बालाछापर गौठान में गौमूत्र खरीदी का किया गया शुभांरभ

*जशपुरनगर 28 जुलाई 2022 l हरेली त्यौहार के अवसर पर आज जशपुर विकासखंड के बालाछापर गौठान में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना गौमूत्र खरीदी का जनपद पंचायत सदस्य श्रीमती सावित्री सिंह ने शुभारंभ किया। इस अवसर पर जनपद पंचायत सदस्य श्री अमित महतो, कलेक्टर श्री रितेश कुमार अग्रवाल, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री जितेन्द्र यादव, सरपंच एवं स्व-सहायता समूह की महिलाएं बड़ी संख्या में उपस्थित थी। कलेक्टर ने समूह की महिलाओं को प्रोत्साहित करते हुए बताया कि राज्य में कृषि की लागत को कम करने तथा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सार्थक प्रयास किया जा रहा है।

 

छत्तीसगढ़ में रासायनिक उर्वरकों के विकल्प के रूप में जैविक खाद की उपलब्धता और इसके उपयोग के प्रभावी परिणामों को देखते हुए अब रासायनिक कीटनाशकों का खेती में उपयोग कम करने के उद्देश्य से गौमूत्र कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार कर किसानों को सस्ते दर पर उपलब्ध कराने की प्रभावी पहल शुरू की गई है। समूह की महिलाएं गोठान से जुड़कर तेल पेराई, मुर्गी पालन, बकरी पालन, गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के साथ अन्य गतिविधियों में शामिल होकर आर्थिक लाभ ले रही है।

 

उन्होंने कहा कि महिलाओं को गांव में ही आर्थिक मजबूती देने के लिए गोठान को मिनी उद्योग के रूप में विकसित किया गया है। महिलाएं इसमें अपनी अधिक से अधिक सहभागिता निभाएं। पशु पालन विभाग के पशु चिकित्सक श्री विकास कुमार ने समूह की महिलाओं को गौमूत्र से जैविक कीटनाशक बनाए जाने की विधि के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 10 लीटर गौमूत्र में 2 से 3 किलोग्राम नीम पत्ती, 2 किलोग्राम सीताफल की पत्तियां, 2 किलोग्राम पपीता की पत्तियां, 2 किलोग्राम अमरूद की पत्तियां, 2 किलोग्राम करंज की पत्तियां को उबालकर उसे छानने के उपरांत बोतल में पैकिंग किया जाता है। इसी प्रकार उन्होंने बताया कि जीवामृत बनाने हेतु 10 लीटर गौमूत्र में 200 लीटर पानी तथा 10 किलो गोबर 1 किलो गुड, 1 किलो बेसन, 250 ग्राम मिट्टी मिलाकर 48 घंटे तक छाया में रखने के अंतराल में 4 से 5 बार डंडे से चलाने के उपरांत जीवामृत तैयार कर लिया जाता है। जिसे बोतल में पैकिंग करके 7 दिनों तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

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