हरेली त्यौहार पर सुंदर कविता,कइसे मनाबो हरेली तिहार, चन्द्रकांत खुंटे ‘क्रांति जांजगीर-चाम्पा
ए दारि कइसे मनाबो हरेली तिहार?
काला खाबो रोटी झारा-झार?
न नाँगर ए,न बइला ए
न लोहा लक्खड़ के बाचे रइला ए।
हरु-हरु बेचावत हे खेती-खार
भइसा-बइला जम्मों बेचागे
राॅपा-रपली जम्मों नंदागे,
सख-बल टुटगे किसान के
टेक्टर-जेसीबी के दिन-बादर आगे।।
बारी-बखरी नइ बोवत अन
बिसाय बर सब्जी जोहत हन
सुके-सुक मा दिन पहाके
करू-महुरा ला गझोवत हन।।
गैंती-कुदारी अब्ब जुन्ना होगे
खेत-खार-अँगना सुन्ना होगे
किसान होगे परभरोसी
बलखरहा जीवन ला गुन्ना होगे।।
किसनहा भुलागे ददरिया के तार
जेकर खांध रहय भक्कम-भार
परबुधिया होके कइसे जीबो?
फेर बता! कइसे मनाबो हरेली तिहार?
चन्द्रकांत खुंटे ‘क्रांति
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
Live Cricket
Live Share Market