ब्रेकिंग न्यूज़:शासन प्रशासन में महिलाओं की भूमिका पर हुआ संगोष्ठी कार्यक्रम
संत शिरोमणि गुरु घासीदास महाविद्यालय एवं छ ग ज्ञानज्योति उच्च माध्य विद्यालय पामगढ़ के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के संयुक्त तत्वावधान में ग्राम- रसौटा में आयोजित रा.से.यो. सात दिवसीय विशेष शिविर में बौद्धिक परिचर्चा/ संगोष्ठी का चतुर्थ दिवस में हुआ नारी सशक्तिकरण विषय पर विशेष संगोष्ठी कार्यक्रम।
आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती सकुंतला बनर्जी (अध्यक्ष, कर्मफल शिक्षण समिति जोरैला पामगढ़)
एवं विशिष्ट अतिथि श्रीमती उषा दिव्य ( सचिव कर्मफल शिक्षण समिति जोरैला पामगढ़), श्रीमती नमिताजीत राय (कोषाध्यक्ष, कर्मफल शिक्षण समिति जोरैला पामगढ़), श्रीमती सजनी भारद्वाज (डायरेक्टर डॉ भीमराव अम्बेडकर स्कूल बोरसी), श्रीमती प्रीति भार्गव, श्रीमती शीतला जानू, श्रीमती सरोज मांझी डाहिरे( प्रधान पाठिका, पूर्व माध्यमिक शाला रसौटा ), श्रीमती श्रद्धा सिंह (प्रधान पाठिका, प्राइमरी स्कूल रसौटा), श्रीमती गायत्री कंवर, एवं विद्यालय के शिक्षिका सुकेशी कश्यप, मनीषा खरे, रितु रात्रे, अर्चना रहें।
कार्यक्रम के शुरुआत स्वामी विवेकानंद जी के तैलचित्र पर दीप प्रज्वलित कर हुआ, आगे कार्यक्रम को गति बनर्जी मैडम की उद्बोधन से मिला जिसमें, बनर्जी मैडम देश के शासन प्रसाशन में बेटियों के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा की आज देश में बेटियां किसी से कम नहीं हैं, अब बेटियां देश के हर क्षेत्रों में अपना योगदान देकर नई नई मिसाल बना रही हैं इसलिए अब बेटियां किसी से कम नहीं है जैसे शब्दों से बच्चों को शिक्षा के प्रति सचेत रहकर अच्छी शिक्षा लेने की प्रेरणा दिए। उद्बोधन के अगली कड़ी में दिव्य मैडम और राय मैडम भी बच्चों को सम्बोधित करते हुए महिलाओं के अधिकार और उनके लिये शासन के विभिन्न योजना के लिये जागरूक रहकर लाभ लेने की बात कही। आगे उद्बोधन में सुकेशी कश्यप मैडम भी छात्रों को महिलाओं के अधिकार के बारे में संवैधानिक जानकारी दिए और उन अधिकारों के लाभ लाभ लेने के लिये खुद की सोच और खुद को सशक्त करने की जरुरत है कही।
आगे उद्बोधन में के पी खरे सर(प्राचार्य, हाई स्कूल रसौटा) बच्चों को सम्बोधित करते हुए शिक्षा एवं जागरूकता को बेटियों की पहली कुंजी कहकर सशक्त रहने को कहा। आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय/ विद्यालय के कार्यक्रम अधिकारी एफ आर जांगड़े, सूरज पठारे सहित वरिष्ठ शिक्षक बी पी बनर्जी, रितु रात्रे एवं समस्त शिविरार्थियों का योगदान सराहनीय रहा।