“विश्व डाक दिवस का आयोजन”
कोरबा 10 अक्टूबर 2020 शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तुमान, विकासखंड -करतला ,जिला -कोरबा के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक एवं स्काउट गाइड के छात्र -छात्राओं ने प्राचार्य पी पटेल के दिशा निर्देश एवं कार्यक्रम अधिकारी डी.आर .पटेल के कुशल नेतृत्व में ऑनलाइन के द्वारा विश्व डाक दिवस का आयोजन किया गया ।जिसमें प्रकाश खंडे ,रमाकांत पटेल, कुमारी अंजू पटेल ,बिना रानी पटेल आदि स्वयंसेवकों ने भाग लिया और उन्होंने विश्व डाक दिवस के अवसर पर अपने -अपने मित्र को पत्र लिखा और कहा कि वैश्विक कोरोना महामारी में बहुत से बच्चों का पढ़ाई प्रभावित हो रहा है ऐसे में बहुत से बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो एवं घर पर स्वयं अध्ययन करने एवं अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई जारी रखने का सुझाव दिया गया l
और कोरोना में सावधानियां को अपनाने ,सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने, आयुर्वेदिक काढ़ा को अपनाने एवं मास्क लगाने का संदेश दिया गया है।
कार्यक्रम अधिकारी डी.आर .पटेल ने विश्व डाक दिवस के अवसर पर छात्र -छात्राओं को अपने विचार व्यक्त कर बताया की विश्व डाक दिवस 9 अक्टूबर को पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है क्योंकि आज ही के दिन स्विट्जरलैंड के बर्न में 18 78 में यूनिवर्सल पोस्टल”U R A”की स्थापना हुई थी। 1969 में जापान की राजधानी टोक्यो में हुए यूपीए कांग्रेश में 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में घोषित किया गया था। डाक सेवा संचार की सबसे पुरानी विधि के रूप में जानी जाती है। आज आधुनिक जमाने के साथ ही डाक सेवा बहुत ही पुराने समय से चल रही है। डाक दिवस के रूप में जब लोग संचार के पुराने संसाधनों को याद करते हैं तो वह यह जानकर सोच में पड़ जाते हैं कि पहले लोगों का जीवन कितना अलग थाकुछ तो अपने यहां चिट्ठी आने या किसी को चिट्ठी लिखने की बातें याद आ जाती है।
विश्व में चल रहे वैश्विक कोरोना महामारी में जीवन रक्षक बनकर सामने आया डाक सेवा और करुणा योद्धा बन गए डाक कर्मी। ईमेल व्हाट्सएप व सोशल मीडिया के दौर में अप्रासंगिक हो रही डाक सेवा महामारी के समय सबसे बड़ी जीवन रक्षक साबित हुई लॉकडाउन के समय जब पूरा भारत घरों में पाबंद था तब डाक सेवा ने दवाइयों से लेकर मेडिकल किट तक अस्पतालों में पहुंचाई। डाक कर्मी पोस्टल वैन के जरिए गांव -गांव पहुंचे घर-घर जाकर लोगों को पैसा मुहैया कराए इससे सिर्फ संक्रमण रोकने में मदद मिली बल्कि हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी। लॉक डाउन हुआ तो डाक कर्मी कोरोना योद्धा बन गए टेस्टिंग किट से लेकर वेंटिलेटर तक पहुंचाने की बात हो या फिर घर-घर लोगों को पैसा पहुंचाने की उन्होंने लोगों की खूब मदद की। अकेले लॉकडाउन के दौरान देश में एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा मनी ऑर्डर घर -घर पहुंचाया ताकि लोगों को बाहर निकलना पड़े। नगदी की होम डिलीवरी ने कई पेंशन भोगी लोगों की मदद की। इसमें फिर हाल 30 करोड़ से ज्यादा खाबीबीते हैं और ज्यादा पेंशन भोगियों को डाकघरों के जरिए ही पेंशन मिलती है। इस कार्यक्रम में स्वयं सेवकों का विशेष योगदान रहा।
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