रायपुर – स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी दो वेतन वृद्धि कटौती के आदेश को न्यायालय ने रोक लगा दी है।छ ग विद्यालयीन शिक्षक कर्मचारी संघ ने 16 जून 1993 को अनिवार्य योग्यता बना दिये जाने के कारण का उल्लेख करते हुये गत दिनों स्वयं के व्यय से डीएड बीएड उतीर्ण प्रधानपाठको की दो वेतनवृद्धि की कटौती करने का 27 साल बाद 1993 के बाद दो अग्रिम वेतन वृद्दि की राशि वसूल करने के संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग के आदेश की निंदा की है l विगत दिनो स्वयं के व्यय सॆ डी एड बी एड उत्तीर्ण प्रधान पाठको की दो वेतन वृद्दि की कटौती का आदेश जारी किया गया था जो कि हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना है।विदित हो कि स्कूल शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा 1996,1998,2007,2011,2014 एवम 2017 में शिक्षको को स्वयं के व्यय पर प्रशिक्षण करने पर दो इंक्रीमेंट देने का आदेश प्रसारित की गई थी।हजारों शिक्षक, व्यख्याता,प्रधानपाठक पूर्वमाध्यिक, प्रधानपाठक प्राथमिक, सरकारी आदेश औऱ हाइकोर्ट के आदेश नुसार लाभ ले रहे है।उसके बाद पुनः डीपी आई द्वारा आदेश जारी कर 1993 के बाद नियुक्ति वाले शिक्षको को अपात्र माना जा रहा है।इसमें सबसे बड़ी विडम्बना बलौदाबाजार शिक्षा अधिकारी कार्यालय की है जो केवल प्रधान पाठक को टारगेट कर आदेशित कर रहे है।जबकि प्रधान पाठक प्राथमिक को दो वेतन वृद्धि का लाभ देने का आदेश 2017 में मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है।जिसे पुनः 2020 में जिलाशिक्षाधिकारी बलौदाबाजार द्वारा वसूली के आदेश समस्त शिक्षको के लिए जारी किया गया था , उक्त आदेश के खिलाफ प्रधानपाठकों द्वारा माननीय हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा वसूली पर रोक लगा दी गई। संघ के पदाधिकारीयों ने प्रधान पाठको के हितों पर कुठाराघात किये जाने वाले उक्त निर्णय के विरोध मे हर स्तर पर लड़ाई लड़ने की बात कही।