रायपुर – हम बात कर रहे हैं राजधानी से लगे हुए महिला एवं बाल विकास विभाग जामगाव दुर्ग जो कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गांव पाटन से 17 किमी की दूरी पर है जहां पर अनुसूचित जाति की महिला कर्मचारी को विभाग के सामान्य वर्ग के अधिकारी उन्हें कैसे प्रताड़ित करते हैं?? इस कार्यालय में पदस्थ अनुजाति की महिला कर्मचारी के प्रति जातिगत भेदभाव और प्रताडना किए जाने का मामला सामने आया है। शासन द्वारा जो भी विभागीय निर्देश जारी किया जाता है कार्यवाही के नाम पर सिर्फ महिला बाल विकास विभाग मे अनु जाति के पर्यवेक्षक पद पर जो कार्यरत हैं उन महिलाओं पर ही कार्यवाही की जाती है। विभाग में सामान्य वर्ग के अधिकारियों के द्वारा प्रशासनिक कार्य का हवाला देकर जातिगत दूर्भावना से ग्रसित होकर उन्हें टारगेट बनाकर सूनियोजीत ढंग के तहत निलंबन किया जाता है। इतने में ही संतुष्ट नही होते तो विभागीय जांच गठित कर अधिकारी निराकरण करना ही भूल जाते है जैसे उन्हें अकारण वेतन वृद्धि रोक देना, टी ए बिल पास नही करना, शाशन द्वारा दी गई अवकाश नही देना, बार बार अकारण मनगढ़ंत आरोप लगाकर नोटिस देकर मानसिक रुप से प्रताड़ित करना, सामान्य वर्ग के अधिकारी सारी हदे पार करते हुये नौकरी से बरखास्त करने का आदेश भी जारी कर देते है जितना हो सके मौखिक व लिखित रूप से अपमान जनक शब्दो का प्रयोग करते है सार्वजनिक रुप से तो कभी व्यक्ति गत रूप से अपमानित करते है। अनु जाति के महिला पर्यवेक को लोहा, ताबा व गिलट कहकर अधिकारी पुकारते है केवल अनु जाति के पर्वेक्षक को ही मुख्यालय में निवास करने बाध्य किया जाता है जबकि सामान्य वर्ग के पर्वेक्षक 200 कि मी दूर से रोज आना जाना करते हैं मुख्यालय मे निवास नही करने पर भी उन पर कोई कार्यवही नही की जाती है क्योंकि वे उनके वर्ग से है अनू जाति के पर्वेक्षक को शाशन द्वारा दी गई अवकाश नही दी जाति जबकि सामान्य वर्ग की पर्यवेक अनगिनत अवकाश लेकर वेतन भी ले लेती है अनु जाती के पर्वेक्षक को काम के बदले भी वेतन नही दिया जाता है उच्च अधिकारियों को अवगत कराने के बावजूद उन पर कोई कार्यवाही नही होती है बल्कि यह कहा जाता है कि इसका साथ क्यो दे रहे हो।आपको बतला दें कि महिला एवं बाल विकास विभाग बलौदा बाजार में जब विपिन जैन पदस्थ थे तब भी अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को निलंबित किया गया था इनके कार्यकाल में सविता टंडन को निलंबित कर दिया गया था जिसका प्रकरण आज भी लंबित है प्रकरण लंबित होने के कारण उन्हें आज पर्यन्त कई माह का वेतन अप्राप्त है हालाकि बहाली हो गई लेकिन परेशानियां कम नहीं हो रही है। वर्ष 2015 से अब तक इन महिला पर्यवेक्षक विद्यावती धृतलहरे,सविता टंडन, शिला धृतलहरे जैसे और अन्य पुरुष कर्मचारी जो कि अनु सूचित जाति के है जिनके ऊपर झूठे आरोप लगाकर निलंबन कि कार्यवाही की गई है क्या यही वर्ग के पर्वेक्षक कार्य करने में अक्षम है ?? एक अनु सूचित जाती के पर्यवेक्षक को अधिकारी विपिन जैन की प्रताड़ना से त्रस्त होकर दुर्घटना के शिकार होकर मृत्यु भी हो गई है।बताया जा रहा है कि ये अधिकारी जहां भी जाता है वहां पदस्थ अनु जाती कि महिला पर्वेक्षक के सेक्टर में बार बार जा कर परेशान करने के उद्देश्य से निरीक्षण करते है।महिला सुपरवाइजर सविता टंडन ने आगे बताया कि और कई जिलों में विभाग के सामान्य वर्ग के अधिकारी अनुसूचित जाति की महिला कर्मचारी को प्रताड़ित करते हैं। इन अनु जाति के पर्वेक्षक पर प्रशासकीय कार्य के एवज में दंडित किया जा रहा है यह तो जाँच का विषय है।यदि इस ओर विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा तत्काल अंकुश नही लगाया गया तो महिला बाल विकास में पदस्थ अनु जाति की महिलाओ को कार्य करना मुश्किल हो जाएगा और वे आंदोलन को बाध्य होते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,महिला एवम् बाल विकास विभाग के मंत्री,अनुसूचित जाति महिला आयोग के अध्यक्ष के पास जाकर शिकायत करने की बात कही है।इस विषय पर जानकारी के लिए जब हमारे प्रतिनिधि ने जामगाव दुर्ग के अधिकारी बिपिन जैन से मोबाईल से संपर्क करना चाहा तो वे मोबाइल रिसीव नहीं किए।