UAPA क़ानून के खिलाफ उठी आवाजे, कुछ लोगो ने किया प्रदर्शन।

global36garh न्यूज से ललित गोपाल की खबर

 

 

 

 

 

 

बिलासपुर 3 मई 2020। केंद्र सरकार के UAPA कानून के खिलाफ में कुछ लोगों ने आज बाबा साहब अम्बेडकर की मूर्ति के सामने खड़े होकर प्रदर्शन किया।

इनका कहना है कि सरकार विरोधी आवाजो को दबाने के लिए सरकार द्वारा ये कानून लाया गया है । सरकार के विरोध मे जो भी आवाज उठी है उसे इस कानून के तहत परेशान की जा रही है । इस लॉक डाउन में सारी ट्रेनें बद थी तो गुजरात के कुछ मजदूर जो पहली बार सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी । सूरत और मुम्बई में भी कई मजदूर ट्रेनो के नही चलने पर आवाज़ उठाई तो इन सभी मजदूरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। अगर वो लोग आंदोलन नही करते तो आज ट्रेनें शुरू नही होती । ये हमारे समाज के अंदर मुल्क के अंदर नई चीज निकल कर आ गई है । की अगर सरकार के विरोध में कोई बोल रहा है । तो सरकार उसे अपराधीक प्रकरण में फसाकर उसके विरोध को दबाने की कोशिश कर रही है। दिल्ली की जरगर नामक सामाजिक संस्था के लोगो को दिल्ली दगे के केस में फसा दिया गया है। और जो लोगो को लड़ाने का काम किये है वो लोग खुले आम घुम रहे है।

 

 

 

गुजरात,महाराष्ट में सरकार बेकसूर लोगो को इस कानून को लागू कर जेल भेज रही है निर्दोष लोगों के खिलाफ कार्यवाही कर रही है । इसके विरोध में आंदोलन कर रहे मोहम्मद आसिफ़ ने ये सारी बाते कही और कहा कि हमारा प्रदर्शन इस कानून के खिलाफ है इसे कोई सम्प्रदाय से न जोड कर देखा जाय।

क्या है UAPA कानून – (Unlawful Activities Prevention)Act गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून)

क्यों बनाया गया इस कानून को-

देश में आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए UAPA बिल 2019 को मंजूरी दी गई है. इस क़ानून को सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया है। इस बिल का मकसद आतंकवाद की घटनाओं में कमी लाना,आतंकियों को जल्दी सजा दिलवाना है व देश मे पनप रहे आतंकवादी घटनाओं को रोकना है।

बिल में प्रावधानों :-

इस बिल के अनुसार आतंवादी होने के शक में भी बिना किसी सबूत के पुलिस गिरफ्तार कर सकेगी।

-राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को किसी भी मामले की जांच का अधिकार।

-आतंकी की कोई भी जानकारी दूसरे देशों के साथ साझा करने का अधिकार ।

-NIA किसी भी राज्य में जाकर रेड कर सकती है उसे उस राज्य की सरकार से अनुमति लेने की अब आवश्यक नही होगी।

अपील का है प्रावधान :

* गृह सचिव के पास 45 दिनों के अंदर अपील करने का अधिकार है।
* गृह सचिव के फैसले से असंतुष्ट होने पर वो कमेटी में अपील कर सकता है जिसमे रिटायर्ड जज के साथ दो गृह सचिव रेंक के अधिकारी होंगे।

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