बलौदाबाजार:19/09/2020 को बलौदाबाजार भाठापारा जिला बहुजन समाज पार्टी के द्वारा भाठापारा विधानसभा के खपराडीह सामुदायिक भवन में प्रदेश बसपा प्रमुख ने क्षेत्र के आदिवासी समाज प्रमुखों का बैठक किया आदिवासी समाज के लोगों को बसपा प्रदेशाध्यक्ष हेमन्त पोयाम ने संबोधित करते हुए कहा कि क्या कारण है कि आजादी के 73 सालों बाद भी आदिवासी बाहुल प्रदेश छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की जा रही है .? सरकारें बदलती है पर नीतियां नही बदलती , कांग्रेस ने प्रदेश में आदिवासियों के भरोसे 55 साल एकक्षत्र राज किया उन्होंने भी नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों का शोषण किया और उनके अस्तित्व पर।सवाल खड़ा किया । 15 साल भाजपा ने राज किया परन्तु उहोने भी आदिवासियों को मिटाना अपना मुख्य टारगेट बना कर रखा अब फिर कांग्रेस की सरकार आई है ।
जो राम वन पथ गमन के नाम पर आदिवासियों की सांस्कृति पर हमला बोला रहा है । छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की संख्या सबसे ज्यादा है , और यहां अनेक आदिवासी राजाओं का राज रहा है । हमारी संख्या बल लोकतंत्रीय ब्यवस्था में कांग्रेस भाजपा के मनुवादी लोगों को भारी न पड़ जाए , क्या इसी डर से इन पार्टियों की सरकारें लगातार किसी न किसी बहाने आदिवासी अस्तित्व पर हमले कर रहे हैं और , इसी कारण इन पार्टियों के लोगों ने कभी भी आदिवासी नेतृत्व को उभरने नही दिया। यहाँ आदिवासी विधायक काफी संख्या में हैं परन्तु जिस हिसाब से प्रदेश में जनसंख्य व अन्य गतिविधयों पर आदिवासियों का अहम योगदान है उस हिसाब से छत्तीसगढ़ में 15,16 साल की सरकारों में आदिवासियों को उचित प्रतिनिधित्व नही दिया।उसके साथ ही प्रदेश में नक्सलियों के नाम पर आदिवासियों के ऊपर अन्याय अत्याचार काफी बढ़ा है अविभाजित छत्तीसगढ़ में जहां नक्सलियों की हलचल कुछ ही जिले में थी , विभाजन के बाद कांग्रेस और भाजपा की सरकार में नक्सलियों की गतिविधि बस्तर की बीहड़ से चल कर शहरों और गांवों तक पहुँच गया , आखिर यह बढ़ोतरी कैसे हुवा .?यह इन सरकारों ने अभी तक नही बता पाया नक्सल उन्मूलन के नाम पर केंद्र व राज्य से भारी भरकम बजट निकाल कर उसका बंदर बांट करते रहे ..। नक्सली क्षेत्रों के विकास के लिए बजट निकालते रहे परन्तु आदिवासी क्षेत्र आज भी खंडहरों में तब्दील हो रहा है। आदिवासियों को नक्सली बता कर उन्हें जेलों में डाला जा रहा है या फिर उन्हें डरा धमका कर उनके गांवों से खदेड़ा जा रहा है, आदिवासी इलाके में प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा भरा पड़ा है जिसे निजी कंपनियों को बेचा जा रहा है। चाहे पुलिस की गोली हो या फिर नक्सलियों की गोली हो दोनों ओर से आदिवासियों को ही निशाना बनाया जा रहा है, कहीं यह आदिवासियों की जनसंख्यका को मिटाने व उन्हें उनके जल , जंगल जमीन से बेदखल करने की साजिश तो नही ? कहीं नक्सलियों के नाम पर आदिवासी समाज को बदनाम करने की साजिश तो नही .? इन बातों से सम्पूर्ण आदिवासी समाज को सावधान रहने की जरूरत है ,और सरकार से यह सवाल