जगदलपुर – बहुजन समाज पार्टी के छ ग प्रदेश अध्यक्ष हेमंत पोयाम ने दिनाभाना के 30 अगस्त को महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर उनके बारे में बताया उन्होंने कहा कि बाल्मीकि समाज में जन्मे दिनाभाना जी का जन्म जयपुर में हुआ था, उनके पिताजी अगड़ी जाति वाले व्यक्ति के इन्हा भेंस का दूध निकालते थे. दिनाभाना जी ने अपने पिता से एक भेंस खरीदने की जिद की, जिनकी जिद के कारण भेंस खरीदी गयी लेकिन अगले ही दिन बेच दी गयी, कारण यह था की इससे अगड़ी जाति वालो ने उन पर प्रेशर बनाया की तुम छोटी जाति के सूअर पालने वाले भंगी हमारी बराबरी करोगे. जिससे दुखी होकर दिनाभाना जी ने घर छोड़ दिया और बाबा साहब के एक कार्यकम में पहुच गये, जन्हा पर जैसे ही उन्होंने बाबा साहब को सुना, उन्हें पता चल गया की यह ही सही व्यक्तित्व है जो की शोषित समाज के दुखो को दूर कर सकते है. इसके बाद वो पुणा पहुच गये और DRDO (गोला बारूद बनाने वाला संस्थान) मे चतुर्थ श्रेणी के पद पर नौकरी करने लगे।बाबा साहब के जन्मोत्सव १४ अप्रैल के दिन उन्होंने विभाग से छुट्टी मांगी, जो की नही दी गयी, जिसके कारण हंगामा होने पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया, उनका साथ डी के खरपर्डे ने दिया, जिनके साथ भी ऐसा ही हुआ।उन्होंने आगे कहा कि इस घटना ने बहुजन आंदोलन की नींव रख दी क्योंकि जैसे ही यह खबर अधिकारी वर्ग में कार्य कर रहे मान्यवर कांशीराम जी को पता लगी तब इस घटना से काफी दुखी हुए, उन्होंने दिनाभाभा के कोर्ट केस को लड़ने में मदद की, और सबसे बड़ी बात यह की उनमे बाबा साहब को पढने की व जानने की रूचि जाग्रत हुई. जब कोर्ट केस के समय मान्यवर दिनाभाभा के साथ कोर्ट के बाहर बैठे थे तभी डी के खापर्डे जी भी आ गए तब मान्यवर कांशीराम जी ने उनसे बाबा साहब के साहित्य के बारे में पूछा तो उन्होंने मान्यवर जी को “एनिहिलेशन ऑफ कास्ट” किताब दी। जिसे मान्यवर कांशीराम जी ने कई बार पढ़ा और उसके बाद नौकरी छोडकर बहुजन आन्दोलन की नींव रख दी और उसे उंचाई पर पहुचाया।बाद में कोर्ट केस जितने के बाद बहाली हुई और दिनाभाभा जी का ट्रांसफर दिल्ली हो गया लेकिन इस घटना के कारण मान्यवर कांशीराम जी ने नौकरी छोड़ दी और एक इतिहास लिख दिया। बामसेफ के संस्थापक सदस्य व मान्यवर कांशीराम जी के सहयोगी मान्यवर दिनाभाभा जी को उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर शत: शत नमन।।