Global36garh news : आप किराए के रूम लेने जाते है तो आप से आपकी जाति पूछी जाती है – बसपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत पोयाम।

 

रायपुर 23 जनवरी 2023 । बसपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत पोयाम ने बताया की *मीरा कुमार- कोई इनका विकल्प क्यूं नही बनना चाहता?*इन्होंने अपनी राजनैतिक सफर में बड़े बड़े खुंटे गाड़े हैं। इन्ही के संसदीय क्षेत्र सासाराम में 03 मुख्य शहर हैं। डेहरी ऑन सोन,सासाराम, भभुआ इत्यादि, आजादी के 75 साल के बाद भी यहां आप किराए के रूम लेने जाते है तो आप से आपकी जाति पूछी जाती है। अगर किसी ने किराए पे रूम दे भी दिया तो आपका जातीय शोषण होता ही रहेगा, अगर आप के बगल का किरायेदार आपकी जाति का नहीं है तो अफसोस लोकसभा की स्पीकर रही …पूर्व उप प्रधानमंत्री जी की बेटी जिनके पिताजी भी कांग्रेस में रहे और खुद मीरा कुमार भी उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र से छुआ- छूत खत्म नहीं कर पाई। और कांग्रेस ने भरपूर इनका फायदा उठाया भर- भर के वोट मिले।

 

बसपा सुप्रीमों ने कभी किसी से अपने विचार- धारा को परे रख कर…..समझौता नहीं किया और ना करेंगी। जब आप उनके संघर्ष और उनके द्वारा किये गये काम को पढ़ेंगे, देखेंगे तो सीना चौड़ा हो जायेगा। आप सोचेंगे कि एक दलित परिवार की लड़की इतनी हिम्मत कहां से लाई होगी ? बसपा को हमेशा कहा जाता है कि ये पार्टी से पहले एक मिशन है। कौन सा मिशन? ये मिशन है ..आसान भाषा में कहें तो दलित,गरीब,पिछड़े,आदिवासी में आत्म सम्मान जगाना। उन्हे ये बताना कि आप कमजोर नहीं हैं। आपको एक षडयंत्र के तहत मानसिक गुलाम बनाया गया है। लेकिन वही आपके पूर्वजों ने ये लड़ाई लड़ी चाहे वो पढ़ाई का क्षेत्र हो( डाॅ.अंबेडकर), चाहे युद्ध का क्षेत्र हो (भीमा कोरेगांव) चाहे आत्मसम्मान की लड़ाई हो( मायावती) इन्होंने जम के लड़ाई लड़ी, और जीते भी। आज आत्म समान की लड़ाई राजनैतिक लड़ाई से कई गुना बड़ा और ज्यादा मायने रखता है। जिनके पास आत्मसमान नही वो आपके समुदाय के हैं संसद और सदन में बैठ के भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। क्यूंकि वो सड़े-गले, मरे लाश से भी बदतर स्थिति में हैं। बाबा साहब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर जी ने संविधान में हर व्यक्ति को एक वोट का अधिकार दिया है, और आपकी संख्या हाथी के समान विशाल है। लेकिन ये हाथी अपने विशाल शरीर को नहीं देख पा रहा है। जिस दिन इन्हे एहसास हो गया और इनके आत्म सम्मान से जीने की…..लालसा जाग गई उसी दिन ये देश उनका होगा।

 

देश में एक ही पार्टी और एक ही नेता है जो इस लड़ाई को यहां तक बिना हारे थके यहां तक ले आया जिससे आर.एस.एस. भी डरती है और कांग्रेस भी। इसलिए बसपा और ब.स.पा. सुप्रीमो का हमेशा से विकल्प ढूंढा गया और चमचे भी तैयार किए गए। लेकिन ब.स.पा. लड़ती रही और आगे भी लड़ते रहेगी। ब.स.पा. को छोड़ कर सारी पार्टियां सत्ता के लिए संघर्ष करती हैं। जबकि ब.स.पा. सामाजिक परिवर्तन के लिए लड़ती है। 21वीं सदी बहुजनों की होगी, आप ये भी समझ लें कि सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन में अंतर क्या है?

 

*सामाजिक न्याय में आपको न्याय भी वही देते नजर आएंगे जो आपका शोषण करते है। और बहुजनों के नाम पे बनी हजारों पर्टियां दलाल, भड़वे अपने बैनर पर और भाषण में यही बोलते नजर आएंगे। सामाजिक न्याय, सामाजिक न्याय ,जबकि ब.स.पा. दहाड़ कर बोलती है कि हम सामाजिक परिवर्तन की बात करते हैं। और इसे पूरा भी करेंगे। खासकर युवा वर्ग से अपील है कि आपकी लड़ाई…बड़ी मूछें रखने और घोड़े पे चढ़ने तक सीमित नहीं है, जिसे एक सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस, सपा भाजपा ,आप इत्यादि पार्टी किसी चमचे के हाथों सीमित करना चाहती है।*

 

*बाबा साहब ने मूंछ नही रखी ,मान्यवर कांशीराम साहब ने मूंछ नही रखी, लेकिन जो उन्होंने बहुजनों के हित में काम किया शायद ही और कोई कर पाए। आपकी लड़ाई सामाजिक परिवर्तन की है जो अभी तक व्यवस्था बनी है उसे बदलने की है और ये लड़ाई बिना हाथी की सवारी किए पूरी नहीं की जा सकती,क्युंकी बाकी लोग किसी न किसी पार्टी के चमचे हैं। बहुजन समाज में जन्में युवा को कुछ चमचे पसंद आते है जब वो दो बंदूक अपने हाथो में लिए गाड़ी के सन रूफ से बाहर निकल कर मूंछों पे ताव देता है तो सबको लगता है कि ये मेरा हीरो है, जबकि मनुवादी सबसे ज्यादा डरते है कि बहुजनों (बहुत जन) के हाथ में कलम ना आ जाए। क्युंकी आप में स्वाभिमान तभी जाग सकता है, जब आप शिक्षित होंगे। इतिहास और वर्तमान को समझ पाएंगे……और इसका जीता जागता उदाहरण तेलंगाना के रिटायर्ड एडिशनल डी.जी.पी आर.एस. प्रवीण साहब हैं , मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि जब ब.स.पा. सुप्रीमों रोहित वेमुल्ला और शब्बीरपुर कांड को लेकर बोल रही होंगी तो आर.एस. प्रवीण साहब ने उन्हें सुना होगा और एक तूफान उनके अंदर खड़ा हुआ होगा कि स्वाभिमान ही तो चाहिए बहुजनों को। जहां 1200 करोड़ रुपए देके विजय माल्या राजसभा का सीट लेता है वही बसपा सुप्रीमो ने राज्यसभा से इस्तीफा सिर्फ 05 मिनट में उस समय दे दिया जब उन्हें अपने समाज पे हो रहे उत्पीड़न पे बोलने से रोका गया। साथियों 2024 नजदीक है तैयारी शुरू कर दीजिये। बहनजी को प्रधान मंत्री बनाइए और अपने आने वाले भविष्य की पीढ़ी को एक स्वच्छ माहौल दीजिए जो पिछले 5000 वर्षो से मानसिक गुलाम है जाति के नाम पे प्रताड़ित है।

 

 

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