माफियाओ से बचना है मुश्किल – आरटीआई कार्यकर्ता पवन गोयल।।

Global36 गढ़ के संवाददाता नीलकांत खटकर।।

 

 

बिलासपुर :- देशभर से ऐसी सूचनाएं आ रही है कि सभी सरकारे स्कुलो को बन्द के दौरान फीस वसूलने का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करती है ? छः ग सरकार ने जुलाई से स्कुलो को खोलने की अनुमति दी है, लेकिन उपस्थिति आवश्यक नही, क्योकि वसूली तो हो जाये? फीस का मीटर तो चालू हो जाये ? उपस्थिति आवश्यक नही का फैसला भी तब लेना पड़ा है जब अभिभावकों ने अपने बच्चों को मौत के मुँह में भेजने से मना कर दिया है, जो भी माता पिता अभिभावक करते है अपने बच्चों से प्यार? उनको तो यह भी मंजूर है कि एक साल नही पढेंगे तो भी होंगा मंजूर ? तो फिर सरकारो को ओर शिक्षा माफियाओ को क्यो है जल्दी? क्योकि देशभर में शिक्षा माफिया कौन है यह जानना आवश्यक है, देश में राजनीतिक दुकान चलाने वालों का कब्जा है ऐसे सभी संस्थानों पर, इन संस्थानों की असीमित एवम स्थायी आय के भरोसे ही तो ये सफेद कपड़े पहनकर, चमचमाती गाड़ियों में साथ में हमेशा 10-20 चेलो के साथ राजनीति करते है, क्योंकि इनको नियमित आय तो आ रही है, इसलिए बहुत से माफिया है देश मे ,शिक्षा माफिया , मेडिकल कालेज माफिया, शराब माफिया, भूमाफिया, स्टेम्प बिक्री माफिया, होटल माफिया, शक्कर माफिया, गौमांस माफिया, चमड़ा माफिया,
भूमाफिया, ओर न जाने कितने अनगिनत माफिया है ? इन सब पर नेताओ का कब्जा है ? नेता चुनाव हारा हुआ हो या जीता हुआ, उससे कोई फर्क नही पड़ता, केवल इनकी बिरादरी का होना चाहिए ! ये कभी एक दूसरे को जेल नही भेजेगे, ये कभी एक दूसरे के संस्थान के खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही नहीं करेंगे, ये अघोषित राजनीतिक सन्धि है ! जो गिने चुने संस्थान इनके स्वामित्व के नही है, उनसे ये लोग भारी भरकम चन्दा लेते है !
और अब शीघ्र ही देश मे एक नये माफिया का उदय होने वाला है, फसल माफिया,
केंद्र ने जो नया कानून बनाया है किसानों के लिए, वो एक नये फसल माफिया के उदय और सुविधा के लिए पर्याप्त है, ये लोग किसानों की आर्थिक मजबूरी का लाभ उठाकर, फसल उगने से पहले ही खरीद लेंगे ?और बाद में अपने मनमाने दामो पर बेचा करेंगे ! देश की सामान्य जनता, विभिन्न माफियाओ के मकड़ जाल में जीवन निर्वहन करती है, करती रहेगी, जब भी कोई भ्र्ष्टाचार की खबर छपती है तो जनता केवल चटकारे लेकर थोड़ी देर के लिए मनोरंजन करती रहे ! ओर 99% कम दिमाग वाले यह कहते रहे कि मेरा नेता अच्छा, मेरी सरकार अच्छी ! बाकि 1% इन 99% कम दिमाग वालो पर राज करते रहे है, करते रहेंगे ! हम बात कर रहे थे स्कुलो की:- ये फैसले जनता के लिए नही, जनहित में नही, शिक्षा माफिया के लिए लिये जा रहे है ! जनता की फिक्र किसको है ? जब 99% कम दिमाग वाली जनता पहले से ही यह कहती है कि मेरा नेता अच्छा, मेरी पार्टी अच्छी ? तो फिर खराब कौन, बुरा कौन ?

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