको के साथ किसानों को जड़ने के लिए सशक्त बनाता है।
3. आवश्यक वस्तु ( संशोधन ) विधेयक 2020 –
इस विधेयक में अनाज, दलहन, खाद्य तेल, प्याज,आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान किया गया है।
माना जा रहा है कि इस विधेयक के प्रावधानों से किसानों को उनके फसलों का उचित मूल्य मिल सकेगा क्योंकि इस विधेयक के लागू होने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
आखिर क्यों हो रहा है इस विधेयक का विरोध –
किसान संगठनों का आरोप है कि इस विधेयक के लागू होने से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों व कार्पोरेट घरानों के हाथों में चली जायेगी और अंततः इससे नुकसान किसानों का ही होगा।