पूछने की जरूरत है कि आखिर वह कौन सा कारण है जिसके कारण बस्तर की माशूम बालाएं जिनके हांथों में पुस्तक व कलम होना चाहिए वह हाथ आज बंदूक उठाने के लिए मजबूर हैं ..? वह युवा जिनके कंधों पर बूढ़े माँ बाप को सहारा होना चाहिए वहां AK 47 हथियार लदे हैं ..? जिन आदिवासियों के अंगों पर आज भी कपड़े नही हैं, आखिर इन लोगों अत्याधुनिक हथियार कहाँ से आपूर्ति हो रहा है ,इसके लिए देश और प्रदेश की सरकार जिम्मेदार नही तो और कौन है ..? आदिवासियों की जनसंख्या तो शहरों में नही फिर शहरों में उसका विस्तार कौन कर रहा है .? इन सभी परिस्थितियों का आंकल करें तो ऐसा प्रतीत होता है कि अब तक कि सरकरों ने समश्या को सुलझाने के बाजय और भी उलझाने का काम किया है ।आदिवासियों की सभ्यता संस्कृति को नष्ट करने का काम कर रही हैं सरकारें छत्तीसगढ़ के अधिकांश आदिवासी जिलों में 5वी अनुसूचि लागू है और 5 वी अनुसूचित क्षेत्रों में कोई भी सरकारी आदेश बगैर आदिवासियों की सहमति के लागू नहीं हो सकता आज भाजपा, कांग्रेस की सरकारें आदिवासी क्षेत्रों में अपनी विचारधारा को थोपने का काम कर रही है। आज कांग्रेस पार्टी की सरकार पूरे प्रदेश में राम वन पथ गमन के नाम पर 139 करोड़ रुपये का बजट ज़ारी किया है जबकि आदिवासी समाज के अनेक संगठनों के द्वारा सरकार के इस प्रोजेक्ट का विरोध किया जा रहा है। सरकार को पता है कि पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी प्रोजैक्ट को लागू करने से पहले आदिवासी समाज को विश्वास में लेना जरूरी है। लेकिन सरकार इस मामले में अपनी ही मनमानी कर रही है। बहुजन समाज पार्टी का सरकार को यह सलाह और सुझाव भी है कि इस प्रोजेक्ट को लागू करने से पहले आदिवासी समाज में फैले असंतोष को दूर करने का प्रयास करे , इन तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए आदिवासी समाज को प्रदेश में अपना नेतृत्व पैदा कर छत्तीसगढ़ में बसपा की सरकार बनाने होंगे । लंबे समय से प्रदेश के अंदर समाज के द्वारा आदिवासी नेतृत्व की मांग उठ रही है , प्रन्तु कांग्रेस और भाजपा ने आदिवासियों को यह मौका नही दिया , अविभाजित मध्यप्रदेश में हम सब के हित चिंतक हमारे दिवंगत नेता मान्यवर कांशीराम जी ने आदिवासी नेतृत्व देने की घोषणा किया था । प्रन्तु हमारा आदिवासी समाज उस पर गौर नही कर पाया , बहुजन समाज पार्टी हमेशा से आदिवासी नेतृत्व के पक्ष में रहा है … प्रदेश में बसपा की सरकार बनने पर आदिवासियों उनकी अंशा के अनुरूप प्रतिनोधित्व मिलेगा और उनके तमाम समस्याओं का स्वतः अंत हो जाएगा । बैठक को पूर्व विधायक दुजराम बौद्ध , पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एड. सदानंद, एड. राजकुमार पात्रे, ने भी सम्बोधित किया ने भी संबोधित किया । कार्यक्रम में मुख्य रूप से sc, st संघर्ष समिति जिला बलौदाबाजार के उपाध्यक्ष निलकंठ ध्रुव , पूर्व जिलाध्यक्ष सतीश मनहरे, जिलाध्यक्ष डेरहा डहरिया सहित आदिवासी समाज के 125 लोगों ने भाग लिया । कार्यकम का आयोजक विधानसभा अध्यक्ष भाठापारा रतिराम टंडन व संचान आजाद सिंह कौशक ने किया ।