न्यूज़ डेस्क- किसान आंदोलन का रुख आक्रामक होते जा रही है। केंद्र सरकार की किसान नीति के विरोध में आज लगातार दूसरे दिन हरियाणा ,पंजाब से हजारों की संख्या में किसानों ने रैली की शक्ल में दिल्ली कुच करने के लिए निकल पडी है। पुलिस इधर आंदोलनकारी किसानों को बीच रास्ते मे रोकने के लिए जगह जगह बेरिकेट्स लगाई हुई है ,वाटर केंनंन से पानी की बौछारें भी की जा रही है, आँसू गैस भी छोड़े जा रहे है । लेकिन किसान किसी भी हालत में रुकने को तैयार नही दिख रहे है।आज सिंधु बॉर्डर ,पानीपत के पास प्रशासन बेरिकेट्स लगाकर किसानों को रोकने का प्रयास जब कि तो किसानों की ओर से कुछ लोगो ने पुलिस के ऊपर पत्थर बाजी भी शुरू कर दी और हालात अब बेकाबू होते दिख रही है।
सवाल यह है कि सरकार किसानो कें लिये नीति बनाते समय देश के किसानों को विश्वास में क्यों नही लेती। अगर किसानों से सलाह ली गई होती व उनको विश्वास में लिया गया होता तो शायद आज हालात ऐसे नही बनते। इसके पूर्व में भी जब कभी किसान आंदोलन हुआ है किसानो का प्रदर्शन ने धीरे धीरे उग्र रूप ले लिया है और आंदोलन में किसानों को अपनी जान तक गवानी पड़ी है। पूर्व में हुए आंदोलन की घटनाओं से सरकार सबक क्यों नही लेती, क्यों न किसानों से बात कर मसले को सुलझने का प्रयास करती । क्या हर बार किसानों को अपनी हक कें लिय यूं ही सड़क की लड़ाई लड़नी पड़ेगी और अपनी मांगे मंगवाने के लिए जान गवानी पड़ेगी।