छत्तीसगढ़ का पारंपरिक लोक उत्सव पहला त्यौहार हरेली,श्रीमती ज्योति सक्सेना व्याख्याता 

 

छत्तीसगढ़ का पारंपरिक लोक उत्सव पहला त्यौहार हरेली पर्व हरेली त्यौहार किसानों का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है हरेली शब्द हिंदी शब्द हरियाली से उत्पन्न हुआ है जो हर वर्ष सावन महीने के अमावस्या तिथि में मनाया जाता है हरेली पर्व मुख्यता खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है ।छत्तीसगढ़ राज्य में यह पर्व ग्रामीण अंचल में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हरेली पर्व के माध्यम से किसान भगवान से अच्छी फसल की कामना करते हैं ।खेती किसानी में काम आने वाले उपकरण नांगर, हल, जुड़ा ,चतवार, हंसिया,टँगिया, बसूला, बींधना, रापा, कुदारी, आरी भंवारी के प्रति कृतज्ञता समर्पित करते हैं । घर में किसानिन गेहूं आटे या चावल आटे में गुड़ मिलाकर मीठा चीला रोटी एवं छत्तीसगढ़ी व्यंजन कृषि यंत्रों को समर्पित करती हैं।

बरसात के मौसम में गांव में हर जगह कीचड़ ही कीचड़ होता है लेकिन गेड़ी पर सवार होकर कोई भी आसानी से कहीं भी आ जा सकता है ।गेड़ी बनाकर उस पर चढ़कर सुरक्षित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाया जा सकता है गेड़ियां बांस से बनाई जाती है दो बांसों को समान दूरी पर कीलों से ठोका जाता है एक अन्य बांस के टुकड़े को बीच से फाड़ कर दो भागों में बांट दिया जाता है इसे फिर से रस्सी से जोड़ कर दो पंजे बना दिए जाते हैं यह पौवा असल में एक पायदान हैं जो दो बांसों में लगी कीलों पर टिका रहता है यह भी माना जाता है कि हरेली के दिन से तंत्र विद्या की शिक्षा देने की शुरुआत की जाती है इसी दिन से प्रदेश में लोकहित की दृष्टि से जिज्ञासु शिष्यों को पीलिया ,विष उतारना, नजर से बचाने महामारी, बाहरी हवा से बचाने समेत कई तरह की समस्याओं के बचाने के लिए मंत्र सिखाया जाता है। हरेली के दिन पुरुष एवं बच्चे गेड़ी बनाकर उस पर चढ़ते हैं गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है । छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार को गेड़ी त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। गेंड़ी चढ़ना अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा अब कम दिखाई देती है।

स्थानीय एवं पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल की शुरुआत की गई जिसमें गेड़ी को भी शामिल किया गया है विलुप्त होती गेड़ी परंपरा पुनः जीवंत रूप में दिखाई दे रही है ।गेड़ी- गांव में तो लोग अपने हाथों से बना लेते हैं लेकिन अब गेड़ी प्रतियोगिता आयोजित होने से इस वर्ष गेड़ी की बिक्री सी -.मार्ट में बहुत ही कम दामों में उपलब्ध है,ताकि शहर के बच्चों को भी उपलब्ध हो सके

छत्तीसगढ़ी जीवन शैली और प्रकृति से जुड़ा हुआ यह त्यौहार हरेली है जिसे हरेली त्यौहार के नाम से जाना जाता है छत्तीसगढ़ वासी हल बैल एवं विभिन्न कृषि उपकरण औजार की पूजा करके पूरे विश्व में हरियाली छाई रहने की कामना करते हैं।

हरेली त्यौहार के माध्यम से किसान भगवान से अच्छी फसल की कामना करते हैं।

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल में गेड़ी को विशेष महत्व देने के कारण गेड़ी परंपरा एक बार पुनः गांव एवं शहर दोनों में दिखाई देने लगी है। छत्तीसगढ़ में इसे हरेली तिहार के नाम से जाना जाता है। कहा भी जाता है जहाँ है हरियाली, वहाँ है खुशहाली इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वृक्षारोपण वह्र्द रूप में सभी सामाजिक संस्थाओं एवं व्यक्तिगत रूप से भी किया जा रहा है। प्रदूषित इस वातावरण को फिर से पवित्र बनाएं, आओ मिलकर पेड़ लगाएं, पेड़ लगाएं।पेड़ लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है, हरेली तिहार पर कम से कम 5पेड़अवश्य लगाएं।

 

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