मुड़पार (सरसीवां) । 6 दिसंबर 2020 को प्रातः 10 बजे सबसे पहले सरसीवां बस स्टैंड , शासकीय अस्पताल प्रांगण में स्थित देश के करोड़ों गरीब, उपेक्षितों के मसीहा,युगपुरुष, बोधिसत्व बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के विशाल प्रतिमा में 64 वें परिनिर्वाण दिवस पर माल्यर्पणकर श्रद्धासुमन अर्पित किया। संविधान निर्माता डॉ अम्बेडकर ने कहा है कि पिछड़ा वर्ग(एससी, एसटी, ओबीसी) को हिन्दुओं के बराबर अधिकार देकर 4 हजार साल की गुलामी से निकाकर। मैंने जो कुछ किया है वह बहुत मुसीबतों व कठिनाइयों के मध्य जीवन भर अपने विरोधियों से जूझते रहने के बाद किया।
मानव-मानव एक समान का सन्देश दिया। सामाजिक चिंतक रामलाल खुराना ने कहा कि देश में आजादी के बाद भारतीय संविधान लागू होने पर भी संविधान का मानवीय व्यवहार में पालन नही हो पा रहा है। पिछड़े वर्ग के जीवन में अलख जगाने वाले परमपूज्य बाबा साहेब आंबेडकर ने 6 दिसम्बर, 1956 को हमें अलविदा कहा पर ऐसा लगता है की आज वो हमारे जीवन के हर पक्ष में इतने ज्यादा रचे बसे है की जीवन उनके बगैर संभव ही नहीं लगता है। कोरोना त्रासदी में अपने मसीहा को अपने -अपने ढंग से स्मरण करने , उनके मानवतावादी अधूरे आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित सर्वसमाज के अनुयायी जुटे हुए है।इस कार्यक्रम में दयाराम खुराना,जीवराज रात्रे,एड.डगेश खटकर,रामेश्वर कठोतिया,विजय खुटे,नेतराम लहरे,दिलीप भास्कर,माखन नवरत्न,बसपा कार्यकर्ता एवं सामाजिक चिंतक रामलाल खुरान,बाबूलाल भारद्वाज,सचिन लहरे,देवनंदन मार्कण्डेय आदि सरसीवां क्षेत्र के प्रबुद्ध वर्ग एवं कार्यकर्तागण शामिल हुए।