रायपुर(छ ग) – पूरे भारतवर्ष में कबीरपंथ के सर्वप्रमुख ब्रह्मचारिणी आश्रम पोटियाडीह धमतरी में साध्वी सुशीला साहेब के शरीरांत के पश्चात अध्यक्ष का पद खाली था। उसकी जगह पर आज एक सादे समारोह में साध्वी समष्टि साहेब को प्रतिष्ठित की गई। इस अवसर पर आश्रम ट्रस्ट के समस्त पदाधिकारी और सदस्य गण विराजमान थे, जिनमें प्रमुख रूप से साध्वी शीलवती साहेब और साध्वी विवेक साहेब तथा गांव के भक्तगण सहित आश्रम का साध्वी समाज उपस्थित था।
छत्तीसगढ़ के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल राजिम की गोद में बसे गांव परसट्ठी में महान भक्तराज श्रीमान बुधुराम गौंटिया और भक्तिमति सुकारो देवी के यहां 4 अप्रैल 1972 में जन्मी समष्टि साहेब अपने नाम के अनुरूप अत्यंत विनम्र और सबको अपने में समाहित करने वाली विशाल हृदय की साध्वी हैं। आठवीं कक्षा पास करने के बाद उनका रुझान वैराग्य में लग गया और वो सद्गुरु अभिलाष साहेब जी आदेश और उपदेशानुसार साधना में लग गईं। उनके भैया भी बाद में साधु मार्ग में आकर आज साधनारत हैं, जिन्हें हरी साहब के नाम से जाना जाता है।
कबीरपंथ ही नहीं अध्यात्म जगत के महान अनुशास्ता और कबीर पारख संस्थान, प्रयागराज के संस्थापक पूज्य गुरुदेव सद्गुरु अभिलाष साहेब जी अक्सर कहा करते थे कि ” *आश्रम की व्यवस्था के लिए कुछ योग्य व्यक्तियों को पदभार दिया जाता है, जो कि बिल्कुल कामचलाऊ है। ” यह पद अत्यंत गरिमापूर्ण और शुद्ध अवैतनिक होता है। व्यष्टि रूप में पदाधिकारी संत या साध्वी कुछ विशेष हैं मगर समष्टि रूप में आश्रम में आए साधक की भांति बिल्कुल सामान्य साधक ही हैं। यह साधु समाज का अत्यंत निर्मल और सम्यक व्यवहार है।कबीर आश्रम, नागपुर परिवार की ओर से साध्वी श्री को उनकी नई पारी और जिम्मेदारी पूर्ण साधना के लिए खूब-खूब मंगल कामनाएं और अनंत साधुवाद।उक्त आशय की जानकारी यतींद्र दास जी ने दी।