बिल्डर के अवैध प्लॉटिंग का साथ दे रहे हैं राजस्व अधिकारी।।

Global36 गढ़ के संवाददाता नीलकांत खटकर।।

बिलासपुर – कहते हैं राजस्व विभाग और उसके अधिकारी कर्मचारी लाख दावे कर लें कि उनके क्षेत्र में सभी कार्य जैसे प्लॉटिंग, नामांतरण, सीमांकन, फौती उठाना,ऑन लाईन डीएससी आदि राजस्व नियमो के तहत किया जा रहा है लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं एक जनहित में लगाये गए आवेदन कि जिसे तहसीलदार और एसडीएम बिलासपुर के नाम पर दिया गया है और आवेदन पत्र में साफ तौर से इस बात का जिक्र किया गया है कि कृषि भूमि को बिना टीएनसी अनुमति, एवं रेरा पंजीयन के अवैध रूप से प्लॉटिंग कर विभिन्न टुकड़ों में बेचा जा रहा है और अब गुपचुप तरीके से नामांतरण किये जाने की तैयारी है।आवेदन पत्र के अनुसार ग्राम – जलसो, तहसील एवं जिला बिलासपुर में पटवारी हल्का नंबर – 19 में जहां पटवारी निखिल सोनी पदस्थ हैं । यहां दिल्ली वाले के नाम से जाने जाने वाले सदन सिंह के द्वारा अपने भागीदार, विजय जैन, घनश्याम कुशवाहा एवं लोकेंद्र अहिरवार के साथ मिलकर 22 एकड़ भूमि पर जो कि सदन सिंह के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है, के द्वारा अवैध रूप से विभिन्न टुकड़ों में प्लाटिंग करके बिक्री की जा रही हैं ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संबंधित हल्का पटवारी निखिल सोनी ने इस बात की जानकारी के बाद भी ना एसडीएम ना तहसीलदार को इस बात से अवगत कराई गई है। मतलब उन्होंने अपने ही हल्के क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग एवं प्लाटिंग करनें वालों को संरक्षण देकर अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरती है। जनहित में लगाये गए आवेदन के अनुसार रेरा के नियमों को ताक में रखकर की गई इस अवैध प्लाटिंग में सभी राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर शासन को राजस्व की हानि पहुंचाई है।आवेदन के अनुसार जिन खसरा नंबरों की बिक्री की जा रही है। वह खसरा नंबर निम्नलिखित है- 856 /6 में से, 856/1/क, 844, 940/2, 935, 946/2, 932, 938 इन खसरों के द्वारा और कुछ और विभिन्न खसरों के द्वारा, सदन सिंह पिता स्व. राम नगीना सिंह, के द्वारा 50 के लगभग टुकड़ों में राजस्व के नियमों की अनदेखी करते हुए एवं ग्राम एवं नगरी निवेश की अनुमति के बिना प्लाटिंग करके बिक्री किया जा रहा है। इसमें पटवारी एवं नायब तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध है। क्योंकि इन खसरों का नामांतरण भी जारी है , यदि इसे रोका नहीं गया तो इन भूमि के टुकड़ों को खरीदने वालों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिलेगी और भविष्य में इस क्षेत्र का विकास करने की जिम्मेदारी शासन और प्रशासन पर आ जायगी।इन खसरा नंबर की भूमियों को बिक्री सदन सिंह के द्वारा स्वयं एवं लोकेंद्र अहिरवार, विजय जैन के द्वारा मुख्त्यार नामा बनाकर भी बिक्री किया जा रहा है। बहरहाल अब राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को ताकीद करते हुए आवेदक ने जनहित में आवेदन 6/7/2020 को सौप दिया है।देखने वाली बात यह है कि क्या अधिकारी अब भी कोई कार्यवाही करते हैं या फिर जनहित में लगा आवेदन स्वच्छ भारत अभियान के डस्टबीन में डाल कर अधिकारी जनहित के बजाय स्व हित की सोचेंगे।

 

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