बिलासपुर महिला सरपंच ने जांच अधिकारी से निष्पक्ष जांच कर आरोपीयों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की।।
बलौदाबाजार- ग्राम पंचायत बिलासपुर की महिला सरपंच श्रीमती देवंतीन महिलाने की शिकायत पर पुलिस अधीक्षक बलौदाबाजार के द्वारा थाना सरसींवा के तत्कालीन थाना प्रभारी रामशरण सिंह व टाटा के आरोपियों के विरूद्ध प्रशासनिक जाँच के लिए बिलाईगढ़ के अनुविभागीय अधिकारी(पुलिस)संजय तिवारी को नियुक्त किया गया है। अनुविभागीय अधिकारी(पुलिस) बिलाईगढ़ को एक सप्ताह के भीतर जांच कर जाँच परिणाम आवेदिका को अवगत कराने का निर्देश दिया गया था।
मामला एससी एसटी एक्ट का है –
उल्लेखनीय है कि होली के दिन दिनाँक 10/03/2020 पास के गांव के गैर अनुसूचित जाति युवकों द्वारा बिलासपुर की महिला सरपंच के साथ अभद्रता एवम उसके पुत्र के साथ मारपीट एवं जातिसूचक गाली गलौज की घटना से संबंधित है। अपने साथ हुए अत्याचार से पीड़ित महिला सरपंच जब थाना प्रभारी उपनिरीक्षक रामशरण सिंह के पास थाना सरसींवा शिकायत दर्ज कराने पहुँची तो थाना प्रभारी द्वारा अपराध कायम नही किया और वापस भेज दिया गया। पीड़िता के अनुसार सतनामी जाति होने के कारण थाना प्रभारी ने शिकायत दर्ज नहीँ किया अगले दिन आने के लिए कह दिया गया। तब पीड़िता द्वारा उसी रात 12 बजे लगभग सिटिज़न कॉप एप्प के माध्यम से पुलिस अधीक्षक बलौदाबाजार को थाना प्रभारी सरसिवां के कर्तब्य उपेक्षा एवं अपने साथ घटित घटना की शिकायत प्रेषित किया गया। तब अगले दिन थाना प्रभारी द्वारा शिकायत दर्ज किया गया। किन्तु एससी एसटी एक्ट के धाराओं के साथ एफआईआर. दर्ज नही किया गया। पीड़िता सरपंच के सिटिज़न कॉप एप्प से शिकायत करने से क्रोधित होकर थाना प्रभारी सरसिवां ने आरोपियों से मिलीभगत करके आरोपी युवक के माता के द्वारा महिला सरपंच के पुत्र एवम अन्य गवाहो के विरूद्ध आई.पी.सी. की धारा 294,323,506, 427,354,34 दर्ज कर दिया गया।पीड़िता महिला सरपंच द्वारा अपने साथ घटित सम्पूर्ण घटनाओं को पुलिस अधीक्षक श्री प्रशान्त ठाकुर के पास जाकर बताया और संबंधित पुलिस अधिकारी के विरुद्ध जाँच की मांग की गई।जिस पर पुलिस अधीक्षक द्वारा तत्कालीन थाना प्रभारी सरसिवां के विरुद्ध प्रशासनिक जांच के आदेश दिया गया है।जांच में यदि दोष पाया जाता है तो होगी कार्यवाही –
कर्तब्य उपेक्षा के लिये लोक सेवक के विरुद्ध एससी एसटी एक्ट की धारा के तहत कार्यवाही का प्रावधान है यदि दोषी सिद्ध होता है तो 6 माह से 1वर्ष तक की कारावास की सजा हो सकती है।
क्या है कर्तब्य उपेक्षा –
ऐसा कोई भी लोक सेवक जो गैर अनुसूचित जाति-जनजाति का सदस्य है,अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 एवं इस अधिनियम के बनाये गए नियमों का पालन जानबूझकर नही करता है, तब वह लोक सेवक अपने कर्तव्य की उपेक्षा कर रहा होता है। ऐसे में संबंधित लोक सेवक के विरुद्ध प्रशासनिक जांच के परिणाम यदि दोषी पाया जाता है तो 6 माह से 1 साल की कारावास की सजा का प्रावधान होता है।वहीं इस संदर्भ में एसडीओपी बिलाईगढ के संजय तिवारी ने बताया कि महिला सरपंच बिलासपुर द्वारा स्थाई जाति प्रमाण पत्र समय पर नहीं दिया गया था इस कारण जांच और कार्यवाही में विलम्ब हुआ अब उन्होंने मुझे स्थायी जाति प्रमाण पत्र जमा कर दिया है आरोपियों के खिलाफ एस्ट्रोसिटी एक्ट(एससी एसटी एक्ट) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है जल्द ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।वहीं तात्कालीन थाना प्रभारी पर कार्यवाही के विषय पर उन्होंने बताया कि उनके विरुद्ध कार्रवाई करने का मामला नहीं बनता।इधर पीड़िता महिला सरपंच ने समय पर कार्यवाही नहीं होने से नाराजगी जाहिर करते हुए आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।उन्होंने आगे कहा कि हम बेकुसूर हैं पर टाटा के आरोपियों और सरसीवा पुलिस की मिलीभगत से बेवजह मेरे पुत्र व अन्य व्यक्तियों पर कार्यवाही करने का विरोध करते हुए भी सवाल उठाया तथा कोर्ट में फाईल पेश कर उन आरोपियों का आवेदन खारिज कर हमारे ऊपर जो धाराएं लगाई गई हैं उससे मुक्त किय जाने कि भी मांग पुलिस प्रशासन से की है।
आवेदिका का दावा है कि उसके पास पर्याप्त साक्ष्य है कि तत्कालीन थाना प्रभारी रामशरण सिंह ने कर्तब्य उपेक्षा किया था। पुलिस अधीक्षक के आदेश के अनुसार आवेदिका को पर्याप्त मौका दिया जाए जिससे वह जांच प्रकरण संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत कर सके। किन्तु आज तक जांच के संबंध में कोई भी नोटिस नही भेजा गया है।
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