
छत्तीसगढ़ी का अनूदित साहित्य:एक अनुशीलन ” पुस्तक डॉ अलका यतींद्र यादव
रायपुर // छत्तीसगढ़ी का अनूदित साहित्य:एक अनुशीलन ” पुस्तक डॉ अलका यतींद्र यादव द्वारा लिखित है, जो नई दिल्ली से २०२३ में प्रकाशित हुई है । शोध प्रबंध को संपादित कर पुस्तक का रूप दिया गया है। इसमें अनुवाद की शास्त्रीय विवेचना के साथ साहित्य समीक्षा पर सोदाहरण प्रकाश डाला गया है। यह सर्वविदित है कि अनुवाद ज्ञान के नए द्वार खोलता है। ज्ञानार्जन के लिए अनुवाद महत्वपूर्ण सेतु है। एक भाषा क्षेत्र के अनुभव और ज्ञान परंपरा को दूसरे भाषा क्षेत्र में पहुंचाने का काम अनुवाद ही करता है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के उपरांत छत्तीसगढ़ी भाषा ने विकास के नए सोपान तय किए हैं। डॉ अलका ने छत्तीसगढ़ी साहित्य की समस्त विधाओं का परिचय तथ्यपरक ढंग से पुस्तक में लिखा है। गद्य व पद्य की विधाओं के साथ लोकसाहित्य का स्पर्श भी किया गया है।
संस्कृत भारतीय वांग्मय परंपरा की वाहक है , इसके ज्ञान को अनुवाद के माध्यम से छत्तीसगढ़ी में कहां कहां और किस किसने लाया जहै ,उसे सिलसिलेवार तरीके से पुस्तक में दिया गया है।
उपनिषद् , महाभारत, कालिदास रचित मेघदूत का अनुवाद छत्तीसगढ़ी भाषा में हुआ है। उसके उद्धरण देकर पाठकों को बताया गया है कि कितने सही तरीके से अनुवाद हुआ है। पद्म पुराण और शिव पुराण भी छत्तीसगढ़ी भाषी लोगों के लिए उपलब्ध हैं। हिंदी से छत्तीसगढ़ी में कविता, कहानी, नाटक तथा उपन्यास आदि के अनुवाद की एक सुदीर्घ परंपरा का जिक्र लेखिका ने किया है। प्रशासनिक शब्दावली भी अनूदित की गई है। इसका सोदाहरण प्रस्तुतीकरण किया गया है। अन्य भारतीय भाषाओं यथा उड़िया, तेलुगू तथा तमिल आदि से छत्तीसगढ़ी में अनुवाद हुआ है। इस सबका व्यवस्थित ढंग से पुस्तक में विवरण दिया गया है।
पुस्तक पठनीय और महत्वपूर्ण है। इसमें जानकारियों के साथ अनुवाद के इतिहास पर बहुत से सरल तरीके से प्रकाश डाला गया है।अकादमिक क्षेत्र में शोधकर्ताओं के लिए यह उपयोगी पुस्तक है। भाषा सहज, सरल व प्रवाहमयी है। लेखिका को शुभकामनाएं।