“राजीव गांधी किसान न्याय योजना” का शुभारंभ 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि से किया जाएगा।

 

global36garh न्यूज से ललित गोपाल की खबर

 

 

 

रायपुरः छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” शुरू करने का फैसला किया है। इस योजना का शुभारंभ 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि से किया जाएगा।

 

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने और कृषि सहायता के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ प्रारंभ करने का अनुमोदन है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना बहुत ही दूरगामी निर्णय है और छत्तीसगढ़ के किसानों को इस संकट की घड़ी में संजीवनी प्रदान करने वाला निर्णय है। पूरे देश में कहीं भी किसानों के हित में इतना महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया गया है।

 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत राज्य के 18 लाख 75 हजार किसानों को लाभ मिलेगा। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हम राज्य में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करेंगे और कृषि सहायता के लिए खरीफ 2019 में पंजीकृत और उपार्जित रकबे के आधार पर धान, मक्का और गन्ना फसल के लिए 10 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से अनुदान राशि सीधे किसानों के खातों में डालेंगे। इसके लिए हमने बजट में 5100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

 

साथ ही खरीफ 2020 से आगामी वर्षों में दलहन और तिलहन फसलों के पंजीकृत और अधिसूचित रकबे के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों को सहायता अनुदान के रूप में देंगे। अनुदान लेने वाले किसान ने यदि बीते वर्ष धान की फसल लगायी हो और इस साल धान के स्थान पर योजना के तहत शामिल अन्य फसल लगाता है तब ऐसी स्थिति में किसानों को प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।

 

उन्होंने कहा, ‘‘हमने राज्य के किसानों से वादा किया था कि उन्हें उनकी उपज का पूरा दाम मिलेगा। लोगों ने इसमें कई अड़चने लगाई, अवरोध पैदा किये लेकिन हमने जो कहा था वो निभाया है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की जेब में पैसे डालने का काम कर रही है। लोगों की जेब में पैसा आने से इसका असर व्यापार और व्यवसाय पर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था बराबर संचालित होती रहेगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने केन्द्र सरकार से मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने का आग्रह किया है। मनरेगा के काम बारिश तक चलेंगे। यदि मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाता है तो लोगों को इससे निरंतर रोजगार मिलेगा, कृषि की लागत कम होगी और कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा।

 

बघेल ने बताया कि लॉकडाउन में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में औसतन लगभग 23 लाख मजदूर काम कर रहे हैं।

 

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में वनोपज संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर है। देश के कुल वनोपज संग्रहण का 99 प्रतिशत अकेले छत्तीसगढ़ ने ही किया है। बघेल ने कहा कि राज्य के 56.48 लाख गरीब परिवारों को अप्रैल, मई और जून, तीन माह का राशन, प्रति परिवार एक क्विंटल पांच किलोग्राम निःशुल्क प्रदान किया गया है।

 

244 करोड़ से अधिक की सिंचाई कर माफ

 

 

244 करोड़ से अधिक की सिंचाई कर माफी की गई है। भूमि अधिग्रहण का मुआवजा बढ़ाकर 4 गुना किया गया। प्रथम वर्ष 2018 में 80.37 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई,  25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से की गई। आगामी वर्ष 2019 में केन्द्र सरकार द्वारा यह कहा गया कि यदि राज्य सरकार धान का बोनस देगी तो सेंट्रल पूल के लिए प्रदेश का चावल नहीं लिया जाएगा। इसके बावजूद समर्थन मूल्य पर 18,34,834 किसानों से 82.80 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का नया कीर्तिमान बनाया गया। साथ ही किसान को यह आश्वस्त किया गया कि उन्हें नुकसान नहीं होने दिया जाएगा और नयी योजना बनाकर किसानों को सशक्त किया जाएगा। धान, मक्का व गन्‍ना के लगभग 19 लाख किसानों को लगभग 57 सौ करोड़ रुपए की राशि का भुगतान “आदान सहायता अनुदान” के रूप में 4 किश्तों में करने का निर्णय लिया गया है, जिसकी पहली किश्त का वितरण 21 मई 2020 से प्रारंभ किया जा रहा है। योजनानुसार धान के किसानों को प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा। योजना के अन्तर्गत किसानों के बैंक खाते में डी.बी.टी. के माध्यम से सीधे राशि अंतरित की जाएगी। योजना के विस्तार में खरीफ में धान, मक्का, सोयाबीन, मूंफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो-कुटकी, रागी एवं रबी में गन्ना की फसलों को भी “आदान सहायता अनुदान” दिया जाना प्रस्तावित है

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