बिलासपुर 24 जून 2020। कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी प्राप्त करने के लिए ग्राम स्तर पर भी मृदा परीक्षण केन्द्र खोले जाएंगे। इस व्यवस्था से जिले के किसानों को अपने ग्राम में ही मिट्टी नमूना परीक्षण कराने में सहूलियत प्राप्त होगी। मृदा विश्लेषण के परिणाम के आधार पर अनुशंसित आवश्यक मात्रा में उर्वरक एवं माईक्रोन्यूट्रिमन्ट का उपयोग कर कृषि लागत में कमी लाते हुए फसलोत्पादन ले सकेंगे।
ग्रामीण स्तर पर की मृदा परीक्षण की प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिये एग्री क्लीनिक और एग्री बिजनेस सेंटर, एग्री-प्रीन्योर, भूतपूर्व सैनिक, स्व-सहायता समूह, किसान उत्पादक, किसान निर्माता कंपनियों, किसान संयुक्त देयता समूह, किसान सहकारी समितियां, इनपुट रिटेल आउटलेट, इनपुट रिटेलर्स और स्कूलों एवं, काॅलेजों को वित्तीय सहायता का लाभ दिया जाएगा। परियोजना की कुल लागत का 75 प्रतिशत (5 लाख रूपये) प्रदान किया जाएगा। लाभार्थीयों को कुल लागत का 25 प्रतिशत अर्थात् 1.25 लाख स्वयं वहन करना होगा। योजना का लाभ पहले आये पहले पाये के आधार पर दिया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि खेतों में संतुलित उर्वरक के उपयोग के लिए मृदा का विश्लेषण अत्यंत आवष्यक है। मृदा विश्लेषण की आवष्यकता की पूर्ति हेतु भारत शासन द्वारा स्वायल हेल्थ कार्ड मैनेजमेंट योजना क्रियान्वित की जा रही है। बिलासपुर जिले में दो शासकीय मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला संचालित है। स्वायल हेल्थ कार्ड मैनेजमेंट योजनांतर्गत ग्रामीण उद्यमियों के माध्यम से मृदा विश्लेषण हेतु मृदा परीक्षण केन्द्र खोलने की योजना है। जिसका उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन, मृदा नमूने का बिना विलंब के विश्लेषण को बढ़ावा देना, स्वायल हेल्थ कार्ड पोर्टल के माध्यम से कृषकों को आॅनलाईन स्वायल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराना एवं कृषकों को अपने पहुंच के स्थान पर ही मृदा परीक्षण क सुविधा उपलब्ध कराना है।