बिलासपुर। सांसद अरुण साव ने कहा कि आज देश आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। ऐसे में कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी। संसद में पास हुए कृषि विधेयकों से 70 साल बाद देश के अन्नदाताओं को बिचौलियों के चंगुल से मुक्ति मिलेगी। साथ ही अपनी उपज को इच्छानुसार मूल्य पर कहीं भी बेचने की आजादी मिलेगी। किसानों का “एक देश-एक बाजार” का सपना भी पूरा होगा।
वे नए कृषि कानून को लेकर नेहरू चौक स्थित सांसद निवास कार्यालय में आयोजित परिचर्चा के तीसरे दिन गुरुवार को शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों एवं जिले के शिक्षाविदों के साथ संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर चल रही है और इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। पहले हमारे किसानों का बाजार सिर्फ स्थानीय मंडी तक सीमित था, उनके खरीददार सीमित थे, बुनियादी ढांचे की कमी थी और मूल्यों में पारदर्शिता नहीं थी। इस कारण उन्हें अधिक परिवहन लागत, लंबी कतारों, नीलामी में देरी और माफियाओं की मार झेलनी पड़ती थी। नए कृषि विधेयकों से अब आमूल-चूल परिवर्तन आएगा। खेती-किसानी में निजी निवेश होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
श्री साव ने स्पष्ट करते हुए कहा कि कृषि उपज मंडियां बंद नहीं होंगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा। यह विधेयक किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच उपलब्ध कराएगा, जिससे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित किया जा सके। किसान खरीददार से सीधे जुड़ सकेंगे, जिससे बिचौलियों को मिलने वाले लाभ के बजाय किसानों को उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि कांट्रैक्ट सिर्फ उत्पाद पर लागू होगा, जमीन पर नहीं। संसद में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना, देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की योजनाएं किसानों के लिए संबल बन रही हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाजपाध्यक्ष रामदेव कुमावत ने की। मंच पर प्रदीप शर्मा, गणपति रायल, कुशल कौशिक, अनिल गौरहा उपस्थित थे। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्राम निर्मलकर व आभार प्रदर्शन श्रीमती आशालता चौहान ने किया।
इस मौके पर विद्यानंद साहू, जलेश्वर शर्मा, सी.पी. मिश्रा, भूषण पांडेय, नागेन्द्रधर शर्मा, बल्लभ रजक, सरजू साहू, डाॅ. प्रदीप निर्णेजक, चंद्रकला शर्मा, किरण मूले, शरद वैष्णव, गोरेलाल कश्यप, विजय पांडेय, सुनील कौशिक, अश्वनी मिश्रा, ॠषि कुमार पटेल, मिलन विश्वकर्मा, डाॅ. अशोक गुप्ता सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविद् उपस्थित थे।